प्रयागराज के रविद्रनाथ गौड़ आनन्द वृद्धाश्रम में राम कथा क्विज कराया गया। इस क्विज कंपटीशन में बुजुर्गों ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया। राम के विषय पर प्रश्नोत्तरी हुई। जिससे पूरा वातावरण राममय हो गया।
राम से बड़ा है राम का नाम। बुजुर्ग ने अपना अनुभव बताते हुए कहा राम का नाम सबसे बड़ा है।
तुलसीदास या फिर वाल्मीकि जी ने कहीं भी राम नाम के आगे भगवान शब्द का प्रयोग नहीं किया है। राम नरों में उत्तम है, अर्थात नरोत्तम।
सुबह और शाम हम जपते हैं राम का नाम। बुजुर्ग ने अपने दिनचर्या के बारे में बताते हुए कहा कि हम सुबह शाम राम का नाम जपते हैं। राम नाम से हमें आनंद मिलता है।
जब कभी भी आपको उलझन हो या आप बेचैन हो जाए राम नाम से मन को शांति मिलती है।
बहुत अच्छा लग रहा है। आपने अच्छा राम कथा सुनाया। मन आनंदित हो गया। अब जा रहे हैं विश्राम करने।
बस 2 साल का हूं मैं। हां, पिछला 100 साल तो खत्म हो गया। एक शतक के बाद यह मेरा दूसरा साल है। मैं राजस्थान का रहने वाला था। अब यही प्रयागराज का ही हूं।
राम का जीवन मर्यादित रहा है। हमें उनसे सीखना चाहिए। उलझन समस्या और विपत्ति के बारे में छोड़कर हमें प्रभु पर आस्था बरकरार रखनी चाहिए। राम नाम से ही बड़े से बड़ा काम आसन हो जाता है।
मन के सारे भाव जान जाते हैं मेरे प्रभु। हम सभी यहां पर रोज प्रभु की आराधना करते हैं। यह संस्थान हमारे लिए स्वर्ग है। हमारी सेवा करने वाले हमारे लिए भगवान है।
Ayush Dubey
आयुष दुबे हिंदी पत्रकारिता में मल्टीमीडिया जर्नलिस्ट है। तीन वर्षों से हिंदी पत्रकारिता में सक्रिय है। भारतीय राजनीति, अपराध, शिक्षा, साहित्य आदि विषयों में रुचि है।