जिले में वर्ष 2010 में बिना मान्यता संचालित मदरसों का मामला प्रकाश में आया था। मदरसा पोर्टल पर जब मदरसों को अपलोड करवाया गया तो 313 मदरसों के कागजात में गड़बड़ी पाई गई। इसकी शिकायत शासन तक हुई। प्रदेश में योगी की सरकार बनने के बाद वर्ष 2017 में अस्तित्व विहीन, बिना मान्यता के चल रहे मदरसों की जांच की जिम्मेदारी एसआईटी को सौंपी गई। जांच के दौरान एसआईटी की टीम ने पाया कि 313 में से 219 मदरसे ऐसे हैं जो सिर्फ कागजों में संचालित हैं। मौके पर इनका कोई अस्तित्व ही नहीं है। इनमें से 39 मदरसा संचालक तत्कालीन अधिकारियों, कर्मचारियों से मिली भगत कर आधुनिकीकरण योजना का लाभ भी ले चुके थे।
इन मदरसों के अलावा 72 मदरसे ऐसे पाए गए, जिनको नियमों को ताक पर रखकर मान्यता दी गई थी। एसआईटी ने इसमें विभाग के तत्कालीन अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध पाई थी। इन मदरसों के खिलाफ मान्यता प्रत्याहरण की कार्रवाई की जानी है।