वाराणसी

जल्द ही BHU दुनिया को देगा ऐसी दवा जिससे कैंसर हो जाएगा छू मंतर

IMS BHU में चल रहा शोध, मिली है बड़ी सफलता, कैंसर तो जाएगा ही अन्य घातक बीमारियां भी दूर होंगी।

वाराणसीNov 06, 2018 / 01:08 pm

Ajay Chaturvedi

कैंसर

डॉ अजय कृष्ण चतुर्वेदी
वाराणसी. महामना की बगिया से जल्द ही निकलेगी ऐसी दवा जो कैंसर जैसे रोग को कर देगी छूमंतर। यह दवा होगी पूरी तरह से हर्बल। इस पर तेजी से काम चल रहा है। बड़ी उपलब्धि भी हासिल हो गई है। ये ऐसी दवा होगी जिससे कैंसर तो जाएगा ही साथ ही कई अन्य घातक बीमारियां भी दूर होंगी।
इस दवा के लिए आईएमएस बीएचयू के माइक्रोबायोलॉजी विभाग में चल रहा है शोध। यह शोध असोसिएट डॉ. प्रद्योत प्रकाश के अधीन आशीष कुमार सिंह कर रहे हैं। प्रो प्रकाश ने पत्रिका से खास बातचीत में बताया कि हल्दी में पाए जाने वाले “करकूमिन” नामक तत्व का अतिसूक्ष्म कण बना लिया गया है। सब कुछ ठीक रहा तो जल्द ही इस शोध से बनी दवा मानव जीवन के लिए वरदान साबित होगी। इस महत्वपूर्ण खोज से अल्जाइमर, पार्किंसन व कैंसर जैसे असाध्य रोगों से मुक्ति मिल पाएगी।
प्रो. प्रकाश ने बताया कि हल्दी का प्रयोग बहुत पहले से आयुर्वेद में हो रहा है। विभिन्न रोगों में हल्दी और तेल का उपयोग किया जाता है। लेकिन हल्दी अभी तक घुलनशील नहीं है। पानी में इसके औषधीय तत्व घुलते नहीं हैं। ऐसे में जब औषधीय तत्व घुलनशील ही नहीं होगा तो वह दवा के रूप में कारगर कैसे होगा। जब तक कोई भी दवा रोगग्रस्त स्थान तक पहुंचे नहीं तो उसका लाभ भी शतप्रतिशत नहीं मिलता। यह जरूर है कि हल्दी के लगातार सेवन से इसका असर जरूर पड़ता है। पर घातक व जानलेवा बीमारियों के लिए जरूरी है कि हल्दी के औषधीय गुण पानी में घुलनशील हों, तभी इसका पूरा फायदा मिल पाएगा। कहा कि कोई भी औषधि जब पानी में नहीं घुल पाए तो खून में भला कैसे घुलेगी। ऐसे में इसे पानी में घुलने के काबिल बनाने की कोशिश की गई। इसमें सफलता भी मिल गई है।
उन्होंने बताया कि अपने देश में अलग-अलग जगह पर हल्दी भी कई प्रकार की मिलती है और अलग-अलग प्रकार की हल्दी के औषधीय गुण भी कई स्तर के है। कहीं दो फीसदी तो कहीं 08 से 10 फीसदी। बताया कि हरिद्राखंड में सर्वाधिक 10 फीसदी तक औषधीय गुण पाया जाता है। लेकिन यह भी पानी में घुलनशील नहीं है। यही कारण है कि आयुर्वेद में भी इसे दूध के साथ ग्रहण करने को कहता है। डेंटिस्ट हल्दी को तेल में मिला कर सेवन करने की सलाह देते हैं। प्रो प्रकाश बताते हैं कि हल्दी का नियमित सेवन दांतो के इलाज में अब भी कारगर है। इसमें पाए जाने वाले तत्व आंतों की बीमारियों के लिए भी फायदेमंद हैं। दरअसल यह शरीर में जा कर ऐसा लेप लगा देता है जो कीटाणुओं को रोगग्रस्त इलाके तक पहुंचने ही नहीं देता।
उन्होंने बताया कि हल्दी में एक खास तत्व पाया जाता है जिसे करकूमिन कहते हैं। यही वह असल तत्व है जिससे सिर्फ कैंसर ही नहीं बल्कि अन्य घातक रोग भी दूर किए जा सकते हैं। उन्होंने कहा कि यह तेल के साथ वसा में भी घुलनशील है, लेकिन पानी में नहीं। लेकिन अब कम से कम प्रयोगशाला में इसके अति सूक्ष्म कण तैयार कर इसे पानी में भी घुलनशील बनाने में सफलता हासिल कर ली गई है। इस रासायनिक प्रक्रिया को पेटेंट कराने के लिए आवेदन किया जा चुका है। यह शोधकार्य “फ्रंटियर्स इन माइक्रोबायोलाजी” जर्नल में प्रकाशित भी हो चुका है।
प्रो प्रकाश ने बताया कि नैनो पार्टिकल के बाद अब क्वांटम डॉट “करकूमिन” के सामान्य अणु (मॉलीक्यूल) की साइज औसतन 2350 नैनोमीटर है, जिसे वर्तमान में 40-50 नैनोमीटर (नैनो पॉर्टिकल) तक ही छोटा बनाया जा सका था। लेकिन बीएचयू के माइक्रोबायोलाजी विभाग की प्रयोगशाला में इसे 2.5 नैनोमीटर (क्वांटम डॉट यानी किसी भी ईकाई की सबसे छोटी मात्रा) तक छोटा कर लिया गया है।
बताया कि पानी में घुलनशीलता के चलते यह अवशोषित होकर रक्त में घुलनशील होगा और कोशिकाओं तक पहुंच कर विभिन्न रोगों पर औषधीय काम कर सकेगा। इसकी विशेषता यह है कि यह शरीर की स्वस्थ कोशिका को छोड़कर अन्य (कैंसर व डेड सेल सहित जीवाणु, विषाणु आदि) पर हमला कर उन्हें जड़ से खत्म कर देता है।

डा. प्रद्योत बताते हैं कि करकूमिन को और कारगर बनाने काम जारी है। अपने प्रयोग को पेटेंट कराने के साथ एनिमल स्टडी की अनुमति लेने की प्रक्रिया जारी है। एनिमल स्टडी के बाद इस प्रयोग को दवा के रूप में मान्यता मिलेगी। फिर मेडिसिन इंडस्ट्री से संपर्क कर बाजार में लाया जा सकेगा। वह बताते हैं कि इसमें सात से आठ साल भी लग सकते हैं।
 
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