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इस वजह से जिंदा हैं आरुषि के माता-पिता राजेश व नुपूर तलवार

Published: Jan 24, 2016 11:49:00 am

Submitted by:

Sharad Mishra

आरुषि—हेमराज हत्याकांड के आरोपी डॉ. राजेश तलवार और उनकी पत्नी नुपूर तलवार गाजियाबाद के डासना जेल में डेंटिस्ट और क्लर्क का काम कर रहे हैं।

नोएडा। आरुषि—हेमराज हत्याकांड के आरोपी डॉ. राजेश तलवार और उनकी पत्नी नुपूर तलवार गाजियाबाद के डासना जेल में डेंटिस्ट और क्लर्क का काम कर रहे हैं। इस हत्याकांड से जुड़ा हर पहलू अब चर्चा का विषय जाता है।

राजेश तलवार के डेंटिस्ट और नुपूर के क्लर्क के रूप में काम करने की खबर भी कुछ ऐसी ही है। आरुषि की आंटी के मुताबिक, दोनों जेल में एक-दूसरे को जीने की हिम्मत बंधाते रहते हैं। हालांकि, तलवार दंपति ने हाईकोर्ट में जमानत अर्जी दी है, लेकिन अभी उनकी अर्जी कतार में है।

बड़े भाई दिनेश तलवार ने किया खुलासा
राजेश के बड़े भाई दिनेश तलवार और उनकी पत्नी वंदना तलवार ने जेल में तलवार दंपति की गतिविधियों की जानकारी दी। तलवार दंपत्ति की इंसाफ की लड़ाई की इस सीरीज की पहली कड़ी में दिनेश और वंदना के इस खुलासे से हम मौजूदा हालात और दंपत्ति की स्थिति बता रहे हैं।

क्या कहना है वंदना का
वंदना का कहना है कि कोई भी पेरेंट अपने बच्चे का कत्ल नहीं कर सकता। हम लोगों को फंसाया जा रहा है। इसके खिलाफ कोर्ट में अपील डाली गई थी, लेकिन वह अभी पेंडिंग है। तलवार दंपत्ति जेल में क्या कर रहा है? ये सभी जानना चाहते हैं। इस बारे में वंदना बताती हैं कि, राजेश और नुपूर जेल के कामों में हाथ बंटाते हैं। राजेश अपने पेशे के अनुसार जेल में डेंटिस्ट का काम कर रहे हैं। वह जेल के डॉक्टर्स की मदद भी करते हैं। इसके अलावा नुपूर तलवार जेल के कुछ क्लैरिकल कामों में हाथ बंटाती हैं।

साथी कैदी नहीं मानते दंपति को हत्यारे
वंदना बताती हैं कि बाहर भले ही लोग अभी भी उन्हें हत्या के लिए दोषी समझते हों, लेकिन जेल के भीतर जो उन्हें जानते हैं, वे समझने लगे हैं। जिन लोगों से भी उनकी बात होती है। वह मानते हैं कि ये लोग दोषी नहीं हैं। वंदना का कहना है कि हम लगातार लड़ रहे हैं और लड़ते रहेंगे, जब तक हमें इंसाफ नहीं मिलेगा, हम चुप नहीं बैठेंगे।

लोगों को इस केस के बारे में बता रहें
वंदना का कहना है कि हम रोज इस मामले में काम कर रहे हैं। लोगों को इस केस से जुड़ी बातें बता रहे हैं। उनको समझा रहे हैं कि कैसे हमें फंसाया गया है। कैसे सीबीआई ने पूर्वाग्रह से ग्रसित होकर स्टोरी फ्रेम की। जो लोग मिलते हैं वह हमारी बात को समझ रहे हैं।

लोगों को पता चलेगा तो हमारे पक्ष में बनेगा माहौल
वंदना ने कहा कि जब तक लोगों को पता नहीं होगा तब तक हमारे पक्ष में माहौल नहीं बनेगा। जिस वक्त कोर्ट ने फैसला सुनाया, उस वक्त मीडिया ने देश भर में ऐसा माहौल बना दिया था, जैसे कि पेरेंट्स ही कातिल हैं, इसका भी फैसले पर बहुत फर्क पड़ा। वंदना का कहना है कि, हम इस माहौल को बदलना चाहता हैं। वैसे इस मामले पर बनी फिल्म और लिखी गई किताब के बाद सकारात्मक माहौल बन रहा है।

अदालत ने दंपति को धारा 302 के तहत दोषी पाया
बता दें कि, अदालत ने दोनों को आईपीसी की धारा 302 के तहत दोषी पाया है। इसके अलावा राजेश तलवार को आईपीसी की धारा 203, 201 और 34 के तहत भी दोषी माना है। वहीं, नुपूर को 302 के अलावा धारा 201 और 34 के तहत दोषी ठहराया गया है।


एक नजर इस मर्डर मिस्‍ट्री पर कि कब क्या हुआ
16 मई, 2008-आरुषि तलवार को नोएडा स्थित अपने घर में मृत पाया गया, उसके गले की नस कटी हुई थी. नेपाली घरेलू नौकर हेमराज पर हत्या का शक।
17 मई 2008-हत्‍या के अगले ही दिन नौकर हेमराज का शव तलवार के घर की छत पर मिला।
18 मई 2008-पुलिस ने कहा कि हत्या का तरीका किसी दक्ष सर्जरी करने वाले द्वारा किया गया जान पड़ता है।
23 मई 2008-आरुषि के पिता दंत चिकित्‍सक राजेश तलवार दोहरी हत्या के लिए गिरफ्तार किए गए।
31 मई 2008-तत्‍कालीन मायावती सरकार ने मामला केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को सौंपा।
13 जून 2008-पुलिस ने राजेश तलवार के कंपाउंडर कृष्णा को गिरफ्तार किया। 10 दिनों बाद तलवार दंपत्ति के चिकित्सक मित्र का नौकर और तलवार के पड़ोसी का नौकर विजय मंडल भी गिरफ्तार किया गया।
12 जुलाई 2008-सीबीआई द्वारा सबूत जुटा पाने में असफल रहने पर डॉ. राजेश को जमानत दी गई।
5 जून 2010-सीबीआई ने तलवार दंपत्ति पर नार्को जांच के लिए अदालत में याचिका दाखिल की।
29 दिसंबर 2010-सीबीआई ने मामला बंद करने की रिपोर्ट दाखिल की और कहा कि मुख्य संदिग्ध आरुषि के पिता राजेश तलवार हैं, लेकिन उनके खिलाफ सबूत नहीं हैं।
25 जनवरी 2011-राजेश तलवार पर गाजियाबाद अदालत परिसर में एक युवक द्वारा हमला किया गया।
9 फरवरी 2011-गाजियाबाद की विशेष अदालत ने सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट खारिज कर दी और कहा कि आरुषि-हेमराज हत्या मामले में राजेश और नुपुर तलवार पर मामला चलाया जाए। दंपत्ति पर हत्‍या के बाद सबूत मिटाने का भी आरोप है। गाजियाबाद की एक सीबीआई अदालत ने दंपत्ति के खिलाफ अदालत में उपस्थित नहीं होने के लिए जमानती वारंट जारी किया।
14 मार्च 2012-सीबीआई ने अदालत में राजेश तलवार की जमानत याचिका खारिज करने की अपील की।
30 अप्रैल 2012-आरुषि की मां नुपूर तलवार को गिरफ्तार किया गया।
3 मई 2012-सत्र अदालत ने नुपूर तलवार की जमानत याचिका खारिज की।
25 मई 2012-तलवार दंपत्ति पर गाजियाबाद अदालत ने हत्या, सबूत मिटाने और षडयंत्र रचने का आरोप लगाया।
25 सितंबर 2012-नुपूर तलवार को सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर जमानत दी गई।
अप्रैल 2013-सीबीआई अधिकारी ने अदालत से कहा कि आरुषि और हेमराज की हत्या राजेश तलवार ने की, सीबीआई ने कहा कि हत्‍या के वक्‍त आरुषि और हेमराज को आपत्तिजनक स्थिति में देखा गया था।
3 मई 2013- बचाव पक्ष के वकील ने एक विशेष अदालत में पूर्व सीबीआई संयुक्त निदेशक अरुण कुमार (गवाह के रूप में) सहित 14 लोगों को समन भेजने के लिए याचिका दाखिल की। सीबीआई ने याचिका का विरोध किया।
6 मई 2013-निचली अदालत ने 14 लोगों को समन भेजने की तलवार की याचिका खारिज की। उसने राजेश और नुपूर तलवार के रिकॉर्डेड बयान लेने के आदेश दिए।
18 अक्टूबर 2013-सीबीआई ने जिरह बंद की और कहा कि तलवार दंपत्ति ने जांच को गुमराह किया है।
12 नवंबर 2013-अदालत ने अपना फैसला 25 नवंबर तक के लिए सुरक्षित रख लिया।
25 नवंबर 2013-सीबीआई की अदालत ने राजेश और नुपूर तलवार को हत्‍या का दोषी करार दिया।

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