नगर निगम चुनाव में सपा, बीजेपी, कांग्रेस व बसपा के साथ आप प्रत्याशी भी अपने सिंबल पर चुनाव लड़ रहे हैं। बीजेपी के प्रदेश मंत्री लगातार सक्रिय होकर चुनाव प्रचार कर रहे हैं। सीएम योगी आदित्यनाथ व डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्या व डा. दिनेश शर्मा भी जमकर चुनाव प्रचार कर रहे हैं। वरिष्ठ नेताओं के प्रचार का कितना लाभ होता है यह तो समय ही बतायेगा। इतना तो साफ है कि बड़े नेताओं के प्रचार करने से प्रत्याशियों को हौसला बढ़ गया है। बसपा व सपा की स्थिति बिल्कुल अलग है। सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव व बसपा प्रमुख मायावती ने अपने प्रत्याशियों के लिए चुनाव प्रचार नहीं करने की बात कही है इसके बाद से ही दोनों दलों पर सवाल उठने लगा है।
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लगातार दो चुनावी हार से बैकफुट पर मायावती व अखिलेश
संसदीय चुनाव2014 व यूपी विधानसभा चुनाव 2017 में सपा व बसपा को करारी शिकस्त मिली थी इसके बाद अनुमान लग रहा था कि दोनों ही नेता सक्रिय होकर नगर निगम चुनाव में पार्टी के प्रत्याशी को जिताने के लिए सक्रिय होंगे। नगर निगम चुनाव की जीत दोनों दलों के लिए संजीवनी साबित हो सकता है इसके बाद भी सपा व बसपा के वरिष्ठ नेताओं की सक्रियता नहीं होने से तमाम तरह के सवाल उठने लगे हैं कि यदि किन्हीं कारणों से इस चुनाव में इन दलों को हार का सामना करना पड़ता है तो इमेज पर गलत प्रभाव पड़ेगा। इसके चलते दोनों नेताओं ने चुनाव से दूरी बना ली है।
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संसदीय चुनाव2014 व यूपी विधानसभा चुनाव 2017 में सपा व बसपा को करारी शिकस्त मिली थी इसके बाद अनुमान लग रहा था कि दोनों ही नेता सक्रिय होकर नगर निगम चुनाव में पार्टी के प्रत्याशी को जिताने के लिए सक्रिय होंगे। नगर निगम चुनाव की जीत दोनों दलों के लिए संजीवनी साबित हो सकता है इसके बाद भी सपा व बसपा के वरिष्ठ नेताओं की सक्रियता नहीं होने से तमाम तरह के सवाल उठने लगे हैं कि यदि किन्हीं कारणों से इस चुनाव में इन दलों को हार का सामना करना पड़ता है तो इमेज पर गलत प्रभाव पड़ेगा। इसके चलते दोनों नेताओं ने चुनाव से दूरी बना ली है।
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कांग्रेस ने लगायी है अपनी ताकत
नगर निगम चुनाव में कांग्रेस के बड़े नेता प्रचार में शामिल नहीं हुए है तो उनके पास गुजरात चुनाव की प्राथमिकता है, लेकिन सपा व बसपा के लिए यूपी चुनाव ही सबसे महत्वपूर्ण है इसके बाद भी दोनों नेताओं की निष्क्रियता ने बीजेपी को मतबूत कर दिया है।
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नगर निगम चुनाव में कांग्रेस के बड़े नेता प्रचार में शामिल नहीं हुए है तो उनके पास गुजरात चुनाव की प्राथमिकता है, लेकिन सपा व बसपा के लिए यूपी चुनाव ही सबसे महत्वपूर्ण है इसके बाद भी दोनों नेताओं की निष्क्रियता ने बीजेपी को मतबूत कर दिया है।
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