विवाद समझ से परे, शंकराचार्य से बात करनी चाहिेए प्रो मिश्र ने कहा कि काशी में सारे धर्मों के साथ लेकर चलने वाले हैं। सबके बीच अच्छा सामंजस्य है। ऐसे में अजान बनाम हनुमान चालीसा का कोई मतलब नहीं। हर धर्म का अपना नियम है विधान है। अगर किसी को किसी तरह की दिक्कत है तो शंकराचार्य हैं उनसे बात कर सकते हैं। कोर्ट है, वहां जा सकते हैं अपनी फरियाद ले कर। इस मसले पर विवाद सही नहीं। ये देश संविधान से चलता है। सभी को अपने धर्म के पालन की छूट है। ऐेसे में ये विवाद समझ से परे है।
हनुमान चालीसा को लेकर कोई विवाद नहीं संकट मोचन मंदिर के महंत ने कहा कि, किसी के विवाद पैदा करने से कुछ होने वाला भी नहीं। हनुमान चालीसा का पाठ करने के नियम व सिद्धांत है। हनुमान चालीसा में ही साफ लिखा है, “जो शत बार पाठ कर कोई…।” जो नियमित तौर पर धार्मिक कृत्य नही कर सकता तो उसके लिए कहा गया है कि वो हनुमान चालीसा का पाठ करें। वो भी हनुमान विग्रह के सम्मुख खड़े हो कर। विग्रह नही भी मिलता तो हनुमान जी का ध्यान कर पाठ करें। उन्होंने कहा कि हनुमान चालीसा का पाठ करें तो सात बार, 100 बार करें। ये पांच बार ही क्यों? ऐसा कोई नियम नहीं है। नियमानुसार पाठ करने से बड़ा संबल मिलता है। गोस्वामी जी ने इसे कुछ खास उद्देश्य से लिखा था। इसके नियमित पाठ से सिद्धि मिलती है, कल्याण होता है। लेकिन उसका भी नियम है उसी के अनुसार पाठ करें। इसे नाहक किसी राजनीतिक विवाद का एजेंडा नहीं बनाया जाना चाहिए।
ये आंधी-तूफान जैसे आया है वैसे ही चला जाएगा उन्होंने कहा कि काशी स्प्रिचुअल स्पेश है। यहां अजान बनाम हनुमान चालीसा का कोई मतलब नहीं। अब यहां ये विवाद क्यों किया जा रहा, कौन कर रहा है ये नहीं जानता पर ये बता सकता हूं कि इस देश में हर किसी को अपने धर्म के अनुसार पूजा-पाठ, करने की छूट है। इस देश में हर धर्म के लोग आपसी समन्वय से रहते है। अपने-अपने धर्म के अनुसार धार्मिक कृत्य करते है। इस पर विवाद नहीं हो सकता। ये आंधी-तूफान जैसे आया है वैसे ही चला जाएगा। वैसे भगवान भी देख रहे हैं।