जस्टिस दिलीप गुप्ता और जस्टिस अमर सिंह चौहान की डिवीजन बेंच ने यह आदेश दिया है । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पूछा है कि औद्योगिक ऑक्सीजन उत्पादन करने वाली कम्पनी को कैसे लाइसेंस दिया गया । कोर्ट ने छह हफ्ते में महानिदेशक चिकित्सा से रिपोर्ट मांगी है साथ ही साथ कोर्ट ने बीएचयू प्रशासन से भी हलफनामा मांगा है । उपआयुक्त औषधि इलाहाबाद के जवाब में इस बात का खुलासा हुआ है कि परेरहाट कम्पनी के पास मेडिकल ऑक्सीजन के उत्पादन और वितरण का लाइसेंस नहीं है फिर भी परेरहाट कंपनी को किन परिस्थितियों में लाइसेंस दिया गया । मामले को लेकर भुवनेश्वर द्विवेदी ने याचिका दाखिल की है ।
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बता दें कि जून में वाराणसी के सर सुंदर अस्पताल में औद्योगिक गैस से कई जानें चली गई थी । मरीज के परिजनों का कहना था कि बीएचयू परिसर से ही गैस और दवाई ली गई थी, जिसके बाद इलाज के दौरान मरीज की मौत हो गई थी। मामले में लंका थाने में तहरीर दी गई थी । यह भी पढ़ें
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हालांकि बाद में मौत के मामले में विश्वविद्यालय के बीएचयू कुलपति प्रो. जीसी त्रिपाठी ने कड़ा कदम उठाते हुए ऑपरेशन में इस्तेमाल होने वाली नाईट्रस आक्साईड गैस आपूर्ति करने वाली कम्पनी की सेवा समाप्त करने का निर्देश दिया था। साथ ही साथ उन्होंने वह सभी दस्तावेज तलब किये थे, जिनके आधार पर यह पता चल सके कि कम्पनी को आपूर्ति सम्बन्धी आदेश किस समिति ने किस मानक के आधार पर दिया था । By- Prasoon Pandey