कानपुर

पाक बार्डर पार कर कानपुर पहुंचे ये मेहमान, इनकी गूंज से सराबोर हुआ चिड़ियाघर

भारत और पाकिस्तान के बीच बार्डर में गोलीबारी की घटनाएं आए दिन होती रहती हैं।

कानपुरNov 04, 2017 / 07:09 am

आकांक्षा सिंह

कानपुर. भारत और पाकिस्तान के बीच बार्डर में गोलीबारी की घटनाएं आए दिन होती रहती हैं। दोनों देश के इंसान बिना सैनिकों की मर्जी के सरहद पार नहीं कर सकते, लेकिन पाकिस्तानी परिंदे भारत की सीमा को पारकर कानपुर के चिड़ियाघर और इटावा के राष्ट्रीय चंबल सेंचुरी में एक हफ्ते पहले आकर डेरा जमा चुके हैं। खूबसूरत पक्षियों को देखने के लिए पर्यटक व दर्शक इनके दीदार करने के लिए बड़ी संख्या में जू पहुंच रहे हैं। यहां वाले दर्शक अलग-अलग प्रजातियों के तमाम अनोखे पक्षियों का दीदार कर रहे हैं। जू के डायरेक्टर दीपक कुमार कहते हैं ये प्रवासी पक्षी आने वाले 60-80 दिनों तक कानपुर में ही रहेंगे। जू इस समय 40 से ज्यादा प्रजातियों के प्रवासी पक्षी आ चुके हैं। इनमें पेन्टेड स्टॉर्क,, ओटेन बिल स्टोर्क, कोर्मोरेन्ट, डार्टर, ब्रन्ज जटाना, हेरॉन, पर्पल हेरॉन, किंगफिशर, विस्लिंग डक जैसे पक्षी जू की शोभा बढ़ा रहे हैं।


सर्दी बढ़ने से पहले सीमा के अंदर करते हैं प्रवेश


जू के निदेशक दीपक कुमार ने बताया कि यह पक्षी पाकिस्तान, अफगानिस्तान, श्रीलंका और म्यामार से हर साल सर्दी पड़ने से पहले भारत की सीमा में प्रवेश करते हुए कानपुर के जू में आते हैं। इसके अलवा यह पक्षी इटवा सेंचुरी में अपना ठिकाना बनाते हैं। फरवरी के आखरी सप्ताह के बाद यह सभी परिन्दे अपने वतन को लौट जाते हैं। दीपक कुमार के मुताबिक कानपुर और इटवा में इन पक्षियों के लिए मौसम अनुकूल रहता है। यह यहां तीन से चार माह तक रुकते हैं और गर्मी आते ही फिर अपने वतन को लौट जाते हैं। इन देशों से लगभग चालीस साल से यह सभी प्रजाति के पक्षी हर साल आते हैं।


ताकि प्रवासी मेहमान लंबे समय तक रूक सकें

कानपुर जू इन दिनों विदेशी पक्षियों का करलव गूंज रहा है। हवासीर (पेलिकन), राजहंस (फ्लेमिंगो), समन (बार हेडेटबूल) जैसे विदेशी पक्षी चार महीने मार्च तक यहीं डेरा जमाए रहेंगे। इन आकर्षक पक्षियों को देखने वालों की तादात भी दिन पर दिन बढ़ती जा रही है। मेहमानों को बेहर आबोहवा मिले इसके लिए जे हरा भरा बनाया गया है, ताकि प्रवासी मेहमान यहां लंबे समय तक टिक सकें। सर्दी शुरू होते ही विदेशी मेहमानों के आने का सिलसिला शुरू हो गया है। डॉयरेक्टर दीपक कुमार ने बताया कि नवंबर से ही पक्षियों के आने की शुरुआत एक अच्छा संकेत है। अफगानिस्तान, पाकिस्तान, श्रीलंका तथा म्यांमार से विदेशी पक्षी सेंचुरी में पक्षी आ रहे हैं। इनकी उचित देखभाल की व्यवस्था की गई है। ऐसे इंतजाम किए गए हैं कि इन्हें कोई परेशानी न हो।


अन्य इलाकों में भी ठहरे मेहमान


जू के अलावा यह पक्षी मोतीझील, फतेहपुर के बिन्दगी बावन इमली और उन्नाव नवाबगंज में अपना ठिकाना बनाते हैं। इनकी देखरेख के लिए प्राणिउद्यान के कर्मचारियों के हाथों में रहती है। इनकी पूरी विधिवत गिनती की जाती है और अगर इनका किसी ने शिकार किया तो उसे अरेस्ट कर जेल भेजने का प्रवधान है । वहीं चंबल में भरेह तथा यमुना क्षेत्र में कसौआ इन प्रवासी पक्षियों के आने के प्रमुख स्थान हैं।

 

हालांकि पूरे चंबल में प्रवासी पक्षी आते-जाते हैं,लेकिन इन दो स्थानों पर ज्यादा संख्या में प्रवासी प्रक्षियों डेरा रहता है। यहां आने वाले पक्षियों में ब्रामनीडक को सबसे ज्यादा खूबसूरत माना जाता है। इसे अपने देश की भाषा में सुरखाव भी माना जाता है। इसके अलावा स्पूनवी हॉक, लार्ज कारमोरेन, स्मॉल कारमोरेन और डायटर (स्नेक वर्ड) आकर्षण का केंद्र बने हैं। जू के निदेशक दीपक कुमार ने लोगों से भी अपील की है कि यह मेहमान पक्षी हैं और इनकी सुरक्षा करना हम सभी का दायित्व है। इन्हें कोई पकड़ने या शिकार करने की कोशिश भी न करें। ऐसा करने पर लोगों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

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