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जगत जननी मां सीता के आदेश पर कुश ने यहां देवी की स्थापना की, नाम पड़ा कुशहरी देवी

locationउन्नावPublished: Sep 29, 2019 06:49:46 pm

Submitted by:

Narendra Awasthi

– आम से लेकर खास तक मैया के दरबार में मत्था टेकने आती है भक्तों की भीड़
– जल सरोवर में तैरती मछलियों को आटा खिला कर अपने को धन्य समझते हैं भक्त
– मैया सबकी मनोकामना पूरी करती है
– सड़क और रेलमार्ग से जुड़ा है माता का दरबार

जगत जननी मां सीता के आदेश पर कुश ने यहां देवी की स्थापना की, नाम पड़ा कुशहरी देवी

जगत जननी मां सीता के आदेश पर कुश ने यहां देवी की स्थापना की, नाम पड़ा कुशहरी देवी

उन्नाव. शारदीय नवरात्र के शुरू होते मां कुशहरी देवी मंदिर में भक्तों की भीड़ उमड़ने लगी। मां कुशहरी देवी माता की स्थापना भगवान श्री रामचंद्र के पुत्र कुछ द्वारा की गई थी। जो बाद में कुशहरी देवी के नाम से जाना पहचाना जाने लगा। मां कुशहरी देवी भक्तों पर कृपा बरसाती हैं और उनकी इच्छाओं की पूर्ति करती है। नवाबगंज स्थित कुशहरी देवी मंदिर मैं दर्शन करने के लिए भक्तों का ताता लगा है। आम लोगों से खास लोगों तक माता के दर्शन और पूजा अर्चना करने के लिए पहुंचते हैं। माता के मंदिर के सामने विशाल जल सरोवर है। इस विषय में भी जुड़ी कथा प्रचलित है।

सड़क व रेल मार्ग से जुड़ा है माता का दरबार

जनपद मुख्यालय से लगभग 17 किलोमीटर की दूर स्थित कुशहरी देवी मंदिर की भव्यता आलौकिक है। मां के दर्शन करके भक्त अपने को धन्य समझता है। मान्यता है कि मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम अपने मर्यादा धर्म का पालन करते हुए भाई लक्ष्मण से कहा सीता को जंगल में छोड़ आओ। भाई के आदेश का पालन करते हुए लक्ष्मण मैया सीता को छोड़ने के लिए वन आ रहे थे। रास्ते में सीता को प्यास लगी। उन्होंने प्यास लगने की बात लक्ष्मण से ने कही। लक्ष्मण पास के सरोवर से जल लेने पहुंच गए। जैसे ही उन्होंने सरोवर में पात्र डाला तो अंदर से आवाज आई मुझे निकालो। अचंभित लक्ष्मण ने वैसा ही किया और अंदर से देवी की मूर्ति निकाली। लक्ष्मण ने देवी की प्रतिमा को निकालकर बरगद के पेड़ के नीचे रख दिया और जल लेकर मैया सीता के पास आ गए। इस विषय में उन्होंने सीता को जानकारी देते हुए जल दे लिया।

श्रीराम द्वारा जानकी का परित्याग से जुड़ा है क्षेत्र

जंगल में लक्ष्मण ने श्री राम का संदेश जानकी को सुनाया और कहा उन्होंने आपका परित्याग किया है। यह सुनकर सीता को काफी दुख हुआ और लक्ष्मण के जाने के बाद वह रोने लगी। रोने की आवाज सुन मौके पर पहुंचे महर्षि बाल्मीकि ने उन्हें अपने आश्रम में स्थान दिया और वहीं पर मैया सीता ने लव और कुश को जन्म दिया। लव कुश बचपन से ही महान पराक्रमी, रण कौशल के धनी थे। उनकी धनुर्विद्या के आगे राम की सेना भी परास्त हो गई थी। मान्यता है कि नैमिषारण्य धाम में श्रीराम ने यज्ञ का अनुष्ठान किया। अनुष्ठान में भाग लेने की महर्षि बाल्मीक सीता व लव कुश के साथ जा रहे थे रास्ते में लक्ष्मण द्वारा देवी प्रतिमा की याद सीता को आई तो उन्होंने उससे मौके पर प्रतिमा स्थापना करने के लिए कहा मां की आज्ञा के अनुसार उसने देवी मूर्ति की स्थापना की जो कुशहरी देवी का नाम से विख्यात हुआ।

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