जिले में 479649 हेक्टेयर कृषि योग्य भूमि इस संबंध में बातचीत करने पर जिला कृषि अधिकारी अतीन्द्र सिंह ने बताया कि जनपद में 479649 हेक्टेयर भूमि कृषि योग्य है। जिस पर 486574 किसानों का जीवन यापन निर्भर करता है। जिला कृषि अधिकारी अतींद्र सिंह ने बताया कि इनमें से रबी की फसल के लिए 266955 हेक्टेयर भूमि उपयुक्त है जबकि खरीब की फसल 188208 हेक्टेयर भूमि पर की जाती है। उन्होंने बताया कि जनपद में 2864.81 हेक्टेयर भूमि सिंचित है। जबकि नलकूप से 2144.59 हेक्टेयर क्षेत्रफल खेती योग्य भूमि नलकूप से सिंचाई की जाती है। जिसमें राजकीय नलकूप भी शामिल है। जिला कृषि अधिकारी ने बताया कि जनपद में बड़े किसान के रूप में 29202 किसान चिन्हित है। जिनके पास दो हेक्टेयर से ज्यादा भूमि है। यहां की मुख्य फसल गेहूं धान के अलावा दलहन भी है।
15000 अन्ना जानवर किसानों के लिए मुसीबत एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने बताया कि जनपद में लगभग 15000 जानवर अन्ना घूम रहे हैं। जो किसानों की फसल को नुकसान पहुंचा रहे हैं। किसानों की फसल को अन्ना जानवरों से बचाने के लिए पशुपालन विभाग को जिम्मेदारी दी गई है। जिनके माध्यम से अन्ना जानवरों को बाड़ा में रखने की व्यवस्था की जा रही है। यह कार्यक्रम तहसील स्तर पर चलाया जा रहा है। कागजों पर अन्ना जानवरों की संख्या 15000 दिखाई जा रही है जबकि सच्चाई में इनकी संख्या कहीं ज्यादा है।
कटीले तारों से घायल हो रहे हैं अन्ना जानवर वही नौबस्ता जगजीवन पुर थाना अचलगंज निवासी रामखिलावन ने बताया कि अन्ना जानवर उनकी फसल के लिए काल बन चुके हैं। थोड़ा चूकने पर पूरी फसल को बर्बाद कर देते हैं। अन्ना जानवरों से अपनी फसल को बचाने के लिए कटीले तार लगाए गए हैं। जिनसे फसल का बचाव तो हो रहा है। लेकिन अंदर घुसने के प्रयास में अन्ना जानवर गंभीर रूप से घायल हो रहे हैं। जो उनके लिए कष्टदायक होता है। लेकिन मजबूरी में उन्हें यह कदम उठाना पड़ रहा है। तहसील स्तर पर अन्ना जानवरों को नियंत्रित करने के कोई कदम नहीं उठाए गए हैं। रामेश्वर सिंह ने बताया कि शहर से जानवरों को पकड़कर गांव में छोड़ने का भी काम बड़े पैमाने पर किया जा रहा है। जिससे अचानक गांव में अन्ना जानवरों की संख्या काफी बढ़ रही है। उन्होंने जिला प्रशासन से अन्ना जानवरों की समस्या पर गौर करने की मांग की।