गांव में कोई कुछ भी बोलने को तैयार नहीं गौरतलब है घटना के संबंध में जानकारी के लिए जैसे ही सीबीआई गांव पहुंचती है लोग अपने आप को घरों में बंद कर लेते हैं सीबीआई से कोई भी बात करने को तैयार नहीं। बल्कि उनके सामने भी नहीं आता है। इधर केंद्रीय जांच ब्यूरो की टीम ने जिला कारागार के डॉक्टर से भी पूछताछ की है। गौरतलब है जिला कारागार में बंदी के दौरान दुष्कर्म पीड़िता के पिता की मौत हो गई थी इस मामले में सीबीआई ने जेल डॉक्टर के अलावा जिला अस्पताल के डॉक्टर को भी लिखित सवाल देकर जवाब मांगा है। सीबीआई के जिला पंचायत कार्यालय में भी जाने की चर्चा है।
सीआरपीसी की धारा 160 के अंतर्गत दिया गया नोटिस जैसे जैसे 21 मई की डेडलाइन लाइन सामने आ रही है। वैसे उसे सीबीआई का की जांच में तेजी आती जा रही है और जल्द से जल्द सभी क्षेत्रों में अपनी उपस्थिति दर्ज कराना चाहती हैं। इसी क्रम में केंद्रीय जांच ब्यूरो ने लगभग एक दर्जन लोगों को सीआरपीसी की धारा 160 के अंतर्गत नोटिस जारी किया है। अपनी नोटिस में केंद्रीय जांच ब्यूरो ने कहा है कि अगले 3 दिनों में लखनऊ कार्यालय पहुंच कर अपनी उपस्थिति दर्ज करवाएं। गौरतलब सीबीआई को गांव से अभी तक कोई भी जानकारी ग्रामीणों द्वारा नहीं मिली है। जिसके बाद उसे यह कदम उठाना पड़ा।
पीड़ित लड़की के कपड़ों की भी हो जांच वहीं दूसरी तरफ सीबीआई ने पास्को अदालत से 11 जून 2017 की घटना से संबंधित है। पीड़िता के सील किए गए कपड़ों को भी अपने स्तर पर जांच कराने के लिए मांग की है। जिसके लिए अदालत में आवेदन किया है। वहीं दूसरी तरफ पीड़ित लड़की का कहना है कि पुलिस ने जो कपड़े सील किए हैं वह उसके हैं ही नहीं। उसने घटना वाले दिन पहने गए कपड़े सीबीआई को दिए हैं। सीबीआई जब कोर्ट से मिले कपड़ों की पोटली लेकर पीड़ित लड़की के पास पहुंची तो उसने बताया कि मार्च 2017 के मुकदमे में पुलिसकी ओर से सील कर कोर्ट में दाखिल किए गए जो कपड़े उसके बताए गए वह वास्तव में उसके हैं ही नहीं। घटना के वक्त उसने सलवार सूट पहन रखा था। जबकि पुलिस ने मैक्सी और कुछ कपड़े मेरे बताकर पुलिस ने सील करके कोर्ट में दिया था। पीड़ित लड़की ने जो कपड़े अब सीबीआई को दिए हैं उसने उन्हें भी सील करके जांच के लिए भेज दिया है। फिलहाल सीबीआई इलाहाबाद हाईकोर्ट में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने के पहले अपनी मजबूती कर लेना चाहती है। जिससे इस बार पहले वाली स्थिति न आने पाए।