साहित्यिक नगरी उन्नाव के मतदाताओं ने अगर अपना मन लिया तो किसी पार्टी का कोई उम्मीदवार कितनी भी कोशिश की हो उसे संसद के दरवाजे तक नहीं पहुंचने दिया। बता दें कि उन्नाव लोकसभा सीट से 1977 से 2014 तक हुए 10 लोक सभा चुनाव में जितने भी प्रत्याशियों को जीत मिली उन सबको बुरी तरह से हार का सामना भी पड़ा। अब इस साल 2019 में लोक सभा इलेक्शन को लेकर फिर से सभी दलों में सियासी जंग छिड़ी हुई है। सभी दलों के लोग हर तरीके से मतदाताओं को लुभाने की कोशिश में लगे हुए हैं और मतदाताओं को अपना मत देने के लिए जागरुक कर रहे हैं। अब देखना ये होगा कि उन्नाव की जनता अपनी लोक सभा सीट पर किसको बैठाती हैं।
– कांग्रेस से जियाउर रेहमान को उन्नाव के मतदाताओं ने तीन बार भारी मतों से विजयी बनाकर सांसद की कुर्सी पर बैठाया और तीन बार बुरी तरह से हार का सामना भी कराया।
– भाजपा प्रत्याशी देवीबक्श को भी लगातार तीन बार उन्नाव से जीतने का मौका मिला और दो बार हार का भी सामना करना पड़ा।
– अनवार अहमद उन्नाव लोकसभा सीट पर केवल दो बार ही राज कर पाए और 1996 में सपा के टिकट पर चुनाव लड़ा लेकिन हार गए। अब वह समाजवादी पार्टी के जिलाध्यक्ष हैं।
– 1996 में राजा विजय कुमार त्रिपाठी और शीला दीक्षित ने भी लोक सभा चुनाव के लिए दावेदारी की। जब परिणाम सामने आए तो पता चला दोनों की दावेदारी धरी की धरी रह गई और दोनों की जमानत जब्त हो गई।
– उन्नाव लोकसभा सीट से कांग्रेस ने जब अन्नू टण्डन को प्रत्याशी चुना तब वह भारी मतों से विजयी हुई और दूसरी बार भी उन्होंने दावेदारी की लेकिन हार गई।