भदोही

MOTHERS DAY SPACIAL: कवि हृदय ने पत्थर पर उकेरी माँ की महिमा

मां की यादों पर लिखी कविताओं को संगमरमर पर उकेर घर मे कराया चस्पा

भदोहीMay 13, 2018 / 11:14 pm

रफतउद्दीन फरीद

मां की याद में कवि ने पत्थर पर उकेरी कविताएं

भदोही. मां का रिश्ता दुनिया मे सबसे अनूठा रिश्ता होता है और आज भी समाज मे ऐसे लोग हैं मां से जुड़ी यादों को सहेज कर रखते हैं और उसके आस पास अपना जीवन व्यतीत कर खुद को कृतार्थ करते हैं। भदोही जिले के ऐसे ही एक कवि हैं जिनका बचपन मे ही मां से साथ छूट गया लेकिन उस पीड़ा से निकले भावों को कविताओं में पिरो कर उस कवि ने रचनाओं को संगमरमर पर उकेर अपने घर की दीवारों में लगवा दिया है ताकि जब वो घर के रहे तो अपनी मां की यादों के बीच जीवन व्यतीत कर सके।
 

मां की महिमा को पत्थर पर उकेरने वाले कवि कृष्णावतार त्रिपाठी ‘राही’ पेशे से अधिवक्ता हैं और एक मशहूर कवि हैं। गम्भीर लेकर हास्य रचनाओं के लिए वो लोगों के बीच प्रसिद्ध हैं। 1965 में राही ग्यारहवीं के छात्र थे उस दौरान उनके माता महादेवी का हृदय गति रुकने के कारण निधन हो गया। माँ के अचानक निधन पर उत्तपन्न हुए असहाय पीड़ा के बाद उन्होंने अपनी मां की महिमा को कविता का रूप दिया और जब जब उनका जीवन आगे बढ़ा तो उन्होंने अपने मां पर लिखी प्रमुख रचनाओं को संगमरमर पर उकेरवा कर अपने कमरे के दीवारों पर चस्पा करा दिया ताकि उनकी मां की याद उनके जीवन मे हमेशा जीवंत रहे।
 

मां पर लिखी उनकी रचनाएं अनेक संग्रहों संकलनों पुस्तकों में प्रकाशित भी हो चुकी हैं। राही खासकर अपनी हास्य रचनाओं के लिए भी लोगों के बीच मे जाने जाते हैं। देश मे नागालैंड, त्रिपुरा और मेघालय को छोड़कर वो सभी राज्यों में आयोजित कवि सम्मेलनों में भाग लेकर अपनी प्रस्तुति दी चुके हैं। अपनी रचनाओं के लिए उन्हें दर्जनों पुरस्कार और राज्यपाल द्वारा सम्मानित भी किया जा चुका है। राही बताते हैं कि पश्चिम बंगाल के पाठ्यक्रम में 2004 से उनके रचनाओं को पढ़ाया भी जाता है। राही कहते हैं कि मां विश्व मे सबसे बड़ी शख्शियत है। मां परमात्मा का जीवंत रूप है। मां की उपेक्षा करने वाले जीवन मे सुखी नही रह सकते।
By Mahesh Jaiswal
Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.