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केंद्रीय कानून मंत्री किरण रिजिजू पर भड़के इलाहाबाद हाईकोर्ट के अधिवक्ता, जानिए वजह

locationप्रयागराजPublished: Nov 23, 2021 08:18:07 pm

Submitted by:

Sumit Yadav

इलाहाबाद हाईकोर्ट की बेंच आगरा में बनाए जाने के बयान पर केंद्रीय विधि एवं न्याय मंत्री किरण रिजिजू के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट के वकीलों का गुस्सा भड़क उठा है। नाराज हाईकोर्ट के वकीलों ने मंगलवार को अंबेडकर चौराहे पर केन्द्र सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की और केंद्रीय कानून मंत्री का पुतला भी फूंका है। इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के पूर्व महासचिव अशोक सिंह ने केंद्रीय कानून मंत्री के इस बयान को इलाहाबाद हाईकोर्ट को कमजोर करने की साजिश करार दिया है। उन्होंने इलाहाबाद हाईकोर्ट की एल्डर कमेटी और

केंद्रीय कानून मंत्री किरण रिजिजू पर भड़के इलाहाबाद हाईकोर्ट के अधिवक्ता, जानिए वजह

केंद्रीय कानून मंत्री किरण रिजिजू पर भड़के इलाहाबाद हाईकोर्ट के अधिवक्ता, जानिए वजह

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट की बेंच आगरा में बनाए जाने के बयान पर केंद्रीय विधि एवं न्याय मंत्री किरण रिजिजू के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट के वकीलों का गुस्सा भड़क उठा है। नाराज हाईकोर्ट के वकीलों ने मंगलवार को अंबेडकर चौराहे पर केन्द्र सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की और केंद्रीय कानून मंत्री का पुतला भी फूंका है। इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के पूर्व महासचिव अशोक सिंह ने केंद्रीय कानून मंत्री के इस बयान को इलाहाबाद हाईकोर्ट को कमजोर करने की साजिश करार दिया है। उन्होंने इलाहाबाद हाईकोर्ट की एल्डर कमेटी और निवर्तमान कार्यकारिणी से मांग की है कि चीफ जस्टिस से मुलाकात कर इस प्रस्ताव का विरोध करें। हाईकोर्ट के एल्डर कमेटी और निवर्तमान कार्यकारिणी इस मामले में जो भी फैसला लेगी उसके साथ हाईकोर्ट के वकील खड़े रहेंगे। कहा कि हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस से यह मांग की है कि तत्काल इस प्रस्ताव पर विचार करें और प्रस्ताव खारिज किया जाए।

बयान पर अधिवक्ताओं फूटा गुस्सा

केंद्रीय विधि और न्याय मंत्री किरण रिजिजु ने एक खेल कार्यक्रम में आगरा में हाईकोर्ट की बेंच बनाने को लेकर बयान दिया था। इस बयान के बाद से ही हाईकोर्ट के वकीलों में आक्रोश है। हाईकोर्ट के वकीलों ने उनके बयान को गैर जिम्मेदाराना व संविधान विरोधी बताया है। वकीलों ने कहा है कि जसवंत सिंह कमीशन के आधार पर केंद्रीय कानून मंत्री ने बयान दिया है। लेकिन वह रिपोर्ट उत्तराखंड राज्य गठन के बाद अब निरर्थक हो चुकी है। वकीलों ने कहा है कि न्यायालयों में 30 फीसदी पद रिक्त हैं। वादकारियों को त्वरित न्याय के लिए हाईकोर्ट और निचली अदालतों में रिक्त पदों को भरा जाना बेहद जरूरी है। ऐसे में यह विघटनकारी कदम देश की राजनीतिक और सामाजिक व्यवस्था पर गलत असर डालेगी। आगरा या मेरठ में हाईकोर्ट की बेंच स्थापित करने से किसी न्यायिक समस्या का समाधान नहीं होगा। यह केवल संविधान की व्यवस्था के साथ खिलवाड़ और राजनीतिक दिवालियापन होगा।
अधिवक्ताओं ने कहा है कि संविधान की व्यवस्था के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट की चार खंडपीठ का गठन इससे कहीं ज्यादा जरूरी है। इस मामले में हाईकोर्ट बार एशोसिएशन की निवर्तमान कार्यकारिणी ने आज एक आपात बैठक भी बुलाई है जिसमें आगे की रणनीति तय की जाएगी।

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