बता दें कि लोकसभा चुनाव के बाद से ही पार्टी के अंदर बडी कार्रवाई की मांग उठने लगी थी। जिलों के पदाधिकारी कई बार सख्त कार्रवाई की मांग कर चुके थे। यहां तक कहा गया था कि कई वरिष्ठ नेता, पूर्व सांसद और पूर्व विधायक यहां तक कि पूर्व मंत्रियों ने भी लोकसभा चुनाव में पार्टी विरोधी रुख अपनाया था। ऐसे में उनके विरुद्ध भी अनुशासनात्मक कार्रवाई की जानी चाहिए।
ये भी पढें-सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने यूपी के लिए उठाया इतना बड़ा कदम वैसे लोकसभा चुनाव के बाद पार्टी को आमजनों से जुड़ने के कई मौके मिले, वो चाहे सोनभद्र का उम्भा नरसंहार हो या उन्नाव प्रकरण। वैसे जहां तक अखिलेश यादव का सवाल है तो उन्होंने खुद संसद में धारा 370 को हटाने का भी विरोध किया था। लेकिन उनका वह विरोध उनके वोट बैंक तक नहीं पहुंच सका। ऐसे में सपा सुप्रीमों ने सभी कमेटियों को भंग करने का निर्णय लिया। ऐसा राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है।