वाराणसी

Anant Chaturdashi 2019: कब है अनंत चतुर्दशी, जानिए क्या है इसका महत्व

भाद्रपद के शुक्लपक्ष की चतुर्दशी को अनंत चतुर्दशी व्रत होता है

वाराणसीSep 08, 2019 / 03:43 pm

sarveshwari Mishra

Anant Chaturdashi

वाराणसी. अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान विष्णु क अनंत रूप की पूजा होती है। यह भाद्रपद के शुक्लपक्ष की चतुर्दशी को अनंत चतुर्दशी व्रत होता है। इस दिन पूजा के बाद 14 गांठे बनाकर अपने बाजू पर धागा बांधा जाता है। ये 14 गांठे हरि द्वारा उत्पन्न 14 लोकों चोदह लोकों तल, अतल, वितल, सुतल, तलातल, रसातल, पाताल, भू-भुव:, स्व:, जन, तप, सत्य, मह की रचना की थी की प्रतीक है। ऐसी मान्यता है कि इस व्रत को यदि 14 वर्षों तक किया जाए तो व्रती को विष्णु लोक की प्राप्ति होती है। भगवान सत्यनारायण की तरह ही अनंत देव भी भगवान विष्णु को ही कहते हैं। इसलिए अनंत चतुर्दशी के दिन सत्यनारायण भगवान की व्रत कथा का पाठ किया जाता है। इसके साथ अनंत देव की कथा भी सुनी जाती है। ऐसा माना जाता है कि व्रत रखने के साथ-साथ यदि जातक श्री विष्णु सहस्त्रनाम स्तोत्र का पाठ करता है, तो उसकी समस्त मनोकामना पूर्ण होती है।
अनंत चतुर्दशी की पूजा विधि
इस दिन प्रात: उठकर स्नान कर साफ व नए वस्त्र धारण करे। उसके बाद भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें। इसके बाद पूजा स्थल पर कलश की स्थापना करें। कलश पर अष्टदल कमल की तरह बने बर्तन में कुश से बने अनंत की स्थापना करें। आप चाहें तो भगवान विष्णु की कोई फोटो भी लगा सकते हैं। पूजा स्थल पर बैठकर एक डोरी या धागे में कुमकुम, केसर और हल्दी से रंगकर अनंत सूत्र बनाएं। फिर इसमें 14 गांठें बना दें। इसे भगवान विष्णु की को चढ़ा दें। अब भगवान विष्णु और अनंत सूत्र की षोडशोपचार विधि से पूजा शुरू करें।

सबसे आखिरी में इस मंत्र का जाप करें अनंत संसार महासुमद्रे मग्रं समभ्युद्धर वासुदेव।, अनंतरूपे विनियोजयस्व ह्रानंतसूत्राय नमो नमस्ते।। का जाप करें।


जाप करने के बाद अनंत सूत्र को बाजू में बांध लें। याद रहे कि अनंत सूत्र पुरुष अपने दाएं हाथ पर बांधेंगे और महिलाएं बाएं हाथ पर। ऐसा करने के बाद ब्राह्मण को भोजन कराएं और सपरिवार प्रसाद ग्रहण करें।
अनंत चतुर्दशी शुभ मुहूर्त:
अनंत चतुर्दशी पूजा मुहूर्त : 06:04:17 से 31:37:13 तक
शुभ मुहूर्त की अवधि : 25 घंटे 32 मिनट

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