प्रतियोगी परीक्षाओं में अंग्रेजी का बर्चस्व क्यो ? देश मे विभिन्न विभागों में नियुक्तियों के लिए आयोजित होने वाली प्रतियोगी परीक्षाओं में अंग्रेजी का वर्चस्व भारतीय भाषा के छात्रों को प्रतियोगिता से लगातार बाहर कर रहा है। इसके विपरीत सरकार लगातार अंग्रेजी को थोप रही है, जिससे ग्रामीण अंचल के छात्रों के पास मेधा रहते हुए भी अंग्रेजी की वजह से उनको प्रतिनिधित्व से बंचित किया जा रहा है जो कत्तई न्याय संगत नही है, क्योंकि अंग्रेजी पर मात्र पूंजीपतियों का कब्जा है। वे लगातार ग्रामीण पृष्ठभूमि के छात्रों को अवसरों से बंचित कर रहे है। इसका विरोध में वाराणसी के मैदागिन स्थित टाउनहाल पर प्रात: 10: 30 बजे से गांधी प्रतिमा के सामने अनशन करेंगे।
बता दें कि यह डॉ राम मनोहर लोहिया द्वारा चलाए गए अंग्रेजी हटाओ आंदोलन का स्वर्ण जयंती वर्ष है। डॉ लोहिया ने भी अंग्रेजी की मुखालफत की थी लेकिन उन्होंने केवल हिंदी की वकालत नहीं की थी। उन्होंने भी भारतीय भाषाओं की समृद्धि की बात की थी। उन्होने यहा तक लिखा है कि तत्कालीन सरकारें और सर्वोच्च सत्ता पर आसीन लोगों ने अपने वर्चस्व के लिए ही भारतीय भाषाओं को समुचित संरक्षण नहीं दिया। लेकिन जरूरत इस बात की है कि भारतीय भाषाओं को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। अब डॉ लोहिया के शिष्यों ने उस आंदोलन को स्वर्ण जयंती वर्ष में फिर से आवाज देने की कोशिश शुरू की है। उसी के तहत यह अनशन महात्मा गांधी की पुण्यतिथि पर आयोजित किया गया है।