सुल्तानपुर

लॉक डाउन इफेक्ट : गेहूं की फसल का नामो निशान नहीं बचा, आजाद घूम रहे अपराधी

जिले में कई गौशालाएं संचालित हो रही हैं। शासन द्वारा गोशालाओं के नाम पर भारी भरकम धनराशि भी व्यय की जा रही है फिर भी जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में झुण्ड के झुण्ड घूम रहे अवारा पशु किसानों के लिए मुसीबत बन गए हैं।

सुल्तानपुरApr 02, 2020 / 08:42 pm

Mahendra Pratap

लॉक डाउन इफेक्ट : गेहूं की फसल का नामो निशान नहीं बचा, आजाद घूम रहे अपराधी

सुलतानपुर. जिले में कई गौशालाएं संचालित हो रही हैं। शासन द्वारा गोशालाओं के नाम पर भारी भरकम धनराशि भी व्यय की जा रही है फिर भी जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में झुण्ड के झुण्ड घूम रहे अवारा पशु किसानों के लिए मुसीबत बन गए हैं। जिस पर किसी भी महकमे से ठोस कार्य नहीं किया जा रहा है। बस नगर पालिका क्षेत्र में घूम रहे पशुओं को कैटिल कैचर से पकड़ने की व्यवस्था बनाई गई है। वह भी सौ प्रतिशत खरी नहीं उतर रही है।
गांव में हालात बहत खराब है। बारिश की वजह से किसान वैसे ही बहुत बुरी स्थिति में है। उपर से जो फसल बच गई थी उस पर झुंड के झुंड पशु जिस खेत में घुस जाते हैं उसे पूरा साफ कर देते हैं। कोई सरकारी महकमे इन आवारा पशुओं को पकड़ने का जोखिम नहीं उठाया रहा है। ऐसे में किसानों की आय दुगुनी करने की सरकारी घोषणा मात्र ढकोसला बन कर रह गई है। एक तरफ मौसम की मार ने किसानों की कमर तोड़ दी है तो दूसरी तरफ बची खुची फसलों को लाक डाउन में अवारा पशु नष्ट कर रहे हैं।
दूबेपुर ब्लाक क्षेत्र अन्तर्गत ग्रामपंचायत उतुरी, पकड़ी पूरे जद्दू, थन्हवारवारी, सरैया पूरे सांऊ, कुतुबपुर, भादा, बिसानी, अलहदादपुर, बहरौली, गौहानी, कतकौली, आदि दर्जनों गांवों में झुण्ड के झुण्ड घूम रहे इन आवारा पशुओं ने किसानों की कमर तोड़ दी है। बीते 22 मार्च को जनता कर्फ्यू के दौरान लोग अपने घरों में कैद होकर रह गए। उसके बाद 25 से हुए लाकडाउन में भी लोग घरों से नहीं निकले। ऐसे में इन आवारा पशुओं ने किसानों की फसल को जमकर नुकसान पहुंचाया।
प्रतिदिन खेतों में डेढ़ से दो दर्जन जानवरों को फसलें चरते देखा जा सकता है लाक डाउन में कुछ खेत ऐसे भी देखने को मिले जिसमें बोई गई गेहूं की फसल को आवारा पशुओं ने इस कदर चर लिया कि उसमें अब गेहूं की फसल का कोई नामो निशान नहीं बच पाया है। ग्रामपंचायत पकड़ी में रेलवे क्रासिंग के बगल खेतों में गेहूं की फसलों में एक साथ घुसे दो ढाई दर्जन मवेशियों ने एक भी पेड़ नहीं छोड़ा। सरकार दावे करती है कि किसानों की आय दुगुनी हो चुकी है। अगर इसी तरह आय होती रही तो किसान मर जाएगा। खाद बीज पानी जुताई बुआई में जमा पूंजी खर्चा करने के बाद किसानों को फसल काटने की नौबत ही नहीं आएगी तो किसान की गृहस्थी कैसे चलेगी।
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