नोएडा। आरुषि हेमराज हत्याकांड को आप अभी तक नहीं भूलें होंगे। कोर्ट ने इस हत्याकांड के जुर्म में आरुषि के पैरेंट्स को उम्रकैद की सजा सुनाई है। बहुत से लोग इस फैसले से इत्तेफाक नहीं रखते हैं। ऐसी ही एक लड़की है, जो रोज सीबीआई की थ्योरी की धज्जियां उड़ा रही है। ये हैं लखनऊ की रहने वाली स्वाति बाजपेयी। स्वाति का कहना है, इस केस में अभी तक इंसाफ नहीं हुआ है और जब तक इंसाफ नहीं होगा मैं और मेरे साथी चुप नहीं बैठेंगे।
अहम ये है कि आज तक स्वाति न तो राजेश तलवार से मिली हैं और न ही नुपुर तलवार से। स्वाति का कहना है, मैं इस केस को पहले दिन से फॉलो कर रही हूं। जब फैसला आया तो मुझे लगा ये गलत हो रहा है। मैंने केस के बारे में जानकारी जुटाना शुरू किया। मामले पर छपी किताब और बनी फिल्म के बाद सीबीआई ने जब इसकी फाइलें सार्वजनिक कीं तो मैंने और मेरे ग्रुप जस्टिस नाऊ ने इसे पढ़ा। मैं और ग्रुप के मेंबर ग्ननाप्रिया, भारत, अनुभव, रवीश व अनिरुद्ध इसे रोज पढ़ते हैं।
सोशल मीडिया पर चला रही हैं फ्री द तलवार कम्युनिटी
स्वाति फिलहाल सोशल मीडिया पर फ्री द तलवार कम्युनिटी चला रही हैं। ये कम्युनिटी किसी और ने शुरू की थी, लेकिन 17 अक्टूबर 2015 से स्वाति ने इसकी बागडोर अपने हाथों में ले ली। इस काम में स्वाति के देश विदेश के साथी मदद करते हैं। 19 अक्टूबर से स्वाति रोजाना सीबीआई की थ्योरी पर एक सवाल उठाती हैं। ये सवाल पूरी टीम तैयार करती है। समय निकालकर सभी लोग रिपोर्ट को एनालाइज करते हैं और उसमें से बेस्ट एनालिसिस को फेसबुक और ट्विटर पर पोस्ट किया जाता है।
कल हम भी हो सकते हैं सिस्टम के शिकार
स्वाति का कहना है, शुरू में तो लोग इस केस के बारे में सुनना ही नहीं चाहते थे। मैं कुछ बोलती थी तो लोग इग्नोर कर दिया करते थे। लेकिन मैंने हार नहीं मानी। मैं चलती गई और लोग साथ आते गए। एक मल्टी नेशनल कंपनी में अधिकारी स्तर पर काम करने वाली स्वाति का कहना है, मैं शादी से पहले से इस केस को फॉलो कर रही हूं और अब एक बेटी की मां भी हूं। मैं समझ सकती हूं कि कोई भी पैरेंट ऐसा नहीं कर सकते। ये हमारे सिस्टम की खामी है जिसके खिलाफ हमें लड़ना होगा, वरना कल को तलवार दंपति की जगह हम या आप कोई भी हो सकता है। वह बताती हैं कि हमारी कम्युनिटी में बेंगलूरू, यूके, कनाडा तक के लोग जुड़े हुए हैं। हम कोई एनजीओ वाले या एक्टिविस्ट नहीं हैं। हम आम आदमी हैं।
सीबीआर्इ की थ्योरी में खामियां
स्वाति का कहना है, मैं न्यूज पेपर नहीं पढ़ती हूं। नौंवी क्लास से ही मैंने न्यूज पेपर पढ़ना छोड़ दिया था, लेकिन इस केस में अपडेट रहने के लिए मैं दूसरों से इसके बारे में पूछती रहती हूं, जिस दिन पेपर में इसके बारे में खबर आती है तो मैं पढ़ती हूं। मैं और मेरा पूरा ग्रुप इस केस की जितनी गहराई में जाते हैं उतना ही हमारा गुस्सा और एग्रेशन बढ़ता जाता है। क्योंकि इस केस में न्याय नहीं हुआ है। सीबीआई की थ्योरी में छेद ही छेद हैं और अदालत ने बहुत सी चीजों को शायद नजरअंदाज कर दिया।
सदमे में है तलवार फैमिली
स्वाति का कहना है, मैंने शुरू में इस कम्युनिटी को छिप कर चलाया। केवल मेरे पति को इसके बारे में पता था। मैंने तय किया था कि इस अभियान को केवल सोशल मीडिया तक ही रखूंगी। मैं आफिस में लंच में या रात में समय निकाल कर सवाल तैयार करती थी। अब मेरे परिवार को मुझपे गर्व महसूस होता है। अब हम लोग तलवार फैमली की हरसंभव मदद भी करना चाहते हैं। मैं कोशिश कर रही हूं कि फैमली तक किसी तरह पहुंचा जा सके। सोशल मीडिया पर भी उन्हें मैसेज करती हूं, लेकिन परिवार सदमे में है। परिवार के बारे में बहुत सारा दुषप्रचार किया गया है। जिस दिन उन्हें लगेगा हम अच्छे लोग हैं और सच में मदद करना चाहते हैं उस दिन वह मेरे मैसेजों का जवाब जरूर देंगे। हमारे ग्रुप ने दिल्ली, लखनऊ व नोएडा में लोगो को जागरूक करने के लिए शांतिपूर्वक प्रदर्शन भी किया है। उन्होंने कहा, हम लोगों से अपील करते हैं कि वे इस केस में हमारा साथ दें और पुराना कानून बदलने में हमारी मदद करें।