scriptशरद पूर्णिमा पर काशी के गंगा तट पर शहीदों और पुरखों की स्मृति में जले आकाश दीप | Aakashdeep Burnt in memory of martyrs on Sharad Purnima | Patrika News

शरद पूर्णिमा पर काशी के गंगा तट पर शहीदों और पुरखों की स्मृति में जले आकाश दीप

locationवाराणसीPublished: Oct 24, 2018 07:53:08 pm

Submitted by:

Ajay Chaturvedi

कार्तिक पूर्णिमा यानी देव दीपावली तक जलेंगे ये दीप

Aakashdeep Burnt in memory of martyrs on Sharad Purnima

Aakashdeep Burnt in memory of martyrs on Sharad Purnima

वाराणसी. मोक्ष दायिनी नगरी काशी, जहां मृत्यु के पश्चात मोक्ष की प्राप्ति होती है वहां वीर सैनिकों, शहीदों और पुऱखों की स्मृति में आकाश दीप भी जलाए जाते हैं। ऐसा इसलिए कि परलोक के पुण्य पथ पर दिवंगत आत्माओं के विचरण का पथ आलोकित रहे। यह आकाश दीप कहीं कार्तिक माह के पहले दिन जलाया जाता है तो कहीं शरद पूर्णिमा पर। इसी कड़ी में शीतला घाट पर बुधवार शरद पूर्णिमा की शाम जैसे ही धुंधलका हुआ आकाश दीप प्रज्ज्वलित किया गया।
वैसे दिव्य कार्तिक मास में गंगा तट, सरोवरों, कूपों बावड़ियों और घर की छतों पर आकाशदीप जलने की प्रथा काशी में सदियों पुरानी है। एक परंपरा के तहत काशी के दशाश्वमेध घाट पर प्रति वर्ष अश्विन पूर्णिमा से कार्तिक पूर्णिमा तक पुलिस और पीएसी के वीर जवान जो अपने कर्तव्य का निर्वहन करते हुए आकस्मिक निधन को प्राप्त हुए ऐसे वीर जवानों के आत्मिक शांति के लिए गंगोत्री सेवा समिति द्वारा आकाशदीप जलाई जलाया गया। यही नहीं शहीदों की याद में पीएसी के जवानों ने बैंड धुन से उन्हें श्रद्धांजलि दी।

आयोजन की शुरूआत पांच वैदिक ब्राम्हणो द्वारा मां गंगा के षोडशोचार पूजन से हुई। इसके बाद गंगा की पवित्र धारा में 101 दीप प्रवाहित करने के बाद वेद पाठ के बीच दिब्य ज्योति की टोकरी को अनंत आकाश की ओर ले जाया गया। आकाश मंडल में लालिमा छाने के साथ समिति ने उनका नमन किया जिन्होंने अपनी समूची जिंदगी आम नागरिको के अमन चैन को बनाये रखने के लिए अपने सुख शान्ति को त्याग कर अपने कर्तव्य का निर्वहन किया।
आकाश में सितारों की तरह टिमटिमाते ये आकाश दीप कार्तिक मास में भले ही पूर्वजों के लिए प्रज्वलित किया जाता है लेकिन आज से मास पर्यन्त जलाये जाने वाली यह आकाशदीप पुलिस और पीएसी के उन ज़वानों की याद में जलाये जाते है जो देश के लिए शहीद हुए हैं। उनकी शहादत को सलाम करने के साथ ही मां गंगा से प्रार्थना की गई कि उनकी आत्मा ज़हां कहीं भी हो शांति और सुकून से हो। इस मौके पर देश प्रेम की पवित्र भावना से जुटे श्रद्धालुओं ने भी अपनी श्रद्धा सुमन अर्पित किये।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि बछेंद्री पाल ने कहा कि शहीदों के सम्मान में हमें भर्सक प्रयास करना चाहिए और गंगा मां को हम सभी को पुरे मनोयोग से साफ़ करने में जुड़ना चाहिए। गंगोत्री सेवा समिति के संस्थापक अध्यक्ष किशोरी रमन दुबे ने बताया कि कार्तिक मास के समान कोई मास नहीं, सतयुग के समान कोई युग नही, वेदों के समान कोई शास्त्र नहीं और गंगाजी के समान दूसरी कोई नदी नहीं हैं। गंगा के घाट पर कार्तिक माह में ज़लता ये आकाश दीप इस बात का परिचायक है कि हमारे शहीदों के प्रति हमारे मन में श्रद्धा की रौशनी कितनी उज्जवल है। आयोजन में प्रमुख रूप से गंगोत्री सेवा समिति के अध्यक्ष पं किशोरी रमन दुबे (बाबू महाराज), अभिमन्यु यादव, दिनेश शंकर दुबे, शांति लाल जैन ,कन्हैया त्रिपाठी, संकटा प्रसाद, हरी प्रसाद अग्रवाल, राजेश शुक्ला, रामबोध सिंह आदि मौजूद रहे।
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