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लखनऊ

मंदिर निर्माण पर श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट का नया कदम, अब विहिप नहीं तराशेगी पत्थर

मंदिर निर्माण में नहीं होगी विहिप की खास भूमिकाट्रस्ट अपने हिसाब से कारसेवक पुरम का करेगा इस्तेमाल

लखनऊJun 09, 2020 / 05:48 pm

Mahendra Pratap

मंदिर निर्माण पर श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट का नया कदम, अब विहिप नहीं तराशेगी पत्थर

मंदिर निर्माण पर श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट का नया कदम, अब विहिप नहीं तराशेगी पत्थर

अयोध्या. राम मंदिर निर्माण की तैयारियां अपना रुप रंग ले रही हैं। श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने अपने अधिकारों का प्रयोग करना शुरू कर दिया है। आनलॉक के दूसरे चरण में ट्रस्ट ने राम कचहरी चारों धाम मंदिर में अपना कैंप कार्यालय बनाया। कार्यालय में पहली बैठक कर यह निर्णय लिया कि ट्रस्ट अपने हिसाब से कारसेवकपुरम रखे तराशे पत्थरों का इस्तेमाल करेगा। राम मंदिर आंदोलन के अगुवा रहे विहिप की इसमें कोई खास भूमिका नहीं रहेगी। इस निर्णय के बाद यह संदेश जा रहा है कि अब मंदिर निर्माण में सिर्फ ट्रस्ट की ही, अहम भूमिका रहेगी।
अयोध्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद पांच फरवरी को संसद में पीएम नरेंद्र मोदी ने अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण करने वाले श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट का ऐलान किया था। और उसको यह जिम्मेदारी दी गई कि यह पूरी तरह से मंदिर निर्माण कार्य के लिए स्वतंत्र होगा।
श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट मंदिर निर्माण के लिए पूरी तरह से सजग हो गया है। उसने उन सभी संस्थाओं को अपने अंदर समा लिया है जो मंदिर निर्माण करने का दावा करती है। ट्रस्ट ने पहले मंदिर निर्माण के लिए बैंक में खाता खोला फिर विहिप से पत्थर तराशने का काम अपने हाथ में ले लिया है।
विहिप नहीं कोई दूसरी एजेंसी तराशेगी पत्थर :- अपने कार्यालय में आने के बाद रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र की मंदिर निर्माण समिति की बैठक में यह तय किया गया कि रामजन्मभूमि पर मंदिर निर्माण का महत्वपूर्ण दायित्व लार्सन एण्ड टुब्रो (एलएण्डटी) ही संभालेगी। फिर भी मंदिर निर्माण के लिए पत्थरों की जिम्मेदारी किसी दूसरी विशेषज्ञ एजेंसी को सौंपी जाएगी। इसके लिए एक्सपर्ट एजेंसियों से बातचीत शुरू हो गई है। इसी एजेंसी की ओर से तराशे जा चुके पत्थरों पर जमी काई को साफ भी कराया जाएगा। श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने बताया कि काई छुड़ाने के लिए अत्यधिक सावधानी की जरूरत है अन्यथा पत्थरों को क्षति पहुंच सकती है।
विहिप ने तराशे 1.75 लाख घन फुट पत्थर :- शिल्पी चंद्रकांत सोमपुरा ने 1987 में विहिप के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष अशोक सिंघल के कहने पर राममंदिर का मॉडल तैयार किया था। इसमें पूरे मंदिर के निर्माण में करीब 1.75 लाख घन फुट पत्थर की जरूरत बतायी गई थी। विहिप ने वर्ष 1990 में पत्थर तराशने का काम शुरू किया था। विहिप के अनुसार 1.25 लाख घन फुट पत्थर पहले ही तराशा जा चुका है। और शेष ढांचे के लिए 1.75 लाख घन फुट पत्थर अभी भी तराशा जाना है।
एक कार्यशाला बनानी है:- फिलहाल रामजन्मभूमि परिसर में पत्थरों की तराशी के लिए एक कार्यशाला बनानी है। जिसके बाद भारी भरकम मशीनों का आवागमन शुरू हो जाएगा। क्षीरेश्वरनाथ महादेव मंदिर निकट मुख्य मार्ग से परिसर में मेकशिफ्ट स्ट्रक्चर तक करीब तीन सौ मीटर सम्पर्क मार्ग का निर्माण कराया जाएगा। इसके लिए टेण्डर हो चुका है। ठेकेदार की ओर से परिसर में निर्माण सामग्री डम्प की जाने लगी है। इसी सिलसिले में सोमवार से गिट्टियां गिराई जा रही हैं।
व्यवस्थित ढंग से कार्य के लिए आफिस जरूरी :- विहिप के केंद्रीय मंत्री पंकज ने कहा कि राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के कार्यालय का शुभारंभ हमारे लिए मंगलकारी है। राम मंदिर निर्माण के कार्य व्यवस्थित तरीके से हो इसलिए कार्यालय का उद्घाटन किया गया है। सभी रामभक्तों को इसके लिए बधाई है। पंकज ने कहा कि राम जन्मभूमि के समतलीकरण का कार्य लगभग पूरा हो रहा है। कंपनियां अपने काम का संचालन करने के लिए तैयार भूमिका तय कर रही हैं। कुबेर टीला और गर्भगृह के बीच जमीन खासी नीचे है। इसके लिए मिट्टी की पटाई की जानी है।
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