स्थानीय सरकार की जवाबदेही स्थानीय नागरिकों के प्रति
मुख्य विकास अधिकारी ने कहा कि स्थानीय सरकार कि ग्रामीणों के प्रति जवाबदेही तय करने वाली है। ग्राम पंचायत विकास योजना की परिकल्पना के पहले यह योजना विभिन्न विभागों के पृथक प्रयासों के अधीन थे। जिससे आपसी समन्वय स्थापित कर विकास करा पाने में अवरोध उत्पन्न होता था। लेकिन वर्तमान ग्राम पंचायत विकास योजना नियोजन व अभिसरण के सिद्धांतों पर आधारित है। ग्राम पंचायत विकास योजना एक योजना ना होकर पंचायतों के समग्र एवं समेकित के विकास की प्रक्रिया है। जिसका उद्देश्य गांव के सभी हित धारकों की भागीदारी एवं सहयोग से गांव के विकास का मंच तैयार करना है। उन्होंने कहा कि इस प्रक्रिया में ग्राम पंचायतों ना सिर्फ विजन स्पष्ट होगा, बल्कि वह निर्धारित लक्ष्यों की पूर्ति के लिए रोड मैप तैयार कर अपनी पंचायतों का सर्वांगीण विकास कर पाने में सक्षम होंगे। इस प्रक्रिया के अंतर्गत ग्राम पंचायत दीर्घकालिक व तात्कालिक के विकास को ध्यान में रखते हुए पंचवर्षीय एवं 1 वर्षीय योजना तैयार कर पाएंगे।
न्यूनतम दो बैठक आयोजित करने की प्रमुख शर्त
ग्राम पंचायत विकास योजना की प्रक्रिया के दौरान कुछ शर्तों का भी निर्धारित किया गया है। जिसके अंतर्गत ग्राम सभा की न्यूनतम तीन बैठक होना अनिवार्य है। ग्राम पंचायत की दो बैठक होगी। बैठक के दौरान ग्राम प्रधान सभी ग्राम पंचायत समिति के सदस्य बैठक में उपस्थित होंगे। इसके साथ ही स्वयं सहायता समूह के सदस्य, समुदाय आधारित संगठन के सदस्य, युवा दल के सदस्य, ग्राम पंचायत स्तर पर गठित किसी भी प्रकार का संगठन की भागीदारी भी आवश्यक है ।संबंधित विभागों के प्रतिनिधि चार्ज अफसर ग्राम पंचायत सचिव, बीडियो, एडीयो, जेई सिविल, एनम, आशा बहू, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता प्राथमिक विद्यालय के शिक्षक भी बैठक में मौजूद रहेंगे।
ग्राम पंचायत विकास योजना की शर्तें निम्न
ग्राम पंचायत विकास योजना को 5 सेक्टर में बांटा गया है। जिसमें मानव विकास एवं सामाजिक सुरक्षा संबंधी मुद्दे, संरचनाओं सहित पर्यावरणीय मुद्दे और आपदा प्रबंधन के मुद्दे, आय एवं रोजगार के आर्थिक मुद्दे सुशासन, समावेशन व्यक्ति एवं समुदाय के व्यवहार गत मुद्दे शामिल है। पंचायती राज विभाग द्वारा संचालित ग्राम पंचायत विकास योजना निर्माण गांव के विकास में मील का पत्थर साबित होगी