नए कानूनों के प्रति प्रतिबद्धता
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पिछले दिनों नए कानूनों की प्रगति की समीक्षा की। उन्होंने इन कानूनों को लागू करने और संबंधित सभी स्टेक होल्डर्स को जागरूक करने के लिए आवश्यक निर्देश दिए हैं।बदलावों की खासियत
ये बदलाव विश्व के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश की अवधारणा के अनुरूप हैं। यह शरीर, सोच और आत्मा में पूरी तरह से भारतीय हैं। इन बदलावों में अधिकतम सुशासन, पारदर्शिता, संवेदनशीलता, जवाबदेही, बच्चों और महिलाओं के हितों पर खासा ध्यान दिया गया है।कम्यूनिटी सर्विसेज की शुरुआत: छोटे-मोटे मामलों के निस्तारण के लिए पहली बार कम्यूनिटी सर्विसेज की शुरुआत की गई है, जिससे सेशन कोर्ट में 40 फीसद मुकदमों का निस्तारण हो जाएगा।
राजद्रोह कानून खत्म: नए क्रिमिनल जस्टिस में राजद्रोह का कानून खत्म कर दिया गया है, पर भारतीय संप्रभुता का किसी भी तरह विरोध करने वालों के लिए कड़े दंड का प्रावधान किया गया है।
महत्वपूर्ण बदलाव
आतंकवाद की परिभाषा और दंड: आतंकवाद को साफ तौर पर परिभाषित करते हुए दंड की व्यवस्था की गई है।संगठित अपराध और मॉब लीचिंग: पहली बार संगठित अपराध और मॉब लीचिंग को परिभाषित किया गया है।
महिलाओं की सुरक्षा: चेन और मोबाइल छीनैती के लिए नए कानून लाए गए हैं, जिससे महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
गवाहों की सुरक्षा
गवाहों की सुरक्षा का पुख्ता इंतजाम किया गया है, जिससे वे मुकर नहीं पाएंगे। तकनीक के जरिए परिस्थितिजन्य साक्ष्य पर जोर दिया गया है, जिससे पुलिस भी जवाबदेह बनेगी और अपने अधिकारों का बेजा इस्तेमाल नहीं कर सकेगी।नए युग की शुरुआत
कुल मिलाकर 313 धाराओं में बदलाव किए गए हैं। जो धाराएं अप्रासंगिक हो गई थीं, उन्हें हटा दिया गया है। कुछ में नई टाइमलाइन भी जोड़ी गई है। इन बदलावों से देश गुलामी के प्रतीकों से मुक्त होगा और क्रिमिनल जस्टिस के लिहाज से एक नए युग की शुरुआत होगी।मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का बयान
अपनी समीक्षा में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा था, “प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 15 अगस्त 2023 को स्वाधीनता दिवस पर लाल किले की प्राचीर से देश के सामने पंच प्रण लिए थे, इनमें से एक प्रण था – गुलामी की सभी निशानियों को समाप्त करना। इसी प्रण को पूरा करने के लिए संसद ने अंग्रेज़ों द्वारा बनाए गए कानूनों को सुलभ, पारदर्शी और जवाबदेह बनाने के लिए बदल दिया गया”।अदालत के बाबत आम आदमी की धारणा
अदालत के बाबत आम आदमी की धारणा अक्सर नकारात्मक होती है। लोग इसे समय बिताने के पर्याय के रूप में देखते हैं। यह धारणा अदालती प्रक्रिया और कानूनी जटिलताओं पर करारा तंज है।देरी से मिलने वाला न्याय नेचुरल जस्टिस के विरुद्ध
न्याय पाने में दशकों लग जाते हैं, जिससे नेचुरल जस्टिस का सिद्धांत प्रभावित होता है। नेचुरल जस्टिस का सिद्धांत यह है कि “न्याय होना ही नहीं चाहिए, ऐसा लगे भी कि न्याय हुआ है”।कानूनों की जटिलताएं
अधिकांश कानून अंग्रेजों के जमाने के हैं, जिनका उद्देश्य दंड और भय अधिक था, जबकि न्याय और सुधार के पहलू कम थे। आजादी के बाद इन कानूनों को बदलने की आवश्यकता महसूस हुई।नए आपराधिक कानूनों का लाभ
नए कानूनों से उत्तर प्रदेश को सबसे अधिक लाभ मिलेगा। इनमें दंड की जगह न्याय, पारदर्शिता और स्पीडी ट्रायल पर जोर दिया गया है। फॉरेंसिक लैब की स्थापना: हर जिले में फॉरेंसिक लैब की स्थापना का प्रयास होगा।वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग: समय बचाने के लिए वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग को तरजीह दी जाएगी।
तकनीकी उपयोग: डेटा एनालिटिक्स, साक्ष्यों के संकलन, ई-कोर्ट, दस्तावेजों के डिजिटाइजेशन जैसी प्रक्रियाओं में तकनीक का उपयोग किया जाएगा। इन बदलावों से भारतीय आपराधिक न्याय प्रणाली में व्यापक परिवर्तन होगा और उत्तर प्रदेश को इसका सर्वाधिक लाभ मिलेगा।