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ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का बड़ा फैसला, ज्ञानवापी सर्वे मामले को टेक ओवर करेगा बोर्ड

locationवाराणसीPublished: May 18, 2022 02:20:50 pm

Submitted by:

Karishma Lalwani

Gyanvapi Dispute: ज्ञानवापी मस्जिद विवाद को लेकर सभी की नजरें सुनवाई पर टिकी हुई हैं। इस बीच ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) ने बड़ी घोषणा की है। बोर्ड की वर्चुअल मीटिंग में तय हुआ है कि ज्ञानवापी मस्जिद केस को बोर्ड टेक ओवर करेगा।

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Gyanvapi Masjid File Photo

Gyanvapi Dispute: ज्ञानवापी मस्जिद विवाद को लेकर सभी की नजरें सुनवाई पर टिकी हुई हैं। इस बीच ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) ने बड़ी घोषणा की है। बोर्ड की वर्चुअल मीटिंग में तय हुआ है कि ज्ञानवापी मस्जिद केस को बोर्ड टेक ओवर करेगा। इसके लिए एक लीगल कमेटी बनेगी। इसी कमेटी के जरिये बोर्ड कानूनी तौर पर केस को टेक ओवर करेगा और उसकी पैरवी करेगा। साथ ही ज्ञानवापी विवाद को लेकर मुस्लिम पक्ष राष्ट्रपति से मुलाकात भी करेगा। इसके अलावा यह भी तय हुआ है कि मथुरा और अन्य महत्वपूर्ण मस्जिदों के मामलों में भी पर्सनल लॉ बोर्ड पैरवी करेगा। ऐतिहासिक मस्जिदों में जुमे की नमाज के दौरान लोगों को जागरूक किया जाएगा। कमेटी का गठन दो से तीन दिन में हो जाएगा। मीटिंग में असदुद्दीन ओवैसी, राबे हसनी नदवी समेत तमाम सदस्य मौजूद रहे।
मौजूदा स्थिति को लेकर जताई चिंता

मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की इस बैठक में शामिल हुए सदस्यों ने ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर चिंता जताई। मस्जिद को लेकर पैदा हुए हालात और मौजूदा स्थिति को देखते हुए यह तय किया गया कि मुस्लिम पक्ष की ज्ञानवापी केस लड़ने में हर तरह की मदद की जाएगी।
ज्ञानवापी सर्वे पर जताई नाराजगी

गौरतलब है कि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने ज्ञानवापी सर्वे को लेकर नाराजगी जताई है। एआईएमपीएलबी के महासचिव मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी ने कहा कि ज्ञानवापी मस्जिद बनारस, मस्जिद है और रहेगी। उसको मंदिर बनाने का कुप्रयास सांप्रदायिक घृणा करने की साजिश से ज्यादा और कुछ नहीं। उन्होंने दावा किया है कि यह एतिहासिक तथ्यों और कानून के खिलाफ है।
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उन्होंने कहा कि 1937 के दीन मोहम्मद बनाव राज्य सचिव मामले में अदालत ने मौखिक गवाही और दस्तावेजों में यह निर्धारित किया गया है कि पूरा परिसर ही मुस्लिम वक्फ बोर्ड के स्वामित्व के पास है और मुस्लमानों को इसमें नमाज अदा करने का हक है। अदालत ने यह भी तय किया कि विवादित भूमि में से कितना भाग मस्जिद है और कितना भाग मंदिर है, उसी समय वजूखाना को मस्जिद की मिल्कियत स्वीकार किया गया।
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