पीडि़ता के चाचा और विधायक से हुई बातचीत... चाचा : क्या करा रहे हो नेता जी, छोटे-छोटे बच्चों, पप्पू को मरवाना पिटवाना अच्छी बात नहीं है।
विधायक : तुम हम पर ही आरोप लगा रहे हो।
चाचा : आरोप नहीं लगा रहे हैं, सेवा की है।
विधायक : सेवा की है तो सेवा में रहना चाहिए था, मेरे खिलाफ पर्चे बंटवा रहे हो। तू मेरा छोटा भाई है तो क्या मेरे खिलाफ करोगे।
चाचा : मैंने नहीं छपवाया पर्चा, हनुमान नहीं हूं जो सीना फाड़कर दिखा दूं। मेरे वाट्सप पर आया मैंने उसे ही आगे बढ़ा दिया बस इतना दोष है।
विधायक : अच्छा तुम ठीक हो तो मेरे पास आओ। जो लोग तुम्हारी भौजाई को लेकर अप्लीकेशन दिला रहे हैं, इन्हें मना करो।
चाचा : नहीं, मेरी टिंकू से बात हुई थी। मैंने कहा था कि जो मेरे ऊपर फर्जी मुकदमे लिखे हैं, जब आपने मेरे पर फर्जी मुकदमा लिखवाया तो…।
विधायक : नहीं नहीं।
चाचा : दद्दू मेरी बात सुनो मैंने बहुत सेवा की है आपकी, आपने जहां खड़ा किया वहां खड़ा रहा। कभी मना नहीं किया।
विधायक : मेरी एक बात सुनो, अब भगवान की दया से ठीक हुए हो, लोग चाहते हैं कि ये लोग मर जाए। लड़ाई में सबका नुकसान होता है। आप हमारे पास आइए और घर में सब सदस्यों से कह दीजिए कि जो हुआ वो खत्म। तुम हमारे छोटे भाई हो, आगे बढ़ो हम तुम मिलकर एक नया अध्याय शुरू करते हैं।
विधायक : तुम हम पर ही आरोप लगा रहे हो।
चाचा : आरोप नहीं लगा रहे हैं, सेवा की है।
विधायक : सेवा की है तो सेवा में रहना चाहिए था, मेरे खिलाफ पर्चे बंटवा रहे हो। तू मेरा छोटा भाई है तो क्या मेरे खिलाफ करोगे।
चाचा : मैंने नहीं छपवाया पर्चा, हनुमान नहीं हूं जो सीना फाड़कर दिखा दूं। मेरे वाट्सप पर आया मैंने उसे ही आगे बढ़ा दिया बस इतना दोष है।
विधायक : अच्छा तुम ठीक हो तो मेरे पास आओ। जो लोग तुम्हारी भौजाई को लेकर अप्लीकेशन दिला रहे हैं, इन्हें मना करो।
चाचा : नहीं, मेरी टिंकू से बात हुई थी। मैंने कहा था कि जो मेरे ऊपर फर्जी मुकदमे लिखे हैं, जब आपने मेरे पर फर्जी मुकदमा लिखवाया तो…।
विधायक : नहीं नहीं।
चाचा : दद्दू मेरी बात सुनो मैंने बहुत सेवा की है आपकी, आपने जहां खड़ा किया वहां खड़ा रहा। कभी मना नहीं किया।
विधायक : मेरी एक बात सुनो, अब भगवान की दया से ठीक हुए हो, लोग चाहते हैं कि ये लोग मर जाए। लड़ाई में सबका नुकसान होता है। आप हमारे पास आइए और घर में सब सदस्यों से कह दीजिए कि जो हुआ वो खत्म। तुम हमारे छोटे भाई हो, आगे बढ़ो हम तुम मिलकर एक नया अध्याय शुरू करते हैं।
इसके अलावा एक अन्य रिकार्डिंग भी सामने आई है, जिसमे एसपी कार्यालय के एक कर्मी और पीडि़ता के चाचा के बीच हुई बातचीत इस प्रकार है – पुलिसकर्मी : हेलो सर आप ने एसपी साहब को फोन किया था।
चाचा : हां मैं… बोल रहा हूं माखी गांव से। विधायक कुलदीप सेंगर के भाई अतुल सेंगर ने मेरे परिवार को मारा पीटा चार तारीख को।
कर्मी : क्या नाम है अतुल सिंह।
चाचा : यहां एसपी साहब के पास परिवार के लोग आए थे। यहां से लौटे थे उसके बाद चार और पांच की रात से उनका कुछ पता नहीं चल रहा।
कर्मी : अच्छा ठीक हैं थाने को सूचना देते हैं।
एक और आडियो वायरल हो रहा है, जिसे थाने के दारोगा और पीडि़ता के चाचा के बीच हुई बातचीत बताया जा रहा है – चाचा : आवाज आ रही है कि नहीं आ रही साहब।
दारोगा : हां आ रही है क्या बता रहे हो बताओ।
चाचा : मैं …बोल रहा हूं।
दारोगा : बताओ।
चाचा : माखी थाने में मेरे खिलाफ जो मुकदमे अभी लिखे गए हैं वह तीनों फर्जी हैं।
दारोगा : हां फर्जी हैं। पक्का तीनों फर्जी हैं।
चाचा : एसओ साहब से बात करते किसी तरह से फाइनल लगा देते।
दारोगा : नहीं लगाएंगे, आप मेरी बात समझो पहले उन्हीं ने उनको चार्ज दिलवाया है। वह उनके खास आदमी हैं। ये हो नहीं हो पाएगा।
चाचा : सीबीसीआईडी के लिए कल हाईकोर्ट डलवा रहा हूं। उसकी इंक्वायरी आ रही है।
दारोगा : हम तो आपको सही बात बता रहे हैं, यह संभव नहीं है। वो थानाध्यक्ष हैं भाई आप कह रहे होंगे, हम यहां थे नहीं।
समझा करिये हमारी भी कुछ प्रॉब्लम्स हैं
दारोगा : हां आ रही है क्या बता रहे हो बताओ।
चाचा : मैं …बोल रहा हूं।
दारोगा : बताओ।
चाचा : माखी थाने में मेरे खिलाफ जो मुकदमे अभी लिखे गए हैं वह तीनों फर्जी हैं।
दारोगा : हां फर्जी हैं। पक्का तीनों फर्जी हैं।
चाचा : एसओ साहब से बात करते किसी तरह से फाइनल लगा देते।
दारोगा : नहीं लगाएंगे, आप मेरी बात समझो पहले उन्हीं ने उनको चार्ज दिलवाया है। वह उनके खास आदमी हैं। ये हो नहीं हो पाएगा।
चाचा : सीबीसीआईडी के लिए कल हाईकोर्ट डलवा रहा हूं। उसकी इंक्वायरी आ रही है।
दारोगा : हम तो आपको सही बात बता रहे हैं, यह संभव नहीं है। वो थानाध्यक्ष हैं भाई आप कह रहे होंगे, हम यहां थे नहीं।
समझा करिये हमारी भी कुछ प्रॉब्लम्स हैं
इसके अलावा एक और आडियो है जिसे एसपी के रीडर और पीडि़ता के बीच हुई बातचीत बताया जा रहा है – चाचा : नमस्ते सर।
रीडर : आप कौन।
चाचा : मैं… बोल रहा हूं।
रीडर : ठीक ठीक ठीक होल्ड करना। रीडर की तरफ से लंबी खामोशी के बाद वापस रीडर बोले, मैंने विधायक ओ सॉरी सॉरी विवेचक से बात की थी। दोनों वी से ही शुरू होते हैं। बयान में बाद में नाम बढ़ा दिया जाएगा। इसमें कौन सी आफत है।
चाचा : सर मेरी तहरीर बदल दी गई। सर मेरा मूल प्रार्थनापत्र ही बदल दिया गया माखी थाने में।
रीडर : धाराएं बढ़ जाएंगी।
चाचा : धारा की कोई बात नहीं, मेरी मां ने रात में एसपी साहिबा को जो लेटर दिया वहीं थाने में दिया था लेकिन उसमें अतुल सिंह को बाहर कर दिया गया। दूसरे लोगों को शामिल कर दिया गया।
रीडर : तो उसमें शामिल करा दिया जाएगा। कोई प्रॉब्लम की बात नहीं है।
चाचा : सर धारा की कोई बात नहीं कर रहा हूं, मेरा जो मूल प्रार्थना पत्र था उसमें मुख्य अभियुक्त ही अतुल सिंह थे उनको पुलिस ने बाहर कर दिया।
रीडर : आपने सूचना दी, उन्होंने गलती की है तो गलती की सजा भी मिलेगी और आपका काम भी होगा।
चाचा : लेटर आपके पास है एसपी साहिबा को देकर गए उसके बाद भी बदल गया।
रीडर : लेटर बहुत पुराना लिखा गया फोटो कॉपी थी।
चाचा : नहीं सर मैंने वाट्सएप किया मैडम को फोटोकापी नहीं थी। सर कल लेटर लिखा गया था कल ही घटना हुई। हमें क्या पता था कि ये लोग इतना बुरा मारेंगे। जो मैं पहले लेटर लिख लेता।
चाचा : 156-3 की तारीख लगी थी उसके बाद मां की दवा देने के लिए घर जा रहा था वहीं मुकदमा वापस लेने का दबाव बनाने के लिए मरवा देने की धमकी दी गई। फिर मेरे घर में घुसकर मारपीट की गई।
रीडर : जज साहब और मैं धारा नहीं बदलता हूं। परेशान मत हो सब आ जाएंगे।
चाचा : जो मेन एफआइआर से अतुल सिंह का नाम हटा दिया।
रीडर : क्यों परेशान हो रहे हो, सब आ जाएगा। थोड़ा सब्र करिए, आप लड़ाई लड़ रहे हैं हम आपके साथ हैं कुछ समझा करिए। हमारी भी प्रॉब्लम्स हैं कुछ उनको समझने का प्रयास करिए और आप लड़ाई जारी रखिए। हम सब करेंगे।
रीडर : हमारे पास भी मूंछ हैं समझ रहे हैं न हमें भी बुरा लगता है जब किसी कमजोर पक्ष को कोई दबाता है। मेरे सामने अगर कोई दबाएगा तो हम दबाएंगे और कोई नहीं, मेरा यह सिस्टम रहता है, समझ रहे हैं न। वक्त की मांग अपनी एक मांग होती। नहीं लिखा है उसकी भी जांच होगी।
चाचा : सर अतुल का नाम आ जाएगा।
रीडर : बिल्कुल आएगा पक्का आएगा। किसी के बयान में आ जाएगा। लास्ट में आ जाएगा। समय लगेगा आप लगे रहिए।
रीडर : आप कौन।
चाचा : मैं… बोल रहा हूं।
रीडर : ठीक ठीक ठीक होल्ड करना। रीडर की तरफ से लंबी खामोशी के बाद वापस रीडर बोले, मैंने विधायक ओ सॉरी सॉरी विवेचक से बात की थी। दोनों वी से ही शुरू होते हैं। बयान में बाद में नाम बढ़ा दिया जाएगा। इसमें कौन सी आफत है।
चाचा : सर मेरी तहरीर बदल दी गई। सर मेरा मूल प्रार्थनापत्र ही बदल दिया गया माखी थाने में।
रीडर : धाराएं बढ़ जाएंगी।
चाचा : धारा की कोई बात नहीं, मेरी मां ने रात में एसपी साहिबा को जो लेटर दिया वहीं थाने में दिया था लेकिन उसमें अतुल सिंह को बाहर कर दिया गया। दूसरे लोगों को शामिल कर दिया गया।
रीडर : तो उसमें शामिल करा दिया जाएगा। कोई प्रॉब्लम की बात नहीं है।
चाचा : सर धारा की कोई बात नहीं कर रहा हूं, मेरा जो मूल प्रार्थना पत्र था उसमें मुख्य अभियुक्त ही अतुल सिंह थे उनको पुलिस ने बाहर कर दिया।
रीडर : आपने सूचना दी, उन्होंने गलती की है तो गलती की सजा भी मिलेगी और आपका काम भी होगा।
चाचा : लेटर आपके पास है एसपी साहिबा को देकर गए उसके बाद भी बदल गया।
रीडर : लेटर बहुत पुराना लिखा गया फोटो कॉपी थी।
चाचा : नहीं सर मैंने वाट्सएप किया मैडम को फोटोकापी नहीं थी। सर कल लेटर लिखा गया था कल ही घटना हुई। हमें क्या पता था कि ये लोग इतना बुरा मारेंगे। जो मैं पहले लेटर लिख लेता।
चाचा : 156-3 की तारीख लगी थी उसके बाद मां की दवा देने के लिए घर जा रहा था वहीं मुकदमा वापस लेने का दबाव बनाने के लिए मरवा देने की धमकी दी गई। फिर मेरे घर में घुसकर मारपीट की गई।
रीडर : जज साहब और मैं धारा नहीं बदलता हूं। परेशान मत हो सब आ जाएंगे।
चाचा : जो मेन एफआइआर से अतुल सिंह का नाम हटा दिया।
रीडर : क्यों परेशान हो रहे हो, सब आ जाएगा। थोड़ा सब्र करिए, आप लड़ाई लड़ रहे हैं हम आपके साथ हैं कुछ समझा करिए। हमारी भी प्रॉब्लम्स हैं कुछ उनको समझने का प्रयास करिए और आप लड़ाई जारी रखिए। हम सब करेंगे।
रीडर : हमारे पास भी मूंछ हैं समझ रहे हैं न हमें भी बुरा लगता है जब किसी कमजोर पक्ष को कोई दबाता है। मेरे सामने अगर कोई दबाएगा तो हम दबाएंगे और कोई नहीं, मेरा यह सिस्टम रहता है, समझ रहे हैं न। वक्त की मांग अपनी एक मांग होती। नहीं लिखा है उसकी भी जांच होगी।
चाचा : सर अतुल का नाम आ जाएगा।
रीडर : बिल्कुल आएगा पक्का आएगा। किसी के बयान में आ जाएगा। लास्ट में आ जाएगा। समय लगेगा आप लगे रहिए।