गणना के अनुसार क्या है अनुमान काशी के ज्योतिषाचार्य पंडित बृजभूषण दुबे की मानें तो 2019 का वर्षारंभ राजा शनि व मंत्री सूर्य तथा वर्ष लग्न एवं जगलग्न के विचार करने से इस विषाणु जनित महामारी का जन्म 29 अक्टूबर 2019 को हुआ। शनि, बृहस्पति, केतु, का एक साथ रहना इसका प्रमुख कारण बना। 26 दिसंबर 2019 को शनि, बृहस्पति, केतु, सूर्य, बुध तथा चंद्रमा यानी कुल 6 ग्रहों के एक साथ धनु राशि में होने से निरंतर महामारी का विकास हुआ। फलतः आज विश्व भर में महामारी मौत का तांडव कर रही है। पंडित दुबे बताते हैं कि 19 मार्च को गुरु के नीच राशि मकर में प्रवेश करते ही 22 मार्च को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जनता कर्फ्यू का ऐलान करना पड़ा। फिर 25 मार्च को ऩव वर्ष का प्रवेश, लग्न कर्क एवं जगलग्न वृश्चिक में होता है। दोनों कुंडली में राहु एवं केतु के ग्रह के मध्य सभी ग्रह होने से कालसर्प योग बना। इसके परिणाम स्वरूप लॉकडाउन हुआ।
21 जून तक संकट बढ़ता रहेगा इसके बाद 14 अप्रैल से 14 मई के बीच सूर्य के उच्च राशि मेष का होने के कारण स्थिति सामान्य रही। लेकिन 14 मई से वृष का सूर्य आते ही महामारी में क्रमशः वृद्धि शुरू हुई। इसी बीच 12 मई को पूर्ण काल सर्प योग बना। इसी के तहत पश्चिम बंगाल और उड़ीसा में सुपर साइक्लोन का सामना करना पड़ा। अब 23 मई को शनि वक्री होंगे जबकि 26 मई को गुरु वक्री होंगे। ऐसे में यह काल इस महामारी को और तीव्र करेगा। यह स्थित 21 जून तक रहेगी।
नए-नए रूपों में जन्म लेगी महामारी 21 जून के बाद कुछ न्यूनता आएगी लेकिन 12 जुलाई को गुरु पुनः धनु राशि में होंगे, वहां केतु पहले से ही विद्यमान रहेंगे, जिससे नए-नए रूपों में महामारी जन्म लेगी। 4 अगस्त को गुरु व केतु के साथ शनि भी मिल जाएंगे साथ ही सिंह का सूर्य होने से महामारी का स्वरूप भयंकर होगा। मृत्यु दर लाखों में हो सकती है। चतुर्दिक हाहाकार मचेगा। कोरोना के साथ ही कुछ जलीय रोग के संक्रमण की भी आशंका बनती दिख रही है। इस काल में पड़ोसी देशों से तनाव व युद्ध की आशंका भी बलवती हो रही है। ज्योतिषाचार्य पंडित दुबे के अनुसार 21 सितंबर को केतु वृश्चिक राशि में चले जाएंगे। अतः 21 सितंबर से 16 अक्टूबर के बीच महामारी से मुक्ति का मार्ग प्रशस्त होगा। वैक्सीन, दवा आदि के निर्माण में सफलता मिलेगी। वैसे वर्षांत तक महामारी का अंत होना देखा जा रहा है।