अस्थि रोग विभाग के फिजियो थेरेपी प्रभाग ने इसका मसौदा बनाया है। विश्वविद्यालय की कार्यकारणी व विद्वत परिषद से इस नए कोर्स की मंजूरी मिल गई है। पाठ्यक्रम भी बन गया है। इससे लाइफ स्टाइल डिसाडर को दूर करने वाले विशेषज्ञ तैयार किए जाएंगे। बता दें कि फिजियो थेरेपी विभाग ने 2018 में ही इस कोर्स का प्रारूप तैयार कर लिया था। पिछले साल ही विश्वविद्यालय कार्यकारणी परिषद से मंजूरी भी मिल गई थी। अब एकेडमिक काउंसिल ने भी हरी झंडी दे दी है। एक्जीक्यूटिव और एकेडमिक काउंसिल की मंजूरी के बाद इसे मानव संसाधन विकास मंत्रालय की अनुमति के लिए भेजा गया था, अब वहां से भी मंजूरी मिल गई है।
इस नए कोर्स में दाखिले के लिए रविवार को प्रवेश परीक्षा भी हो गई। बीएचयू से आकुपेशनल व फिजियो थेरेपी कोर्स की 20-20 सीटों के लिए करीब 11.5 हजार से अधिक आवेदन आए थे। यह कोर्स आईएमएस बीएचयू की पॉलसी प्लानिंग कमेटी (पीपीसी) की देखरेख में संचालित होगा।
बता दें कि इस भागमभाग वाली जीवन शैली में लाइफ स्टाइल डिसॉडर के मरीजों की संख्या में तेजी से इजाफा हो रहा है। लोग कमर, गर्दन व पीठ दर्द की शिकायत से परेशान हैं। ऐसे में विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसे मरीजों को बिना दवा के सिर्फ कुछ व्यायाम से ही लाइफ स्टाइल में बदलाव कर ठीक किया जा सकता है। अस्थि रोग की समस्या, लकवा, कैंसर तथा बड़े ऑपरेशन के बाद मरीजों को फिजियोथिरेपी की जरूरत पड़ती है।
बीएचयू चिकित्सा विज्ञान संस्थान बीएचयू की ओर से संचालित आकुपेशनल व फिजियो थिरेपी कोर्स को करने के लिए विज्ञान विषय से 12वीं पास होना जरूरी है। 4.5 साल के इस कोर्स में प्रतिभागियों को व्यवहारिक व प्रयोगात्मक शिक्षा प्रदान की जाएगी।
फिजियोथेरेपी मालिश व कसरत मिला-जुला रूप है। मानसिक तनाव, घुटनों, पीठ या कमर में दर्द जैसे कई रोगों से बचने या निपटने के लिए बिना दवा खाए दूर करने का तरीका है। घंटों लगातार कुर्सी पर वक्त बिताने, गलत मुद्रा में बैठने और व्यायाम या खेल के दौरान खिंचाव या जख्मों की हीलिंग के लिए मददगार है।
खास बात आकुपेशन थेरेपी सही मायने में पुनर्वास से जुड़ा है। बीमारी अथवा दुर्घटना में चलने फिरने की क्षमता खो देने वालों के लिए यह एक प्रकार का प्रशिक्षण है। जिसमें काम करने की क्षमता को पुन: लौटाने के लिए मांसपेशियों को सही अनुपात में सक्रिय करने का प्रयास किया जाता है।
लाइफ स्टाइल डिसाडर के चलते बीमारियां बढ़ रही हैं। शुरुआती दौर में फिजियो थिरेपी की भूमिका महत्वपूर्ण साबित होगी।-डॉ. एसएस पांडेय, कोर्स कोआर्डिनेटर, चिकित्सा विज्ञान संस्थान, बीएचयू।