उन्होंने कहा कि भविष्य में ऐसा दोबारा करते पाए जाने पर आईपीसी की धारा 269 एंव 270 के तरह कार्रवाई की जाएगी। इसके अंतर्गत न्यूनतम छह माह अधिकतम दो वर्ष तक जेल हो सकती है। उन्होंने कहा सभी को पर्सन लॉगिन आईडी उपलब्ध करा दी गई है। जिसके माध्यम से टीबी के मरीजों की जानकारी उन्हें अप डेट करनी है ताकि मरीज का व्यापक स्तर पर इलाज सुनिश्चित किया जा सके। उन्होंने कहा कि 2025 तक देश को टीबी से मुक्त करने के संकल्प को पूरा करने की यह एक महत्वपूर्ण कड़ी है।
इससे पूर्व मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ वी बी सिंहन ने बताया कि पुनरीक्षित राष्ट्रीय क्षयरोग(टीवी) नियंत्रण कार्यक्रम के तहत स्वास्थ्य विभाग ने अपनी मुहीम तेज कर दी है। इस कार्यक्रम के तहत पांचवे चरण में तपेदिक(टीबी) के मरीजों की पहचान और इलाज सुरनिश्ति करने के लिए 153 टीमें 34 पर्यवेक्षक की निगरानी में गठित की गई है।
यह टीमें चार से लेकर 14 सितम्बर तक वाराणसी के चिन्हित क्षेत्रों के 76,615 घरों में जाकर 409030 लोगों की स्क्रीनिंग करेगी और जरुरत समझने पर बलगम की जाँच की जाएगी। जाँच में टीबी की पुष्टि होने पर उसका तत्काल इलाज शुरू कराया जाएगा। उक्त जानकारी सीएमओ डॉ वी.बी.सिंह ने विकास भवन में प्रेसवार्ता के दौरान दी।
पांचवे चरण में इन क्षेत्रों में चलाया जाएगा अभियान अभियान के तहत चोलापुर, डीटीसी, दुर्गाकुंड, हरहुआ, काशी विद्यापीठ, पिंडरा, रामनगर, सेवापुरी और शिवपुरी में 153 टीमें 34 पर्यवेक्षक की निगरानी में घर- घर जाकर टीबी के मरीजों की स्क्रीनिंग करेंगी। इस दौरान किसी भी व्यक्ति में टीवी के लक्षण पाए जाने पर जांच के बाद तत्काल इलाज शुरू किया जाएगा।
टीबी के मरीजों को पोषण योजना के तरह सरकार दे रही है पैसे समस्त टीबी के मरीजों को जो सरकारी या प्राइवेट अस्पतालों में इलाज करा रहे है उनके स्वस्थ्य पोषण योजना के तहत पांच सौ रूपया प्रतिमाह डीबीटी द्वारा उनके खाते में दिया जा रहा है।
तपेदिक(टीबी) के लक्षण दो हफ्ते से खॉसी आना। लगातार वजन कम होना। भूखकम लगना। शाम के समय बुखार आना। बलगम के साथ खून आना। सीने में दर्द का बना रहना। सोते समय पसीना आना आदि। इन लक्षणों के पाए जाने पर व्यक्ति को तत्काल निकट स्वास्थ्य केंद्र जाकर परीक्षण कराना चाहिए।
एक मरीज पर सरकार एक लाख से लेकर 20 लाख तक कर रही है खर्च जिला क्षयरोग अधिकारी राकेश कुमार सिंह के मुताबिक टीवी के मरीजों पर सरकार एक लाख से लेकर 20 लाख तक खर्च कर रही है। लिहाजा लोगों से अपील है कि टीबी के खात्मे के लिए चिकित्सकों का सहयोग करें। ताकि सरकार द्वारा निर्धारित समय 2025 तक देश को टीबी से मुक्त करने के संकल्प को पूरा किया जा सके।
टीबी के मरीजों की मोबाइल के जरीए की जाएगी मॉनिटरिंग टीबी के मरीज समय पर दवा ले रहे है या नहीं इसकी मॉनिटरिंग के लिए मोबाइल का सहारा लिया जाएगा। मरीज को जिस लिफाफे में दवा दी जाएगी उसपर एक टोल फ्री नंबर लिखा रहेगा साथ ही मरीज का नंबर रजिस्टर्ड होगा। मरीज के कॉल करने पर मॉनिटरिंग कर रही टीम को उसके दवा लेने का नोटिफिकेशन आ जाएगा।