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वाराणसी

कभी बीएसपी सुप्रीमो मायावती के खास होने के बाद बीजेपी में हुए थे शामिल, 50 संसदीय सीटों पर चुनाव लडऩे का किया ऐलान

भारतीय जनता पार्टी में नाराजगी के बाद किया था इस नेता से किनारे, जानिए क्या है कहानी

वाराणसीMar 11, 2019 / 04:50 pm

Devesh Singh

Amit Shah and Mayawati

Amit Shah and Mayawati

वाराणसी. कभी बीएसपी सुप्रीमो मायावती के खास थे बाद में बीजेपी में शामिल हो गये थे। भारतीय जनता पार्टी में जब इस नेता को शामिल करने को लेकर बयानबाजी शुरू हुई तो पार्टी ने किनारा कर लिया। इसके बाद पत्नी को सपा के टिकट से लोकसभा चुनाव 2014 लड़वाया था लेकिन जीत नहीं मिल पायी। अब इस दिग्गज नेता की पार्टी ने 50 सीटोंं पर चुनाव लडऩे का ऐलान किया है।
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Babu Singh Kushwaha
IMAGE CREDIT: Patrika
हम बात कर रहे हैं बाबू सिंह कुशवाहा की जन अधिकार पार्टी। बाबू सिंह कुशवाहा ने बनारस में अपने पार्टी के प्रत्याशी को 50 सीटों पर उतराने का ऐलान किया है। बाबू सिंह कुशवाहा ने कहा कि देश की सुरक्षा करने वालों को राजनीति से अलग रखना चाहिए। जन अधिकार पार्टी के ऐलान से चुनावी समीकरण बदल सकता है। एनआरएचएम घोटोल के आरोपी बाबू सिंह कुशवाहा की पत्नी सुकन्या ने वर्ष 2014 में अखिलेश यादव की पार्टी सपा के टिकट से गाजीपुर से चुनाव लड़ा था। गुजरात के तत्कालीन सीएम नरेन्द्र मोदी की लहर के बाद भी सपा प्रत्याशी शिवकन्या कुशवाहा ने मनोज सिन्हा को जबरदस्त टक्कर थी। मनोज सिन्हा को तीन लाख छह हजार मत मिले थे जबकि शिवकन्या को दो लाख 74 हजार वोट मिले थे। इससे साफ हो जाता है कि पूर्वांचल में बाबू सिंह कुशवाहा को कम आंकना गलत होगा। वैसे भी गाजीपुर संसदीय सीट से इस बार अखिलेश व मायावती के पार्टियों के गठबंधन के तहत बसपा को मिली है जो लोकसभा चुनाव 2014 में तीसरे स्थान पर थी।
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बाबू सिंह कुशवाहा बढ़ायेंगे बीजेपी के साथ सपा की समस्या
बाबू सिंह कुशवाहा के लोकसभा चुनाव में प्रत्याशी उतराने से बीजेपी से लेकर सपा को समस्या का सामना करना पड़ सकता है। बीजेपी ने कुशवाहा वोट साधने के लिए डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्या को आगे किया है जबकि अखिलेश यादव का दावा रहता है कि यादव के साथ अन्य पिछड़ा वर्ग के वोटर सपा को वोट देते हैं। ऐसे में बाबू सिंह कुशवाहा के अलग चुनाव लडऩे से अन्य पिछड़ा वर्ग के वोटरों में बंटवारा हो सकता है जिससे सपा व बीजेपी की परेशानी बढ़ सकती है।
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