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वाराणसी

#PersonoftheWeek-फेसबुक और ह्वाट्सएप यूनिवर्सिटी से नहीं जान सकते गांधी को उन्हें पढ़ना होगा, जीवन में आत्मसात करना होगा

गांधी पर 9 मिनट का भाषण देकर चर्चा में आए युवा आयुष चतुर्वेदी की अपील, गांधी को बताने और जताने के लिए सरकार लगाए गांव से शहर तक चौपाल

वाराणसीSep 24, 2019 / 06:59 pm

Ajay Chaturvedi

आयुष चतुर्वेदी

आयुष चतुर्वेदी

डॉ अजय कृष्ण चतुर्वेदी

वाराणसी. एक तरफ देश में गांधी बनाम गोडसे की चर्चा जोरों पर है। पक्ष-विपक्ष में तमाम तर्क दिए जा रहे हैं। दोनों के समर्थकों की कमी नहीं है इस देश में। इसी दौर में बनारस का एक युवा जो महज 9 मिनट के भाषण से पलक झपकते ही सोशल मीडिया पर चर्चा में आया वह क्या सोचता है महात्मा के बारे में ये उसी की जुबानी जानते हैं। बता दें कि एनी बेसेंट द्वारा स्थापित बनारस के सेंट्रल हिंदू स्कूल के 11 वीं के छात्र की उस वीडियो को तो बहुतेरों ने लाइक किया, लाइकिंग लाखों में पहुंच गई है पर उस संक्षिप्त भाषण के बाद सबसे पहले पत्रिका ने उससे बात की। जानते हैं यह किशोर क्या जानता है गांधी के बारे में और क्या चाहता है समाज और सरकार से….
गांधी को जानना है तो उन्हें पढ़ना होगा, फेसबुक और ह्वाट्सएप यूनिवर्सिटी के जरिए गांधी को नहीं जाना जा सकता। नहीं समझा जा सकता। यह कहना है आयुष चतुर्वेदी का। वो आयुष जो हाल ही में अपने स्कूल की प्रार्थना सभा में 9 मिनट का भाषण देकर सोशल मीडिया पर चर्चा में आया। उस भाषण के बाद पहली बार किसी मीडिया से साक्षात्कार में आयुष ने ये बातें कहीं।
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आयुष ने कहा कि महात्मा गांधी को जानना बेहद जरूरी है। देश ही नहीं अपितु पूरी दुनिया को गांधी को जानना होगा और इसके लिए उन्हें पढना होगा। आयुष ने कहा कि ह्वाट्सएप और फेसबुक पर गांधी के बारे में जो सूचनाएं प्रसारित की जा रही हैं वो सच नहीं। उसने कहा कि ह्वाट्सएप, फेसबुक ही नहीं कुछ लोग गांधी को चतुर बनिया कहते हैं, लेकिन मेरा दृढ विश्वास है को गांधी चतुर होगें पर धूर्त कतई नहीं।
आयुष चतुर्वेदी
आयुष का कहना है कि गांधी को जानाने के लिए सरकार को गांव-गांव, शहर-शहर में चौपाल लगानी चाहिए, असल गांधीवादी जिन्होंने वास्तव में उन्हें पढा है, जाना है, उन्हें आत्मसात किया है वो बताएं कि गांधी क्या हैं। गांधी कोई साधारण इंसान नहीं बल्कि एक विचार का नाम है। वो विचार जिसके आगे उस ब्रितानी सरकार को झुकना पड़ा जिसके राज में कभी सूरज अस्त नहीं होता था। वो है गांधी का सत्य व अहिंसा का मार्ग। गांधी के सत्य व अहिंसा के मार्ग से ही देश व दुनिया में शांति व सद्भाव लाया जा सकता है जिसकी आज बेहद जरूरत है।
जौनपुर के मूल निवासी होम्योपैथिक डॉक्टर वशिष्ट नारायण चतुर्वेदी के पौत्र और समाजसेवी गणेश शंकर चतुर्वेदी व रेनु चतुर्वेदी के यशस्वी पुत्र साहित्यिक परिवेश में पले-बढे आयुष बताते हैं कि सातवीं कक्षा में ही उन्होंने गांधी की आत्मकथा को पढ़ लिया था, अब तक गांधी की कई किताबें पढ़ीं हैं। उन्होंने बताया कि ऐसा नहीं कि सिर्फ गांधी को ही पढ़ा, बल्कि क्रांतिकारी भगत सिंह, सुभाष चंद्र बोस को भी पढ़ा, पंडित नेहरू को भी पढ़ने की कोशिश की, अभी पूरा नहीं ठीक से नहीं पढ़ पाया हूं। समाजवादी डॉ राम मनोहर लोहिया को पढ़ा। इन दिनों डॉ राजेंद्र प्रसाद की आत्मकथा पढ़ रहा हूं। इन सब में मुझे गांधी का व्यक्तित्व और चरित्र सबसे ज्यादा आकर्षक लगा।
वह बताते हैं कि जब से मैनें होश संभाला, कुछ सोचने लायक हुआ तभी से मन में एक दृढ निश्चय किया कि मुझे सिविल सर्विसेज में जाना है। आईएएस अफसर बन कर सत्य व अहिंसा के रास्ते समाज को नई दिशा देना है। गरीब, मजलूमों की सेवा करना है। जब गांधी सत्य व अहिंसा के रास्ते ब्रितानी सरकार की चूलें हिला सकते हैं तो एक आईएएस समाज को नई दिशा क्यों नहीं दे सकता।
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