यह है परिवार की स्थिति
परिवार में पांच वर्ष की रानी एवं 6 वर्ष का कन्हैया कहने को तो पिता मूलचंद एवं माता के साथ रह रहे हैं, लेकिन अभावों के साये में हंै। पिता पिछले दस वर्षों से गंभीर बीमारी से पीडि़त है। मां कल्पना की स्थिति भी ठीक नहीं है। मूलचंद की एक बड़ी बेटी भी है, जिसका पालन-पोषण मौसी कर रही है। दोनों बच्चों को निजी विद्यालय की ओर से निशुल्क शिक्षा दी जा रही है।
परिवार में पांच वर्ष की रानी एवं 6 वर्ष का कन्हैया कहने को तो पिता मूलचंद एवं माता के साथ रह रहे हैं, लेकिन अभावों के साये में हंै। पिता पिछले दस वर्षों से गंभीर बीमारी से पीडि़त है। मां कल्पना की स्थिति भी ठीक नहीं है। मूलचंद की एक बड़ी बेटी भी है, जिसका पालन-पोषण मौसी कर रही है। दोनों बच्चों को निजी विद्यालय की ओर से निशुल्क शिक्षा दी जा रही है।
चाइल्ड लाइन की टीम को ग्रामीणों ने बताया कि एक वर्ष पूर्व शिविर में प्रशासन को परिवार की हालत बताकर मदद की गुहार लगाई थी, लेकिन अब तक सहयोग के लिए कोई भी आगे नहीं आया। आर्थिक तंगी में कभी-कभार आसपड़ोस के लोग मदद कर देते हंै। लेकिन कई बार स्थितियां बेहद गंभीर हो जाती है। ऐसे में परिवार को संबल की दरकार है।
इनका कहना है
चाइल्ड लाइन को सूचना मिलने पर टीम के कमलेश बुनकर व कांतिलाल परिवार तक पहुंचे थे। बच्चों की स्थिति बेहद ही दर्दनाक है। ऐसे में सहयोग के लिए बाल कल्याण समिति, प्रशासन एवं सामाजिक न्याय -अधिकारिता विभाग को भी लिखा है।
प्रमोद पंड्या, कॉर्डिनेटर चाइल्ड लाइन
चाइल्ड लाइन को सूचना मिलने पर टीम के कमलेश बुनकर व कांतिलाल परिवार तक पहुंचे थे। बच्चों की स्थिति बेहद ही दर्दनाक है। ऐसे में सहयोग के लिए बाल कल्याण समिति, प्रशासन एवं सामाजिक न्याय -अधिकारिता विभाग को भी लिखा है।
प्रमोद पंड्या, कॉर्डिनेटर चाइल्ड लाइन