ई-रिक्शा और आटो का ओवर लोडिंग नहीं दिख रहा है। सदर चौकी सामने अवैध रूप से सवारियां बैठाती बसे उन्हे नहीं दिखाई पड़ती है। खुले आम कानून को अंगूठा दिखाते हुये निकल रहे है। सब ऐसे ही चलता है कि तर्ज पर यातायात माह भी चल रहा है।
प्रमुख चौराहे अतिक्रमण और अव्यवस्था के कारण कराह रहे यातायात माह चल रहा है। लगभग पांच किलोमीटर की क्षेत्रफल में फैला शहर की जमीनी हकीकत वाली सीमा कहा जाये लखनऊ की तरफ से बाईपास से शुरू होकर करोवन मोड़ तक अधिकतम है। वहीं दूसरी तरफ गदन खेड़ा चौराहा यातायात पुलिस दिखायी पड़ जाती है। राजधानी मार्ग पर पड़ने वाले प्रमुख व व्यस्ततम् चौराहों में से हरदोई पुल, बड़ा चौराहा, छोटा चौराहा, गांघी नगर चौराहा आता है। जहां पर लगने वाले जाम से सभी दो चार होते है।
हरदोई पुल की स्थिति तो और भी विकट हो जाती है। जब शहर के अंदर से निकलने वाले भारी वाहन छोटे हल्के वाहनों को भुनगा समझते हुये आगे चलते रहते है। यातायात माह में बाईपास से हरदोई पुल के बीच कोई विशेष कार्य नहीं किया गया। रास्ते में जगह जगह अतिक्रमण यातायात को बाधित कर रहा है। इनमें कुछ तो स्थायी अतिक्रमण बन चुके है। यहां पर भी यातायात रेंगता है।
अवैध अड्डा का संचालन नहीं रोक पायी पुलिस हरदोई पुल से बड़े चौराहे के बीच सदर चौकी सामने रोडवेज बस अड्डे से लगभग तीन सौ मीटर की दूरी पर अवैध और बिना परमिट के खुले आम बसे सवारियां बैठाती है। कई बार पुलिस प्रशासन ने अवैध रूप से चलने वाले वाहनों को रोकने का प्रयास किया। अवैध वाहन का संचालन तो नहीं रूका। हां पुलिस प्रशासन शांत अवश्य हो गयी। आई बी पी टंकी से बड़े चौराहे की दूरी लगभग पांच सौ मीटर है।
इस बीच में रोडवेज बस अड्डा, सब्जी मंडी, तमाम बैंक, गेस्ट हाउस के साथ बड़ी बड़ी सभी प्रकार दुकाने भी है। जिनके सामने दुकान से ज्यादा माल रखा रहता है। जिससे फुटपाथ पूरी तरह उन्ही के कब्जे में रहता है और दुकान में आने वालों ग्राहकों के वाहन सड़क पर खड़े होते है।
यहीं स्थिति बड़े चौराहे से लेकर गांघी नगर तिराहे तक की है। कहने के लिये अखिलेश शासन में गंदा नाला और छोटे चौराहे के बीच का अतिक्रमण हटा दिया गया। परंतु यहां पर भी दुकानदारों की मनमानी यातायात को अवरोध कर रही है। जिला अस्पताल के सामने की बदतर स्थिति किसी से छिपी नहीं है। जहां गेट पर अचलगंज की तरफ जाने वाले वाहनों के साथ ई रिक्शा का भी जमावड़़ा लगा रहता है। कहने को तो यातायात माह है। परंतु यह केवल और केवल गोष्ठियों व चालान तक सीमित हो गया है।