बीजेपी, कांग्रेस व सपा अपने छात्र संगठनों के माध्यम से युवाओं को पार्टी में जोड़ते हैं। लोकसभा चुनाव 2019 से पहले प्रमुख पार्टी अपने छात्र संगठनों के माध्यम से विश्वविद्यालय व कॉलेजो में ताकत दिखाने की तैयारी की थी। इलाहाबाद विश्वविद्यालय में हुए चुनाव में सपा के साथ राष्ट्रीय छात्र संगठन ने अपनी ताकत दिखायी थी। अध्यक्ष पद पर सपा के समाजवादी छात्रसभा ने कब्जा किया था इसके बाद एनएसयूआई व एबीवीपी को भी सीट मिली थी लेकिन अध्यक्ष पद पर चुनाव हारने के कारण एबीवीपी पर सवाल उठने लगे थे। एबीवीपी ने बनारस चुनाव में अपनी नयी रणनीति पर काम किया और दो विश्वविद्यालय में एक कॉलेज में 3-0 से अध्यक्ष पद पर कब्जा जमाया।
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काशी विद्यापीठ, संस्कृत विश्वविद्यालय के बाद हरिश्चन्द्र पीजी कॉलेज में मिली जीत
पीएम नरेन्द्र मोदी के संसदीय क्षेत्र बनारस में महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के छात्रसंघ चुनाव को बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। यहां पर RSS की पैरवी के बाद भी एबीवीपी ने अपने अनुसार विकास पटेल को अध्यक्ष पद पर टिकट दिया था इसको लेकर संघ ने नाराजगी तक जतायी थी। एबीवीपी की रणनीति कामयाब हुई और अध्यक्ष पद पर कब्जा कर लिया। अन्य पदों पर समाजवादी छात्रसभा ने अपने प्रत्याशी जीता कर साबित किया कि छात्र राजनीति में वह भी बड़ा संगठन है। यहां पर एनएसयूआई का खाता तक नहीं खुला था। यूपी कॉलेज के चुनाव में छात्रसंगठन का पैनल नहीं लड़ता है इसलिए चुनाव परिणाम को लेकर छात्र संगठना अपना दावा नहीं करता है। सम्पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में एबीवीपी के प्रत्याशियों ने चारों प्रमुख पद पर कब्जा जमा कर सबको चकित कर दिया था यहां भी एनएसयूआई को एक सीट में जीत नहीं मिली थी।
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पीएम नरेन्द्र मोदी के संसदीय क्षेत्र बनारस में महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के छात्रसंघ चुनाव को बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। यहां पर RSS की पैरवी के बाद भी एबीवीपी ने अपने अनुसार विकास पटेल को अध्यक्ष पद पर टिकट दिया था इसको लेकर संघ ने नाराजगी तक जतायी थी। एबीवीपी की रणनीति कामयाब हुई और अध्यक्ष पद पर कब्जा कर लिया। अन्य पदों पर समाजवादी छात्रसभा ने अपने प्रत्याशी जीता कर साबित किया कि छात्र राजनीति में वह भी बड़ा संगठन है। यहां पर एनएसयूआई का खाता तक नहीं खुला था। यूपी कॉलेज के चुनाव में छात्रसंगठन का पैनल नहीं लड़ता है इसलिए चुनाव परिणाम को लेकर छात्र संगठना अपना दावा नहीं करता है। सम्पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में एबीवीपी के प्रत्याशियों ने चारों प्रमुख पद पर कब्जा जमा कर सबको चकित कर दिया था यहां भी एनएसयूआई को एक सीट में जीत नहीं मिली थी।
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यादव समाज के गढ़ जाने जाने वाले हरिश्चन्द्र छात्रसंघ में भी मिली जीत
हरिश्चन्द्र पीजी कॉलेज में हुए छात्रसंघ चुनाव में अध्यक्ष पद पर एबीवीपी ने कब्जा करके दो साल पहले की कहानी दोहरायी है अन्य तीन पदों पर समाजवादी छात्रसभा ने कब्जा कर अपना जादू बरकरार रखा है। यादव समाज के गढ़ कहे जाने वाले हरिश्चन्द्र पीजी कॉलेज में अध्यक्ष पद पर सपा के समाजवादी छात्रसभा को हराना आसान नहीं था लेकिन एबीवीपी ने इस चुनाव को जीत कर छात्र राजनीति में 3-0से फतह हासिल की है। एबीवीपी की यह ताकत लोकसभा चुनाव में कितना काम आती है यह तो समय ही बतायेगा। इतना तो साफ हो गया कि इलाहाबाद विश्वविद्यालय छात्रसंघ चुनाव में मिली हार के बाद एबीवीपी ने जोरदार वापसी की है।
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