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अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर मंदिरों की रक्षा को स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने रखा सांकेतिक उपवास

locationवाराणसीPublished: Jun 21, 2018 01:02:57 pm

Submitted by:

Ajay Chaturvedi

मंदिरर बचाने को समर्पित रहा कार्यक्रम। स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने उठाया विश्वनाथ मंदिर अधिग्रहण पर सवाल। कहा, सरकार का काम मंदिर की देख रेख करना नहीं।

स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद  उपवास पर

स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद उपवास पर

वाराणसी. अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर जहां बनारस सहित पूरी दुनिया में लोग योगाभ्यास कर रहे थे, वहीं काशी के शंकराचार्य घाट जहां नित्य प्रति बटुक योगाभ्यास, प्राणायाम और सूर्य नमस्कार करते हैं वहां ज्योतिष एवं शारदापीठाधीश्वर शंकराचार्य स्वरूपानंद के शिष्य श्री विद्या मठ के प्रभारी स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सांकेतिक उपवास पर बैठ गए। यह सांकेतिक उपवास काशी में टूट रहे मंदिरों और देव विग्रहों के विरोध में था। शंकराचार्य घाट पर गुरुवार को योग दिवस पर आयोजित कार्यक्रम को मंदिर बचाओ योग नाम दिया गया।
इस मौके पर स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि आज आजकल नास्तिकता बढती ही जा रही है। लोग विकास के नाम पर मंदिरों और मूर्तियों को भी तोडने से संकोच नहीं कर रहे और ये सब पाकिस्तान या अन्य किसी ऐसे देश में नही हो रहा जहा विधर्मी रहते हैं अपितु यह भारत जैसे आध्यात्मिक देश में काशी जैसी पवित्र नगरी में हो रहा जिसकी कोई कल्पना भी नहीं कर सकता। स्वामिश्रीः ने सरकार की धर्मनिरपेक्षता पर सवाल उठाते हुए कहा कि एक ओर तो सरकार स्वयं को धर्मनिरपेक्ष कहती है और दूसरी ओर मंदिरों में व्यवस्था करने के लिए काशी विश्वनाथ जैसे मंदिर का अधिग्रहण करती है। आप जब धर्मनिरपेक्ष हो तो मंदिर की व्यवस्था क्यों करते हो ? यदि मंदिरों की व्यवस्था ही आपको करनी है तो काशी और पूरे देश में ऐसे अनेक मन्दिर हैं जहां पर सच में व्यवस्था की आवश्यकता है पर आप वहां तो कोई व्यवस्था नहीं करते पर यहां विश्वनाथ मन्दिर में आमदनी अधिक है इसलिए यहां पर व्यवस्था करने की होड़ लगी है।
स्वामी श्री ने कहा कि कि हम विश्व गुरु बनना चाहते हैं पर विश्व गुरु बनने के लिए हमें विश्व को अपनाना पड़ेगा। हमारे यहां जब दीक्षा होती है तो गुरु अपने शिष्य को हृदय से लगाता है और यहां तक कहा गया है कि सच्चा गुरु शिष्य नहीं बनाता, वह तो उसे अपने ही जैसा गुरु बना देता है। कहा कि व्यक्ति के हृदय में स्थित भगवान और मन्दिर में स्थापित भगवान दोनों को ही हम नहीं समझ पा रहे क्योंकि हमने अपने को प्रदेश, भाषा, रंग आदि के कारण समूहों में बांट लिया है। पर हमें इससे ऊपर उठना होगा। उन्होंने कहा कि हमारा भारतीय दर्शन हमें यह सिखाता है कि सबमें उस परमात्मा को देखो, जब सबमें उस परमात्मा को देखोगे तो किससे द्वेष करोगे, किससे घृणा करोगे ? सबमें वही दिखेगा। गीता भी कहती है कि, ‘वासुदेवः सर्वमिति स महात्मा सुदुर्लभः’। ऐसा विचार जब मन में उदित हो जाएगा तो सब एक हो जाएंगे और सारा विरोधी विचार समाप्त हो जाएगा। उन्होंने कहा कि
प्रसिद्ध योग गुरु श्री राजकुमार वाजपेयी ने अपने उद्बोधन में कहा कि मंदिरों को तोडना किसी भी हालत में सहन नहीं किया जा सकता। सनातन धर्म पर हमला वह भी काशी जैसे पवित्र क्षेत्र में हो रहा है इससे बडा अनर्थ और नहीं हो सकता। यदि कुछ बना नही सकते तो बिगाड़ने का भी हक नहीं है। अधिवक्ता पं रमेश उपाध्याय ने योग और मंदिर को जोडते हुए कहा कि जिस प्रकार योग से आत्मा शुद्ध होती है वैसे ही मंदिर जाकर सनातनी हिन्दू भी स्वयं को शुद्ध और पवित्र होने का अनुभव करता है। काशी विदुषी परिषद् की महामन्त्री सावित्री पांडेय ने कहा कि काशी में अनेक संत हैं पर अकेले स्वामिश्रीः ही मंदिर बचाने को आगे आए हैं। ऐसे ही महात्माओं के कारण आज धरती टिकी हुई है। हम सबको इनका अनुकरण करना चाहिए। यतीन्द्र नाथ चतुर्वेदी जी ने कहा कि जो लोग मंदिर बनाने के नाम पर ही अस्तित्व में आए वे आज काशी के पौराणिक मंदिरों को तुडवा रहे हैं यह इस देश की विडम्बना है।

इस अवसर पर सौ स्वाती जी ने भगवान शंकर, काशी व गंगा पर अनेक सुमधुर भजन प्रस्तुत किए। श्री रंजन शर्मा जी के नेतृत्व में शंकराचार्य घाट पर ध्वजारोहण का कार्यक्रम सम्पन्न हुआ। सभी ने एक स्वर से राष्ट्र गान व राष्ट्र नदी गंगा गान प्रस्तुत किया। इस मौके पर साध्वी शारदाम्बा, साध्वी पूर्णाम्बा, श्री राजकुमार शर्मा, श्री रवि त्रिवेदी, सुदीप्तो चटर्जी, रागिनी पांडेय, विजय तिवारी, विजय शर्मा, हरिश्चन्द्र शर्मा, राजेश तिवारी, अमित तिवारी, ब्रह्मबाला शर्मा, माधुरी पांडेय, शैलेष तिवारी, मयंकशेखर मिश्र, कृष्ण पाराशर,आदि उपस्थित रहे। कार्यक्रम का शुभारम्भ वैदिक मंगलाचरण से हुआ। बटुकों ने मिलकर मंदिर बचाने के लिए योग किया। सुरेश जी ने आभार जताया।
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