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भाजपा विधायक पर दुष्कर्म का आरोप लगाने वाली पीड़िता के चाचा को हुई 10 साल की सजा

locationउन्नावPublished: Jul 02, 2019 05:51:25 pm

Submitted by:

Narendra Awasthi

– 2018 में माखी पुलिस ने दिल्ली से गिरफ्तार किया था चाचा को
– सन 2000 के प्रधानी चुनाव में भाजपा विधायक के भाई पर जानलेवा हमले का मुकदमा हुआ था पंजीकृत
– इसके साथ ही रेलवे थाना में भी चाचा के खिलाफ पंजीकृत है अभियोग

दुष्कर्म पीड़िता का चाचा

भाजपा विधायक पर दुष्कर्म का आरोप लगाने वाली पीड़िता के चाचा को हुई 10 साल की सजा

उन्नाव. दुष्कर्म पीड़िता के पक्ष में जबरदस्त पैरोकारी करने वाले चाचा को 10 साल की सजा सुनायी सजा गई। इसके साथ ही आईपीसी की धारा 506 में भी दोष सिद्ध होने पर एक साल की सजा सुनायी। न्यायालय फास्ट ट्रैक कोर्ट न्यायाधीश ने आरोपी को 10 साल की सजा सुनाते हुए 5 हजार रूपए जुर्माना भी लगाया। दोनों सजायें एक साथ चलेगी। गौरतलब है कि सन् 2000 में दुष्कर्म पीड़िता के चाचा पर प्रधानी चुनाव के समय सन् 2000 में जानलेवा हमला का अभियोग पंजीकृत हुआ था। जिसमें चाचा के साथ उसके दो भाईयों को भी आरोपी बनाया गया था। इसी के साथ गैंगस्टर संबंधी मामले में सफेदा लगाकर दस्तावेजों में अपना नाम महेश के स्थान पर रमेश लिखा था। माखी पुलिस ने चाचा को मुखबिर की सूचना पर 2018 में दिल्ली से हिरासत में लिया था।

फास्ट ट्रेक कोर्ट ने सुनाई सजा

भाजपा विधायक कुलदीप सिंह सेंगर दुष्कर्म का आरोप लगाने वाली पीड़िता के चाचा चर्चा में आ गया। जिसके खिलाफ जनपद के थानों में कई मुकदमा पंजीकृत है। जिसमें आईपीसी की धारा 307 में लगभग 17 वर्षों से फरार रहा। विधायक कुलदीप सेंगर पर दुष्कर्म का आरोप लगाने के बाद चर्चा में आया चाचा की बंद पड़ी फाइल खुली और मुखबिर की सूचना पर चाचा को दिल्ली से गिरफ्तार करके लाया गया जिसके बाद से लगातार चल रही फास्टट्रैक की सुनवाई में कई उतार-चढ़ाव आए अंतता चाचा पर दोष सिद्ध हुआ और फास्ट ट्रेक कोर्ट न्यायाधीश प्रहलाद टंडन ने दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं के तर्क सुनने के बाद अपने 62 पन्नों के निर्णय में चाचा को दोषी करार दिया और 10 साल की सश्रम कारावास की सजा सुनाई। इसके साथ ही ₹5000 का जुर्माना भी लगाया गया। आईपीसी की धारा 506 के अंतर्गत भी चाचा को दोषी करार दिया गया। जिसमें 1 साल की सजा सुनाई। चाचा के अधिवक्ता अजय अवस्थी ने बताया कि दोनों सजाएं एक साथ चलेंगी। उन्होंने बताया कि निर्णय के विरुद्ध उच्च न्यायालय में अपील की जाएगी

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