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UP की सियासत में फिर पिछड़ गए अखिलेश, प्रियंका ने मारी बाजी

locationवाराणसीPublished: Oct 16, 2019 01:33:35 pm

Submitted by:

Ajay Chaturvedi

UP की सियासत में लगातार अखिलेश को मात दे रही हैं प्रियंका गांधीइस बार इस मोर्चे पर अखिलेश यादव को छोड़ा पीछे

Akhilesh Yadav and Priyanka Gandhi

Akhilesh Yadav and Priyanka Gandhi

वाराणसी. UP की सियासत में प्रमुख विपक्षी दल होने का श्रेय अर्जित करने का मामला हो या 2022 विधासभा चुनाव की तैयारी का दोनों ही मामलों में मौजूदा समय में सपा और कांग्रेस के बीच घमासान मचा है। कौन किसको पिछे धकेलता है किसी मुद्दे पर कौन बाजी मारता है इसकी विवेचना भी राजनीतिक गलियारों में चल रही है। राजनीतिक पंडितों की भी नजर है कि सक्रिय राजनीति में आने के बाद प्रियंका गांधी यूपी की सियासत में कांग्रेस को कितना सक्रिय कर पाती है। हालांकि लोकसभा चुनाव से अब तक यूपी के जितने भी मामले आए हैं उनमें प्रियंका ने ही बाजी मारी है। इस बार फिर से उन्होंने अखिलेश को पीछे छोड़ दिया है।
बता दें कि लोकसभा चुनाव के बाद चाहे उन्नाव प्रकरण हो, सोनभद्र का उम्भा नरसंहार हो या मिर्जापुर के प्राथमिक स्कूल में नमक रोटी का मामला हो हर मुद्दे को प्रियंका ने अच्छे से कैश कराया है। इस लिहाज से देखें तो अभी तक वह लगातार अखिलेश को पीछे छोड़ती नजर आ रही हैं।

यहां यह भी बता दें कि लोकसभा चुनाव में करारी शिकस्त के बाद संगठन को नए सिरे से खड़ा करने के मामले में भी प्रियंका गांधी ने ही पहल की और यूपी की सभी इकाइयों को भंग किया। इसके बाद अखिलेश ने भी सारी इकाइयां भंग कर दीं। लेकिन जहां तक संगठन के पुनर्गठन का मामला है तो इसमें भी एक बार फिर से प्रियंका ने अखिलेश यादव को पीछे छोड़ दिया है।
प्रियंका गांधी ने यूपी में होने वाले उप चुनाव से पूर्व ही पहले प्रदेश कांग्रेस कमेटी की घोषणा की, एक नया अध्यक्ष खोज कर निकाला। उसके तुरंत बाद उन्होंने 48 जिला और तीन शहर अध्यक्षों की सूची भी जारी कर दी है। यानी प्रदेश से लेकर जिला और शहर तक के संगठन को खड़ा करने की दृष्टि से भी वह अखिलेश यादव की तुलना में आगे निकल गई हैं।
नई कमेटियों की घोषणा के पीछे भी प्रियंका ने उन जिलों को तरजीह दी है जहां उप चुनाव होने हैं। जिन जिलो में चुनाव नहीं होना है उसे उन्होंने पेंडिंग रखा है। राजनीतिक विश्लेषक इसे उनकी राजनीतिक दूरदर्शिता के रूप में देख रहे हैं। वहीं उपचुनाव जो लोकसभा चुनाव और 2022 विधानसभा चुनाव के बीच यह उपचुनाव काफई महत्वपूर्ण माना जा रहा है उसे देखते हुए कांग्रेस के 48 जिला व 3 शहर अध्यक्षों की घोषणा पार्टी हित में महत्वपूर्ण कड़ी मानी जा रही है।
वहीं अखिलेश अभी तक यह नहीं तय कर पाएंगे कि अगले विधानसभा चुनाव की दृष्टि से किसे यूपी की कमान सौंपते हैं। जिलों व महानगरों के स्तर पर भी इकाइयां न होने से चुनावी तैयारी पर असर पड़ने की आशंका व्यक्त की जा रही है। वैसे भी लोकसभा चुनाव के दौरान ही तमाम नेता रहे जिन पर पार्टी विरोधी गतिविधियों में लिप्त होने का आरोप लगा। कई नेता तो ऐसा भी रहे जिन्होंने खुलेआम पार्टी के अधिकृत प्रत्याशी का प्रचार तक नहीं किया। या यूं कहें कि उन्होंने परोक्ष रूप से पार्टी प्रत्याशी के विरोध में जा कर प्रतिद्वंद्वी को ही लाभ पहुंचाया। ऐसे लोगों को हटाने की भी मांग उठी। कहा गया कि इन पर अनुशासनात्मक कार्रवाई होगी ही, लेकिन ऐसा कुछ भी अब तक नहीं हो सका जबकि लोकसभा चुनाव को 6 महीने से ज्यादा गुजर चुके हैं।
उधर प्रियंका ने मठाधीशों को हाशिये पर रख कर साफ संकेत दे दिया है कि वो पूरी तरह से नई टीम के साथ यूपी विधानसभा चुनाव में उतरेंगी। उनके इस निर्णय से जहां मठाधीशओं में आक्रोश है वहीं युवा और जमीनी कार्यकर्ता गदगद हैं।

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