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सीएम योगी राज में भी पुलिस करा रही पशु तस्करी, ऑडियो वायरल होने से मचा हड़कंप

locationवाराणसीPublished: Sep 24, 2018 03:24:44 pm

Submitted by:

Devesh Singh

पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र का पुलिस थाना भी शामिल, प्रति माह तीन से पांच लाख रुपये तय हुआ रेट

police corruption

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वाराणसी. सीएम योगी आदित्यनाथ सरकार भले ही पशु तस्करी रोकने के तमाम दावे कियो जाते हैं, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है। पुलिस के संरक्षण में जमकर पशु तस्करी करायी जा रही है। प्रति थाना तीन से पांच लाख रुपये महिने का रेट तक निर्धारित है। बड़ी बात यह है कि इस खेल में पीएम नरेन्द्र मोदी के संसदीय क्षेत्र के पुलिस थाना भी शामिल है। सोशल मीडिया पर एक ऑडियो वायरल होने से हड़कंप मचा हुआ है ऑडियो में एक सिपाही व तस्करों की बातचीत बतायी जा रही। पत्रिका अपने स्तर से इस ऑडियो की पुष्टि नहीं करता है।
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सरकार कहती कुछ है और होता कुछ है। यह बात पशु तस्करी पर बिल्कुल फिट बैठ रही है। यूपी की सत्ता संभालने के बाद सीएम योगी आदित्यनाथ ने अवैध बूचड़खानों पर कार्रवाई करायी थी। नयी सरकार के शुरूआती दिनों में सब कुछ सही चल रहा था लेकिन समय के साथ ही व्यवस्था बदल गयी। सीएम योगी सरकार की पुलिस पर पशु तस्करी रोकने की जिम्मेदारी थी वही अब तस्करी कराने में जुट गयी है। सोशल मीडिया पर एक ऑडियो वायरल हुआ है जिसमे एक सिपाही व तस्कर के बीच बातचीत बतायी जा रही है जिसमे पशु से भरे ट्रक को छुड़ाने के लिए लाखों रुपये का सौदा हो रहा है। ऑडियो लीक होने के बाद से पुलिस प्रशासन में हड़कंप मच गया है।
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इन चार जिलों के पुलिस थानों से मिलता है गोवंश तस्करों को संरक्षण
वाराणसी, भदोही, इलाहाबाद व चंदौली के सीमावर्ती पुलिस थानों से पशु तस्करों को संरक्षण मिलता है। सीमा से सटे हुए थानों को प्रति माह तीन से पांच लाख रुपया दिया जाता है इसके बाद रात में पशुओं से भरे हुए ट्रक आराम से निकाल दिये जाते हैं। पुलिस थानों की कमाई में अधिकारी से लेकर नेता तक शामिल है इसलिए कभी कोई कार्रवाई नहीं होती है।
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चार ट्रक पकड़ते हैं और 10 ट्रक करा देते हैं पार
पुलिस बड़ी सावधानी से सारा काम करती है। पशुओं से भरे हुए दो-चार ट्रक पकड़ लिया जाता है जिससे सभी को लगता है कि पुलिस सख्ती से पशु तस्करी रोकने में जुटी हुई है। चार ट्रक को पकडऩे के बाद पशुा से भरे हुए 10 ट्रक पार भी कराया जाता ह, जिससे प्रति माह लाखों रुपये की कमाई पर ग्रहण न लगे।
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थानेदार नहीं होता है तैयार तो हटाने के लिए खर्च करते हैं पांच से दस लाख
पुलिस थानेदार पशुा तस्करी कराने को तैयार नहीं होता है तो यह तस्कर उसे हटाने में देर नहीं करते हैं। पुलिस अधिकारी व सत्ता पक्ष के लोगों को पांच से दस लाख रुपये तक दिया जाता है और किसी आरोप में उस थानेदार को हटा दिया जाता है इसके बाद पशुे तस्कर अपने सेटिंग के पुलिसकर्मी को थानेदार बना देते हैं और आराम से तस्करी करते रहते हैं।
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पिछले दो माह में तस्करी ने पकड़ा जोर, चुनाव से पहले जेब भरने की कवायद
पिछले दो माह में पशु तस्करों ने जोर पकड़ लिया है। लोकसीाा चुनाव 2019 के पहले सभी अपनी जेब भर लेना चाहते है, जिससे चुनाव के समय होने वाली सख्ती से तस्करी बंद करानी पड़े तो दिक्कत न हो। पशु तस्करी में बड़े गैंग तक शािमल हो गये हैं। अधिकारियों के सामने पशु तस्करी का मुद्दा भी विभाग के लोग उठा चुके हैं, फिर भी कोई कार्रवाई नहीं हो रही है।
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बनारस के थाने को बताया जा रहा वायरल ऑडिया
वायरल ऑडियो में पशु तस्कर व पुलिस सिपाही की बातचीत बतायी जा रही है। हैदर नाम का सिपाही से पशु तस्कर बात रह रहे हैं और कहते हैं कि जब 2.50 लाख रुपये थानेदार को ट्रक छोडऩे पर देना था हम रात में 1.७५ लाख रुपये लेकर पहुंच गये थे। रविवार को पैसों का जुगाड़ करने में दिक्कत होती है इसके बाद भी 2.20 लाख की व्यवस्था कर दिये थे इसके बाद भी ट्रक नहीं छोड़ा गया। बातचीत में बात भी सामने आती है कि मुजफ्फर व गुड्डू के ट्रक को नहीं पकड़ा जाता है लेकिन हमारे ट्रक को पकड़ लिया गया है। बातचीत के अंत में दूसरे पक्ष को देख लेने की बात कही जाती है। पुलिस विभाग के सूत्रों की माने तो दो दिन से पशु तस्करी में प्रयोग हो रहे ट्रक को पकड़ा गया था और छोडऩे के नाम पर सौदा चल रहा था इसी बीच मामला लीक हो जाने के बाद से बैक डेट में ट्रक चालक व संचालक के खिलाफ कार्रवाई की जाती है।
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