पीएम को भेजे अमृता के पत्र की प्रति पत्रिका को भी मिली है। इस पत्र में अमृता ने कहा है कि 2014 के लोकसभा चुनाव में वह काफी प्रभावित थीं, तब लगा था कि देश में कुछ सकारात्मक कार्य करेंगे। लेकिन जैसे-जैसे वक्त बीतता गया पता चला कि वह अपने वादों के प्रति गंभीर नहीं हैं।
अमृता ने लिखा है कि आपका एक लक्ष्य है कि अपनी झूठी गरीबी का स्वाग दिखाना और देश को हिंदू-मुस्लिम के मुद्दे में उलझाए रखना, जिता देश का पैसा आपने अपने विज्ञापन पर खर्च किया उतने में कितने गरीबों और किसानों का भला हो जाता। प्रदेश में आज सरकारी पदों पर जातीय आधार पर अपने चहेतों की भर्ती कराई जा रही है। अब चुनाव आ गया है तब आप फिर से अपना वही पुराना राग (हिंदू-मुस्लिम) अलापने लगे हैं। लिखा है कि जब को इंसान मुसीबत में होता है तो वह अपने इष्ट देव को याद करता है, उसी तरह जब आप चुनावी संकट देखते हैं तो पाकिस्तान को याद करते हैं। तब क्यूं न माना जाए कि पाकिस्तान आपका इष्ट देवता है।
उन्होंने लिखा है कि संविधानिक संस्थाओं को कमजोर करके आपने देश को कमजोर किया है। इसके लिए देश आपको कभी माफ नहीं करेगा। सांप्रदायिक भाषणों से आपने एक बार पुनः साबित कर दिया कि आपने 05 साल में ऐसा कुछ नहीं किया जिसके बल पर आप देश में वोट मांग सकें। वापस आपने भाजपा की दशकों पहले वाली सांप्रदायिक व विभाजनकारी नीति का सहारा लिया है। यह सब सोच कर आहत हूं।
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