फिलहाल, अपनी-अपनी राजनीतिक जमीन मजबूत करने के लिए सपा और प्रसपा दोनों रथ यात्राएं निकाल रहे हैं। आदित्य कहते हैं अखिलेश में लीडरशिप है और शिवपाल अच्छे संगठनकर्ता। दोनों मिल गए तो इस बार परिणाम बदल जाएगा।
अखिलेश पिता के राजनीतिक आर्शीवाद के बाद रथयात्रा पर निकल गए। मुलायम से ऐसा ही अर्शीवाद शिवपाल भी चाहते थे, लेकिन मुलायम ने साफ इंकार कर दिया। हालांकि, यह तय हुआ है परिवार में अब कोई भी किसी के लिए विवाद की स्थिति उत्पन्न नहीं होने देगा।
पिछले विधानसभा चुनाव से पहले सपा परिवार में हुई दंगल में मुलायम के अलावा राम गोपाल यादव, शिवपाल, अखिलेश यादव और दिवंगत नेता अमर सिंह अहम किरदार थे। बताते हैं दंगल के सूत्रधार अमर थे। इस जंग में मुलायम पार्टी अध्यक्ष के पद से हाथ धो बैठे थे। सपा भी दो फाड़ हो गयी थी।
सपा के एक वरिष्ठ नेता को मुताबिक सत्ता की बागडोर फिर से अपने हाथ में करने के लिए मुलायम सिंह यादव कुनबे के संरक्षक की भूमिका में होगे। और पूरी तरह बेटे के साथ खड़े दिखेंगे। अखिलेश ने भी भरोसा दिया है कि वह पार्टी को एक बार फिर सत्ता में वापस लाकर मुलायम को राजनीतिक विरासत की वापसी का गिफ्ट देंगे।