बनारस में 17 अगस्त को रखी जाएगी कैंटीन की आधारशिला यह सुविधा उपलब्ध कराएगी दुनिया की नामचीन संस्था, अक्षय पात्रा फाउंडेशन। संस्था का किचेन अब बनारस में खुल जाएगा। हालांकि इसके लिए संस्था की ओर से पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के कार्यकाल में ही करार हो गया था। उसके तहत मथुरा-वृंदावन और लखनऊ में संस्था द्वारा स्कूली बच्चों को नियमित तौर पर मिड डे मील मुहैया भी कराया जा रहा है। पूर्व सीएम अखिलेश ने वाराणसी में भी संस्था को अपना किचेन खोलने की इजाजत दे दी थी लेकिन जब तक काम शुरू होता तब तक उनकी सरकार ही चली गई। ऐसे में संस्था को दोबार नई सरकार के साथ करार करना पड़ा। अब वह खानापूरी भी पूरी हो गई है। आगामी 17 अगस्त को वारामसी के अर्दली बाजार स्थित एलटी कॉलेज परिसर में संस्था अपने किचेन के लिए आधारशिला रखेगी। संस्था के लाइजनिंग अफसर, गवर्नमेंट रिलेसंस मैनेजर आशीष श्रीवास्तव ने यह जानकारी पत्रिका को दी।
स्टीम बेस्ड कुकिंग सिस्टम से बनता है खाना श्रीवास्तव ने बताया कि संस्था के किचने में आदमी तो रखे जाते हैं लेकिन सारा काम मशीन से होता है। स्टीम बेस्ड कुकिंग सिस्टम से खाना तैयार होता है, चाहे वह रोटी हो, दाल हो, चावल हो, सब्जी हो। सब कुछ मशीन से ही तैयार करते हैं हम। संस्था के पास एक बार में प्रति घंटे 40 हजार रोटी पकाने की मशीन है। लार्ज स्केल पर आंटा गूंथने की अलग मशीन है। बड़े-बड़े बर्तन हैं जिसमें दाल, चावल, सब्जी आदि बनाई जाती है। उन्होंने बताया कि बच्चों को गर्मागर्म खाना समय से मिले इसके लिए संस्था के स्तर से हाइली इंसुलेटेड वेहिकिल्स हैं जिसके द्वारा स्कूलों तक खाना पहुंचाया जाता है। हर स्कूल में खाना उतारते वक्त उसका मापन भी होता है, अगर किसी वजह से खाना ठंडा हो गया तो उसे बच्चों में वितरित नहीं किया जाएगा, उसकी जगह दूसरा रैक आएगा तो ही गर्मागर्म खाना बच्चों को दिया जाएगा।
देश के 12 राज्यों में है 38 किचेन उन्होंने बताया कि अक्षय पात्रा फाउंडेशन का फिलहाल देश के 12 राज्यों में 38 किचेन है। यूपी में पहला किचेन मथुरा-वृंदावन में खुला फिर लखनऊ में। अब तीसरा किचेन बनारस में खुलेगा। इसके अलावा 11 अन्य शहरों में किचेन प्रस्तावित है जिसमें नोएडा, गाजियाबाद, कानपुर, आगरा, अम्बेडकर नगर, कन्नौज आदि जिले हैं। बताया कि लखनऊ में एक लाख बच्चों को खाना दिया जा रहा है प्रतिदिन। बताया कि एक दिन पहले ही स्कूलों से बच्चों की औसत उपस्थिति की जानकारी लेकर अगले दिन की तैयारी की जाती है।
गिनिज बुक में दर्ज है संस्था का नाम बताया कि राज्य सरकार से प्राइमरी स्कूल से प्रति छात्र 4.14 रुपये और जूनियर हाईस्कूल के लिए प्रति छात्र 6.18 रुपये कनवर्जन कास्ट के रूप में मिलता है। इसके अलावा स्टेट फूड कारपोरेशन से गेहूं और चावल मिलता है। लेकिन प्रति छात्र खाने की कास्ट 9.50 से 10.00 रुपये पड़ती है। ऐसे में संस्था के जो कार्पोरेट डोनर हैं मसलन टाटा, इन्फोसिस आदि इनसे दान स्वरूप धन मिलता है उसे मिला कर संस्था अपना काम करती है। संस्था के भोजन की उच्च स्तरीय जांच भी होती रहती है। इसका नाम गिनिज बुक में भी दर्ज है।
बनारस में हैं 1013 प्राइमरी और 354 जूनियर हाईस्कूल के 1.76 छात्र बता दें कि बनारस में फिलहाल 1013 प्राइमरी और 354 उच्च प्राथमिक विद्यालय हैं जिसमें लगभग 1.76 बच्चे नामांकित हैं। इसमें सभी आठों ब्लॉक व शहरी क्षेत्र शामिल है। ग्रामीण इलाकों में किस तरह से समय से खाना पहुंचेगा के सवाल पर श्रीवास्तव का कहना था कि किचेन से सबसे पहले सबसे दूरी वाले स्कूलों के लिए वाहन निकलते हैं उसी औसत से इस तरह से वाहनों को भेजा जाता है कि समय से सभी बच्चों को गर्मागर्म खाना मिल जाए।