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उन्नाव दुष्कर्म मामलाः पीड़िता के पिता के इलाज में हुई थी बड़ी लापरवाही, रिपोर्ट में डॉक्टर पर आरोप साबित हुए सच

locationउन्नावPublished: Aug 08, 2019 08:26:20 pm

Submitted by:

Abhishek Gupta

उन्नाव दुष्कर्म मामले में पीड़िता दिल्ली के एम्स अस्पताल में जिंदगी और मौत की जंग लड़ रही है।

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उन्नाव. उन्नाव दुष्कर्म मामले में पीड़िता दिल्ली के एम्स अस्पताल में जिंदगी और मौत की जंग लड़ रही है। जारी मेडिकल बुलेटिन में भी कोई सुधार होता नहीं दिख रहा है। इस बीच उसके पिता की मौत को लेकर बड़ा खुलासा हुआ, जिसमें उनका इलाज कर रहे डॉक्टर पर लगाए आरोप जांच में सही साबित हुए हैं। उन्नाव मामले में दिन पर दिन नई परते खुल रही हैं। कल ही उन्नाव कोर्ट में दाखिल याचिका में बताया गया कि पीड़िता, मां व उसके चाचा ने फर्जी टीसी का इस्तेमाल एक मामले में फायदा लेने के लिए किया। वहीं आज पीड़िता के पिता की मौत पर एक नया खुलासा हो गया है।
आज बताया गया है कि उन्नाव दुष्कर्म प्रकरण में पीड़िता के पिता के इलाज में ईएमओ (आकस्मिक चिकित्साधिकारी) ने लापरवाही बरती थी। हालत गंभीर होने पर भी उसे हायर सेंटर के लिए रेफर नहीं किया गया था। यही नहीं सर्जन की जरूरत पर भी उसे नहीं बुलाया गया था। निदेशक प्रशासन ने अपनी जांच में ईएमओ को दोषी पाते हुए स्वास्थ्य विभाग को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है।
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क्या था मामला-
दुष्कर्म पीड़िता के पिता को आर्म्स एक्ट के एक मुकदमे में जेल भेजा गया था। 8 अप्रैल की रात जिला कारागार में उसकी हालत बिगड़ गई थी। रात 9:05 बजे जिला कारागार से उसे जिला अस्पताल लाया गया था। उस वक्त इमरजेंसी वार्ड में आकस्मिक चिकित्साधिकारी डॉ. गौरव अग्रवाल ने ही पीड़िता के पिता का इलाज किया था। लेकिन भर्ती करने के 6 घंटे बाद ही पिता की मौत हो गई थी। इस मामले में मरीज की हालत गंभीर होने के बाद भी उसे जिला अस्पताल से रेफर न करने व ऑन कॉल पर तैनात विशेषज्ञ डॉक्टरों को न बुलाने के आरोप डॉ. गौरव पर लगे थे।
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यह मामला जब गर्माया तब जिला प्रशासन व शासन ने डॉ. गौरव के खिलाफ जांच के आदेश दे दिए थे। मामले की जांच निदेशक प्रशासन डॉ. पूजा पांडेय ने की थी जिसमें डॉ. गौरव पर लगाए गए आरोप सही साबित हुए। इसकी जांच रिपोर्ट बुधवार को निदेशक प्रशासन ने स्वास्थ्य विभाग को सौंप दी। उन्होंने डॉ. गौरव को इलाज में उदासीनता का आरोपी पाया है।

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