scriptDussehra 2019- वाराणसी में जलाया गया 70 फीट ऊंचा रावण का पुतला, ढाई घंटे की हुई अनोखी रामलीला | 70 feet high effigy of Ravana burnt in DLW on Dussehra 2019 | Patrika News

Dussehra 2019- वाराणसी में जलाया गया 70 फीट ऊंचा रावण का पुतला, ढाई घंटे की हुई अनोखी रामलीला

locationवाराणसीPublished: Oct 08, 2019 07:24:00 pm

Submitted by:

Ajay Chaturvedi

Dussehra 2019- तुलसीकृत रामचरित मानस पर आधारित ढाई घंटे की लीला ने मोहा दर्शकों का मन-लीला के बाद 70 फीट ऊंचे रावण के पुतले का हुआ दहन-आकर्षक आतिशबाजी का भी लोगों ने लिया लुत्फ

Dussehra 2019-

Dussehra 2019-

वाराणसी. धर्म नगरी काशी में मंगलवार को विजयादशमी पर असत्य पर सत्य की जीत का महापर्व धूम धाम से मनाया गया। गोधूलि बेला में एक लाख से ज्यादा की श्रद्धालुओं की भीड़ के बीच मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम ने बुराई के प्रतीक रावण के 70 फीट ऊंचे पुतले में आग लगाई। इसके साथ ही पूरा मेला क्षेत्र “बोल सिया राम चंद्र की जय” के उद्घोष से गूंज उठा। रावण के साथ ही कुंभकरण और मेघनाथ के पुतले भी जलाए गए।
Dussehra 2019-
डीएलडब्ल्यू के केंद्रीय खेल मैदान में इस लीला के लिए लोग दोपहर से ही पहुंचने लगे थे। लीला शुरू होते होते तिल रखने की जगह नहीं बची थी। सुरक्षा के भी पुख्ता इंतजाम रहे। इस बीच शुरू हुई गोस्वामी तुलसी दास द्वारा रचित रामचरित मानस पर आधारित डीरेका इंटर कॉलेज के बच्चों की प्रस्तुति। बच्चों के इस मूक अभियन ने लोगों का दिल जीत लिया। लीला के विभिन्न प्रसंगों के साथ दर्शक कभी बिलखते नजर आए तो कभी जोश से लबरेज। कभी हनुमान के चरित्र की वाहवाही की तो कभी जामवंत और सुग्रींव के चरित्र पर तारीप के कसीदे काढे।
ये भी पढें-VijayaDashmi पर वाराणसी में जलाया जाएगा सबसे ऊंचा रावण का पुतला

Dussehra 2019-
IMAGE CREDIT: patrika
डीरेका का पूरा मैदान मंगलवार को रामचरित मानस पठकथा का रंगमंच सा बन गया था। इस मौके पर बच्चों ने राम वन गमन से लेकर रावण वध तक की लीला को ढाई घंटे में रूपक के माध्यम से प्रस्तुत किया । मंजे हुए कलाकारों की तरह उन्होंने अपने-अपने किरदार को निभाया। खासियत यह कि इन कलाकारों को बोलना नहीं नहीं था, संवाद तो मंच से बोला जा रहा था लेकिन उनकी भाव-भंगिमा से कोई सहज ही पकड़ नहीं सकता था कि संवाद कहीं और से हो रहा है।
बता दें कि ढाई घंटे की यह लीला में 60 प्रतिशत दृश्य और 40 प्रतिशत श्रब्य होती है। संवाद मंच से बोले जाते हैं और पात्र मूक अभिनय करते हैं। इसमें रामचरित मानस की चौपाइयों, गीत, कजरी और हिंदी की सभी विधाओं का प्रयोग किया जाता है।
लीला की पूर्णता के बाद मैदान के पूरब की ओर रखे रावण, कुंभकरण और मेघनाद के विशालकाय पुतलों में श्री राम का चरित्र निभा रहे युवक ने एक-एक कर आग लगाई और देखते ही देखते तीनों पुतले जल उठे और उसमें भरे पटाखों ने रंग दिखाना शुरू कर दिया। इसके बाद आकर्षक आतिशबाजी भी हुई। बता दें कि इस बार रावण का पुतला 70 फीट ऊंचा जबकि ऊंचा होगा मेघनाद का पुतला 60 फीट और कुंभकरण पुतला 65 फीट ऊंचा था।
मेला में आई भीड़ का आलम यह रहा कि मेला समाप्ति के बाद दर्शकों का जो रेला निकाल कि डीरेका के बाहर यातायात का भारी दबाव बन गया। इस भीड़ में कई एम्बुलेंस फंस गईँ। इस भीड़ को संभालना मुश्किल हो रहा था। जो यातायात पुलिसकर्मी वहां तैनात किए गए थे उनके बस का यातायात संतुलन था नहीं। आलम यह कि डीरेका से लहरतारा से और अखरी बाई पास तक भारी जाम लग गया।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो