script12 दिन में 230 किलोमीटर चल कर 05 जिलों को इस तपती दोपहरी में झकझोर डाला इन पदयात्रियों ने, देखें तस्वीरों में… | Patrika News
वाराणसी

12 दिन में 230 किलोमीटर चल कर 05 जिलों को इस तपती दोपहरी में झकझोर डाला इन पदयात्रियों ने, देखें तस्वीरों में…

7 Photos
6 years ago
1/7

बनारस के भारत माता मंदिर से निकली थी ये पदयात्रा
ये यात्रा थी 'जन अधिकार पदयात्रा' जो बनारस के भारत माता मंदिर से निकली थी 26 जून को। इस यात्रा के पथिकों को जाना था तकरीबन 230 किलोमीटर दूर बलिया तक। इस सफर में आम आदमी पार्टी के पदाधिकारियों, कार्यकर्ताओं को जनता का मन जानने और उन्हें झकझोरने में लग गए 12 दिन। रविवार आठ जुलाई को जब यह यात्रा अपने अंतिम पड़ाव पर पहुंची तो पार्टी के पूर्वांचल संयोजक संजीव ने कहा कि, प्रथम चरण यात्रा के नायक और हम सबके अगुवा सांसद संजय सिंह की असीम ऊर्जा को ईश्वर इसी तरह बनाये रखें ताकि देश व प्रदेश की सामाजिक एवं राजनैतिक परिस्थितियों में बदलाव हो सके।

 

2/7

जेठ आसाढ की तपती दोपहरी भी नहीं डिगा सकी हौसला
यह यात्रा वाराणसी से निकली तो जौनपुर, आजमगढ़, मऊ होते बागी बलिया तक पहुंची। रास्ते भर इन यात्रियों का स्थानीय जनता ने खैरमकदम भी किया। इनकी बातें सुनी गईं। लोगों का समर्थन भी मिला। चाहे वो किसान हों, व्यापारी हों, नौजवानों हों, मजदूर हों यहां तक कि महिलाओं ने भी बढ़ चढ़ कर इनके हौसला अफजाई में कोई कोर कसर नहीं रख छोड़ी। इन 12 दिनों तक लगातार पैदल चलते-चलते, पसीना बहाते-बहाते ये 230 किलोमीटर खुद तो निकल गए वो भी इस जेठ-आषाढ़ की तपती दोपहरी में, इस दौरान कुछ लोग इन पर फब्ती भी कसते रहे। लेकिन इन्होंने इसकी तनिक भी परवाह नहीं की। बस बढ़ते गए और कारवां जुटता गया।

3/7

कभी सूर्य ने ली परीक्षा तो कभी इंद्र ने दी राहत
हलांकि जन अधिकार पदयात्रा " के 11वें दिन लगभग 215 किमी की दूरी तय करते हुए यात्रा बलिया के द्वार ( धरहरा चट्टी ) पहुचन पर ही क्रांतिकारी पदयात्रियो का उत्साह देखते बन रहा था। उनके उत्साह की परीक्षा कभी भगवान भाष्कर ने ली तो कभी इंद्रदेव हौसला बढाते नजर आए। इस दौरान संजय सिंह के कई रूप देखने को मिले, कभी वह थके कार्यकर्ताओं के लिए फीजियोथेरिपिस्ट की भूमिका में दिखे तो कभी किसी टीम के कोच की भूमिका में। साथ ही लोक गीत-संगीत के फनकार के रूप में भी इनकी प्रस्तुति ने साथियों की थकान को मिटाने में महत्वपूर्ण भूमिका आदा की। " लाफ्टरगिरी" को तो पूछना ही क्या।

 

4/7

इस दौरान इन्होंने इस 230 किलोमीटर की पदयात्रा में गांव-गांव, पुरवा-पुरवा छान मारा। जगह-जगह सभाएं कीं और लोगों को बताया कि उनका अधिकार। इसमें चाहे नौजवान हों, किसान हों, बेरोजगार हों, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता हों, मजदूर हों, श्रमिक हों, हिंदू हों या मुसलमान हों। सभी को उनके हक और हुकूक के लिए संघर्ष करना सिखाने की कोशिश की। बताया कि बिना संघर्ष के कुछ भी हासिल नहीं होने वाला।

 

5/7

आम जन के बीच भाजपा सरकार की कलई खोलने की भरपूर कोशिश की। बताया कि सत्ताधारी दल केवल सपने दिखा कर लोगों को बरगलाने की कोशिश में जुटा है। युवतियों और महिलाओं को बताया कि आबरू बचाने के लिए उन्हें भी एकजुट होना होगा। लड़ना होगा क्योंकि बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ का नारा खोखला है।

6/7

इस यात्रा में उन्होंने एक तरह से पूर्वाचंल की जनता की आंख खोलने की कोशिश की। इस तपती दोपहरी में पसीने से लतफत, गमछा से मुंह पोंछते रहे पर उनके चेहरे पर शिकन तक नहीं आई। बिना थके, बिना हारे, बस चलते रहे। ये अपने मकसद में कितना सफल हुए ये तो वक्त ही बताएगा लेकिन अपनी तरफ से इन्होंने कोई कोर कसर नहीं रख छोड़ी। इस यात्रा ने पूर्णता पाई बलिया के टाउन हॉल मैदान में जहां संजय सिंह ने बागी बलिया की जनता और आप कार्यकर्ताओं को अपने खास अंदाज में जम कर झकझोरा। हालांकि इस पदयात्रा के नायब संजीव कहते हैं कि यह तो अभी अंगड़ाई है, आगे बहुत लड़ाई है।

7/7

इस यात्रा की पूर्णता पर संजीव सिंह ने कहा..

" खुष्क दरिया में थोङी रवानगी और है,
रेत के नीचे थोङा पानी और है।
कौन पूछेगा इन गूंगे मुंसिफो से हकीकत ?
ले देकर हमारी- आपकी बेज़ुबानी कुछ और है।"

loksabha entry point
Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.