अम्बेडकर नगर

एग्जिट पोल में बसपा को बड़ा झटका, माया के गढ़ में कमल खिलाने की चर्चा

वहीं सपा बसपा महागठबंधन के खेमे में चिंता की लकीरें साफ तौर पर दिखाई पड़ने लगी हैं

अम्बेडकर नगरMay 20, 2019 / 04:58 pm

Ruchi Sharma

नरेन्द्र मोदी मायावती

अम्बेडकर नगर. लोकसभा चुनाव के सातवें चरण का मतदान 19 मई को समाप्त होने के बाद अब टीवी चैनलों के साथ साथ आम लोगों में भी जीत हार को लेकर तरह तरह की कयासें लगानी शुरू हो गई है। जहां टीवी चैनलों पर दिए जा रहे एक्जिट पोल के आंकड़ों ने भाजपा समर्थकों में अति उत्साह भर दिया है। वहीं सपा बसपा महागठबंधन के खेमे में चिंता की लकीरें साफ तौर पर दिखाई पड़ने लगी हैं।

55 अम्बेडकर नगर लोकसभा सीट के लिए भाजपा और महागठबंधन से बसपा की सीधी टक्कर है। 18 लाख के लगभग वाले मतदाताओं के इस लोकसभा क्षेत्र में लगभग 61 प्रतिशत मतदान भी हुआ है, जो 2014 के मुकाबले कुछ ज्यादा ही है। पिछले लोकसभा चुनाव में पहली बार यहां से भाजपा के डॉ हरिओम पांडेय ने मोदी लहर में जीत का झंडा गाड़ा था, लेकिन इस बार सभी विपक्षियों के एक सूत्रीय अभियान मोदी हटाओ का नारा देने के बाद ऐसा लगने लगा था कि शायद महंगठबंधन यहां जीत दर्ज कराने कामयाब हो जाएगी, लेकिन 12 मई को हुए चुनाव के बाद जिस तरह की जनचर्चा पूरे लोकसभा क्षेत्र से हो रही है, उससे साफ तौर पर यह कह पाना मुश्किल है कि गठबंधन जीत ही जाएगी।

इस वजह से गठबंधन की बढ़ी हुई है परेशानी

अम्बेडकर नगर लोकसभा क्षेत्र में आमतौर पर जातीय आंकड़े में लगभग 16-17 प्रतिशत मुस्लिम, 18-20 प्रतिशत कुर्मी, 20-22 प्रतिशत दलित, 14 प्रतिशत ब्राम्हण हैं। इसके अलावा ठाकुर बनिया, मौर्य, कुम्हार, कहार आदि दर्जनों ऐसी जातियों के अलावा दलितों में भी कई जातियां हैं, जिनकी संख्या कुछ प्रतिशत ही है, लेकिन एक साथ मिल जाने से ऐसा माना जाता है कि ये जातियां बड़ी भूमिका निभा देती हैं और किसी भी पार्टी का परिणाम बदल देती हैं।
दरअसल भाजपा के खुश होने के पीछे यही फुटकर मतदाता ही हैं, जिनके बारे में यह कहा जा रहा है कि ये सभी भाजपा को वोट दिए हैं। वैसे भी सपा बसपा के परंपरागत वोटों में मुस्लिम, यादव, दलित व अन्य ऐसी जातियां जिनकी जाति के कोई बड़े नेता इस लोकसभा क्षेत्र से हैं, लेकिन भाजपा का कोई परंपरागत मतदाता नहीं है। उसे तो भरोसा बिखरी जातियों को अपने पक्ष में खड़ा करने के साथ ही विपक्षी पार्टियों के मतों में सेंधमारी करने का रहा है। भाजपा कार्यकर्ताओं का दावा है कि कुछ जातियों को छोड़कर बाकी सभी जाति ने उन्हें वोट दिया है और शायद यही भाजपा के खुश होने और गठबंधन के परेशानी का सबब बन चुका है। फिलहाल भाजपा के मुकुट बिहारी वर्मा और बसपा के रितेश पांडेय के समर्थक अपने अपने प्रत्याशियों के जीत के दावे कर रहे हैं।
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