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BHU के गिरफ्तार छात्रनेता को रिमांड पर लेने की तैयारी, आरोपियों ने नहीं किया सरेंडर तो होगी कुर्की

locationवाराणसीPublished: Dec 22, 2017 06:25:24 pm

Submitted by:

Ajay Chaturvedi

पुलिस इस बार किसी को बख्शने के मूड में नहीं, गिरफ्तारी के लिए दबिश जारी।

बीएचयू

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वाराणसी. बीएचयू में तीन दिन पहले हुई हिंसा और आगजनी के आरोपी छात्रों पर इस बार पुलिस कोई रहम नहीं दिखाने जा रही है। यहां तक कि परिसर की विभिन्न आठ घटनाओं में आरोपी समाजवादी छात्रसभा की बीएचयू इकाई प्रभारी आशुतोष सिंह के लिए अब संकट के दिन आ गए हैं। पुलिस ने उन्हें सीपीडब्ल्यूडी की ओर से दर्ज कराए गए रंगदारी के मामले में रिमांड पर लेने की तैयारी में जुट गई है। माना जा रहा है कि पुलिस को इस मामले में सफलता भी मिल गई है। इसके अलावा गत 20 दिसंबर को परिसर में हुई आगजनी और तोड़फोड़ के मामले में जिन 15 छात्रों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज किया गया है उन्हें भी पुलिस छोड़ने वाली नहीं है। पुलिस के एक उच्चाधिकारी की मानें तो इन्होंने अगर सरेंडर नहीं किया तो उनके घरों की कुर्की तय है। ऐसे में देर सबेर उन्हें सरेंडर करना ही होगा।
बता दें कि समाजवादी छात्रसभा के नेता आशुतोष पर कुल आठ मामले दर्ज हैं। इसमें गत सितंबर में छात्राओं के आंदोलन के वक्त सिंह द्वार पर लगी महामना की प्रतिमा पर कालिख पोतने का प्रयास, अक्टूबर में आईआईटी बीएचयू के सांस्कृतिक कार्यक्रम से पहले तोड़फोड़, सरसुंदर लाल चिकित्सालय के मुख्य चिकित्साधीक्षक डॉ ओपी उपाध्याय को फोन पर धमकी देने व गाली गलौज करने तथा रात में उनके सरकारी आवास पर पेट्रोल बम फेके जाने, आईआईटी निदेशक के फर्जी फेसबुक आकाउंट वाली घटना जैसे मामलों में गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज है। ऐसे में माना जा रहा है कि इन्हें इतनी आसानी से पुलिस नहीं छोड़ने वाली। इसी बीच सीपीडब्ल्यूसी कर्मयों से रंगदारी का मामला सबसे गंभीर हो गया है जिस पर आशुतोष को रिमांड पर लिया जा रहा है। ऐसे ही अन्य मामलों में भी पुलिस ने गंभीर रुख अपना लिया है।
पुलिस के एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर पत्रिका से बातचीत में कहा कि इन छात्रों को पहले ही सबक सिखा दिया गया होता। लेकिन परिसर में गत सितंबर में छेड़खानी प्रकरण में फैली हिंसा के मामले में ही बड़ी कार्रवाई हो गई होती लेकिन शासन स्तर से ही उसे दबा दिया गया। ऐसे में जिनके विरुद्ध एफआईआर दर्ज हुई थी उनके खिलाफ कार्रवाई से हाथ खींचना पड़ा। इससे पहले भी कई बार ऐसा हुआ, कभी शासन तो कभी प्रशासन और कभी विश्वविद्यालय प्रशासन ही पीछे हट जाता रहा जिससे इनका मनोबल बढ़ता रहा। लेकिन इस बार किसी को बख्शा नहीं जाएगा। एक-एक को चिह्नित कर लिया गया है सीसीटीवी फुटेज से। उनके घरों पर दबिश दी जा रही है। दोस्तों से भी पूछताछ होगी। लेकिन छोड़ा नहीं जाएगा किसी को। गिरफ्तारी तो होगी।
बता दें कि बीएचयू में पिछले दो-ढाई साल के भीतर परिसर में हुई विभिन्न वारदातों के मामले में लंका थाने में 45 मुकदमें दर्ज किए गए लेकिन बमुश्किल चार-पांच मामलों को छोड़ कर अधिकांश मामलों में आरोपियों की गिरफ्तारी तो दूर, उन्हें चिह्नित भी नहीं किया जा सका। पिछले 23 सितंबर को बीएचयू परिसर में छात्रों ने पुलिस पर बम फेंके थे। जमकर तोड़फोड़ और आगजनी की थी। इस मामले में एक हजार अज्ञात छात्रों के खिलाफ लंका थाने में मुकदमा दर्ज किया गया लेकिन तफ्तीश में जुटी क्राइम ब्रांच तीन महीने बाद भी सिर्फ बयान दर्ज करने तक ही सीमित है। इससे पूर्व फरवरी 2017 में परिसर स्थित विश्वनाथ मंदिर और सिंह द्वार पर, अप्रैल में भारतेंदु हॉस्टल और राजाराम हॉस्पिटल के छात्रों के बीच और सितंबर में छात्रा के साथ रैगिंग की घटना के बाद पथराव और जमकर मारपीट हुई थी लेकिन आरोपियों को अब तक चिह्नित नहीं किया जा सका।
लेकिन लंका पुलिस के अनुसार पांच ऐसे छात्रों को चिह्नित किया गया है जो बीते डेढ़ साल से बीएचयू परिसर और आसपास होने वाली सभी हिंसक घटनाओं में शामिल रहते हैं। आला अधिकारियों के निर्देश पर इन चिह्नित पांच छात्रों के घर से लेकर यहां तक के आपराधिक मुकदमों का विवरण जुटाया जा रहा है। पुलिस इस बार इन सभी के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की तैयारी में है।
इस मुद्दे पर आईजी रेंज दीपक रतन ने पत्रिका से बातचीत में कहा कि जिन 15 छात्रों के खिलाफ मुकदमा दर्ज है उनकी गिरफ्तारी के प्रयास किए जा रहे हैं। हालांकि इस बीच यह भी ध्यान रखा जाएगा कि कहीं कोई बेगुनाह छात्र के विरुद्ध कार्रवाई न हो जाए। ऐसे में आरोपियों का पिछला रिकार्ड भी खंगाला जा रहा है। लंका पुलिस को इस संबंध में दिशा निर्देश दिए जा चुके हैं। उन्होंने बताया कि परिसर में शुक्रवार को कोई फ्लैग मार्च नहीं था। दरअसल विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से पुलिस को परिसर प्रवेश की इजाजत नहीं है। ऐसे में सामान्य तौर पर क्षेत्रीय पुलिस ने परिसर में घूम कर एक दबाव बनाने का प्रयास किया।
उधर विश्वविद्यालय में दो दिन पूर्व की घटना में जिन पंद्रह छात्रों पर चीफ प्राक्टर ने नामजद मुकदमा दर्ज कराया है, उसमें से दो छात्रों ने गुरुवार को कार्यवाहक कुलपति को ज्ञापन देकर फर्जी तरीके से फंसाने की शिकायत की। साथियों संग केंद्रीय कार्यालय पहुंचे एमए प्रथम वर्ष के प्रवीण राय योगी ने कहा कि शक के आधार पर उन्हें फंसाया जा रहा है। बताया कि घटना के समय शुभम हॉस्पिटल में परिजन के साथ मौजूद था। दूसरे छात्र आशुतोष ने घटना के समय चंदौली में होने की बात की कही है। छात्रों ने मामले की निष्पक्ष जांच कराकर न्याय की गुहार लगाई है। बीएचयू में बुधवार को हुए बवाल को लेकर 15 नामजद छात्रों की गिरफ्तारी के लिए छह पुलिस टीमें गठित की गई हैं।
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