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वाराणसी

शिवपाल यादव का इफेक्ट, अखिलेश की पार्टी ने इन्हें बनाया फ्रंटल अध्यक्ष

पूर्व सांसद तूफानी सरोज की अध्यक्षता में हुआ मनोयन, जानिए कौन-कौन लोग हुए शामिल

वाराणसीOct 25, 2018 / 12:11 pm

Devesh Singh

Akhilesh Yadav and Shivpal Yadav

Akhilesh Yadav and Shivpal Yadav

वाराणसी. शिवपाल यादव के मोर्चा का इफेक्ट अब दिखने लगा है। अखिलेश यादव ने अपनी पार्टी में को नये सिरे से संगठित करने में जुट गये हैं। बीजेपी से लोकसभा व यूपी चुनाव में मिली हार के बाद सपा ने अपनी सोशल इंजीनियरिंग को भी मजबूत करना शुरू कर दिया है जिसका असर पीएम नरेन्द्र मोदी के संसदीय बनारस के पिंडरा विधानसभा में भी देखने को मिल रहा है। पूर्व सांसद तूफानी सरोज की अध्यक्षता में फ्रंटल संगठनों के अध्यक्ष का मनोनयन किया गया।
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युवजन सभा की जिम्मेदारी सत्यप्रकाश पटेल को सौंपी गयी है। लोहिया वाहिनी संतोष यादव, मुलायम सिंह यूथ ब्रिगेड सुरेन्द्र राजभर, छात्रसभा की शैलेन्द्र यादव, पिछड़ा वर्ग की डा.रतन राजभर, महिला सभा की मालती पटेल, श्यामलाल को शिक्षक सभा, हरिनाथ सरोज को अनुसूचित जनजाति, रमाशंकर यादव को दुग्ध प्रकोष्ठ, हरिश्चन्द्र मौर्य को विधि प्रकोष्ठ, डा.अब्दुल गफ्फार को अल्पसंख्य सभा, नंदलाल गुप्ता को व्यापार सभा, भुल्लन यादव को सैनिक प्रकोष्ठ, डा.चन्द्रशेखर पटेल को चिकित्सा प्रकोष्ठ व शिव प्रसाद पाल को सांस्कृतिक प्रकोष्ठ का विधानसभा अध्यक्ष बनाया गया है। सभी लोगों को लोकसभा चुनाव २०१९ की तैयारी में जुट जाने के लिए कहा गया।
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डिप्टी सीएम केशव प्रसाद व कैबिनेट मंत्री ओमप्रकाश राजभर के साथ शिवपाल यादव की खोजी जा रही काट
मुलायम सिंह यादव व अखिलेश यादव पर यादव वर्ग को अधिक बढ़ावा देने का आरोप लगता रहा है लेकिन जिस तरह से बीजेपी ने अपना दल की अनुप्रिया पटेल, डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्या, व कैबिनेट मंत्री ओमप्रकाश राजभर को साध कर चुनाव में प्रचंड बहुमत पाया है उसे देख कर अखिलेश यादव ने पार्टी की सोशल इंजीनियरिंग को मजबूत करना शुरू कर दिया है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण यूपी चुनाव के पहले नरेश उत्तम पटेल को प्रदेश अध्यक्ष बनाना था। सपा जानती है कि अब यादव व मुस्लिम वोटरों के सहारे ही चुनाव जीतना आसान नहीं रह गया है। बसपा सुप्रीमो मायावती व राहुल गांधी के साथ महागठबंधन होने की स्थिति में सपा को कोटे में मिली अधिक से अधिक सीट जीतने की चुनौती होगी। ऐसे में पहले से ही सोशल इंजीनियरिंग को मजबूत करने से पार्टी को फायदा होगा। सपा इसी कार्य में जुट गयी है।
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