वाराणसी के अबरार शेख मुंबई के कुर्ला में कपड़े की दुकान पर काम करते थे। लॉक डाउन लगा तो दुकान बंद हो गई और अबरार बेरोज़गार। जो पैसे थे वो भी ख़त्म होने लगे। अबरार हर वक़्त बस इसी कोशिश में लगे रहते कि किसी तरह वापस अपने घर पहुंच जाएं। ये मुमकिन हुआ अमिताभ बच्चन और हाजी अली ट्रस्ट की मदद से। वो प्लेन से सुरक्षित वापस आये हैं। अबरार उनका शुक्रिया अदा करते हुए कहते हैं कि अब वह अपने गांव में ही छोटे मोटे काम कर लेंगे। गोरखपुर के ही तौकीद ने कहा कि उन्होंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि वो विमान से यात्रा कर पाएंगे। संकट की इस घड़ी में हमारा साथ देने के लिए ट्रस्ट और बच्चन जी का शुक्रिया।
अबरार की ही तरह वापस लौटने वाले श्रमिकों में कोई मुंबई में रहकर आटो चलाता था तो कोई किसी पैथोलॉजी में, कोई किसी अन्य कम्पनी में काम करता था। कोरोना महामारी के चलते लॉक डाउन लगा तो सारा काम धंधा बंद हो गया। जो रूपये बचाए थे कुछ दिन बाद वह भी ख़त्म हो गए। इसके बाद शुरू हुआ उन लोगों का संघर्ष।
गोरखपुर के अजमेर बताते हैं कि मुम्बई के भायखल्ला की गारमेंट कम्पनी में काम ठीकठाक चल रहा था। कोरोना के चलते लॉक डाउन की ऐसी मार पड़ी कि कहीं के नहीं रहे। एक तरफ कोरोना संकट बढ़ रहा था और दूसरी तरफ रूपये भी ख़त्म हो गए थे। अमिताभ बच्चन और हाजी अली ट्रस्ट ने मदद का हाथ बढ़ाया और हमारी घर वापसी मुमकिन हो सकी।
लॉक डाउन में फंसे अजमेर और अबरार जैसे सैकड़ों कामगारों के लिये अमिताभ बच्चन की टीम मिशन मिलाप और हाजी अली ट्रस्ट मददगार के रूप में आगे आए। इनकी टीम के लोगों ने इन कामगारों से खुद सम्पर्क किया। वो लोग जहां रहते थे वहां से एयरपोर्ट पहुंचने के लिये साधन मुहय्या कराया गया। बुधवार को 702 लोगों के वाराणसी, इलाहाबाद और गोरखपुर के लिये उड़ान भरी और उनकी वापसी हुई। बड़ी बात यह कि किसी कामगार को एक रुपया भी नहीं खर्च करना पड़ा।