याची के अधिवक्ता का कहना था कि 72825 सहायक अध्यापक भर्ती के प्रक्रिया के दौरान ही 15वां संशोधन को हाईकोर्ट में चुनौती दी गयी थी। मामला सुप्रीम कोर्ट तक गया। सुप्रीम कोर्ट ने अपने अन्तरिम आदेश में याचीगण को नियुक्ति देने का आदेश दिया था। 25 जुलाई 2017को सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया। सुप्रीम कोर्ट ने नियुक्ति पा चुके 66655 सहायक अध्यापकों की भर्ती को संरक्षित कर दिया। याचीगण इसी 66655सहायक अध्यापकों में शामिल है। सभी को 17 दिसम्बर 2016 को नियुक्ति पत्र प्राप्त हो चुका है और 6 माह का प्रशिक्षण पूरा कर चुके है। मगर उनको नियुक्ति नहीं दी जा रही है। बेसिक शिक्षा सचिव सरकार को तीन बार पत्र लिखकर सूचित कर चुके हैं कि याचीगण सुप्रीम कोर्ट के निर्णय से आच्छादित हैं। इसके बावजूद याचीगण के मामले में सरकार निर्णय नहीं ले रही है। याचिका पर कोर्ट 17 मार्च को अगली सुनवाई करेगी।
नकल कराने के आरोपी विद्यालय प्रबंधक व प्रधानाचार्य की गिरफ्तारी पर रोक
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यू.पी.बोर्ड की परीक्षा में नकल कराने के आरोपी विद्यालय प्रबंधक और प्रधानाचार्य की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है। मगर कोर्ट ने केन्द्र व्यवस्थापक के विरुद्ध प्राथमिकी में आरोप होने के कारण रोक लगाने से इंकार कर दिया है। विद्यालय के प्रबंधक, प्रधानाचार्य और केन्द्र व्यवस्थापक के खिलाफ धूमनगंज थाने में मुकदमा दर्ज है। याचिका पर न्यायमूर्ति गोविंद माथुर व न्यायमूर्ति अशोक कुमार की खण्डपीठ ने सुनवाई की। याची के अधिवक्ता अनूप त्रिवेदी का कहना था कि प्रबंधक रोशनलाल और प्रधानाचार्य पी.डी.डिसूजा के खिलाफ कोई आरोप नही हैं। दर्ज प्राथमिकी में इनकी कोई भूमिका नहीं है। दोनों उस समय विद्यालय में उपस्थित भी नहीं थे।
उर्दू में अधिसूचनाएं व परिपत्र जारी करने को लेकर कोर्ट ने सरकार से मांगी जानकारी
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश की द्वितीय राजभाषा उर्दू में सरकारी अधिसूचनाएं व परिपत्र जारी करने के मामले में राज्य सरकार से जानकारी तलब की है और याचिका को सुनवाई हेतु 23 मार्च को पेश करने का आदेश दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा ने यू.पी. यूनानी डाक्टर्स एसोसिएसन इलाहाबाद के अध्यक्ष हकीम परवाज उलूम की अवमानना याचिका पर दिया है। याचिका में प्रदेश के मुख्य सचिव राजीव कुमार को कोर्ट आदेश की अवहेलना करने के लिए दण्डित करने की मांग की गयी है। याची का कहना है कि हाई कोर्ट ने मुख्य सचिव को 8 हफ्ते में उर्दू भाषा में अधिसूचना आदि जारी करने के सम्बन्ध में निर्णय लेने का निर्देश दिया था। आदेश की जानकारी होने के बावजूद मुख्य सचिव द्वारा निर्णय नहीं लिया गया। जिस पर यह अवमानना याचिका दाखिल की गयी है।
मिलावटी शराब के आरोपियों की जमानत मंजूर
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 21 हजार 131 बोतल मिलावटी शराब बनाने के आरोपी नरही, बलिया के मुन्ना यादव व उमा यादव की जमानत मंजूर कर ली है और शर्तों के साथ जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा है कि आरोपी साक्ष्यों से छेड़छाड़ नहीं करेगा, गवाहों पर दबाव नहीं डालेगा। सुनवाई की तिथि पर कोर्ट में मौजूद रहेगा। कोई अपराध नहीं करेगा। धमकी आदि नहीं देगा। कोर्ट ने कहा है कि शर्तों का उल्लंघन करने पर कोर्ट को जमानत निरस्त करने की छूट होगी।
यह आदेश न्यायमूर्ति अनिरुद्ध सिंह ने मुन्ना यादव व अन्य की जमानत अर्जी को निस्तारित करते हुए दिया है। याची अधिवक्ता दिनेश राय का कहना था कि याचियों को झूठा फंसाया गया है। कोई स्वतन्त्र गवाह नहीं है, बरामद वस्तुओं की रसायनिक जांच नहीं करायी गयी, जिससे ये साबित हो कि बरामद शराब मिलावटी है। याची 19 जनवरी 2018 डेढ़ महीने से जेल में बन्द है। यदि उसे जमानत पर रिहा किया गया तो वह स्वतंत्रता का दुरूपयोग नहीं करेगा। पुलिस ने 5 लोगांे पर एफआईआर दर्ज कराई है। विनय यादव, गुड्डू यादव, मुन्ना यादव, जयप्रकाश यादव व उमा यादव पर 21131बोतल मिलावटी शराब 2 किलो फिटकिरी, 5 किलो यूरिया, 5 किलो नमक व 3 किलो नौसादर की उनके आवास से बरामदगी का आरोप है। मौके से किसी की गिरफ्तारी भी नहीं हुई है। उन्होंने पता चलने पर कोर्ट में समर्पण किया है। इस पर कोर्ट ने याचियों को जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया है।
विनोद बी.लाल की जमानत पर जवाब तलब
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बिना मान्यता के स्कूल संचालन और धोखाधड़ी के मामले में जेल में बंद शुआटस के पूर्व निदेशक प्रशासक विनोद बी.लाल की जमानत पर जवाब म
ांगा है। जमानत अर्जी पर न्यायमूर्ति एम.के.गुप्ता सुनवाई कर रहे हैं। सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता विनोदकांत और एजीए निखिल चतुर्वेदी ने पक्ष रखा।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बिना मान्यता के स्कूल संचालन और धोखाधड़ी के मामले में जेल में बंद शुआटस के पूर्व निदेशक प्रशासक विनोद बी.लाल की जमानत पर जवाब म
ांगा है। जमानत अर्जी पर न्यायमूर्ति एम.के.गुप्ता सुनवाई कर रहे हैं। सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता विनोदकांत और एजीए निखिल चतुर्वेदी ने पक्ष रखा।