scriptपहली बार बाहुबली अतीक अहमद के सिर से हटा सियासी छाया, नहीं मिल रहा किसी का साथ | Bahubali Atiq Ahmed political Carrier Hindi News | Patrika News

पहली बार बाहुबली अतीक अहमद के सिर से हटा सियासी छाया, नहीं मिल रहा किसी का साथ

locationवाराणसीPublished: Oct 19, 2017 05:42:20 pm

Submitted by:

Devesh Singh

कम होने लगी है हनक, जानिए क्या है कहानी

बाहुबली अतीक अहमद

बाहुबली अतीक अहमद

वाराणसी. बाहुबली अतीक अहमद के सिर से सियासी छाया हट चुका है। अतीक अहमद पर मुकदमों की लंबी सूची होने के बाद भी सियासी जगत में अलग मुकाम था। अतीक अहमद चार बार के विधायक व एक बार सांसद रह चुके हैं। अजीक अहमद इस समय जेल में है और उनका भाई अशरफ फरार चल रहा है। राजनीति जगत में अतीक ने कई नेताओं की बहुत मदद की थी, लेकिन आज उन नेताओं का भी बाहुबली को साथ नहीं मिल रहा है।
यह भी पढ़े:-राजा भैया खास तरह से मानते हैं दीपावली, आराध्य देव की पूजा करने से मिलती है ताकत


कैबिनेट मंत्री रहे बेनी प्रसाद वर्मा के खास लोगों में अतीक अहमद का नाम आता है। बेनी प्रसाद वर्मा की बात को अतीक टाल नहीं सकते थे। समय के साथ संबंधों में बदलाव आया और अतीक ने मुलायम सिंह का साथ पकड़ लिया। मुलायम सिंह यादव के लिए अतीक बेहद खास था। सपा में जब तक मुलायम सिंह यादव की चलती थी तो अतीक अहमद को किसी प्रकार की दिक्कत नहीं आती थी। सपा में मुलायम के बाद शिवपाल यादव भी अतीक अहमद के खास हुआ करते थे लेकिन सपा में शिवपाल यादव की अब नहीं चलती है वह अतीक अहमद कि किसी प्रकार से मदद नहीं कर सकते हैं। इसके चलते अतीक अहमद को लगतार झटके पर झटका लग रहा है और स्थिति में सुधर नहीं रही है।
यह भी पढ़े:-फूलपुर संसदीय सीट पर अपना दल ने लिया निर्णय, जानिए बीजेपी की मिलेगी राहत या आयेगी आफत
अतीक अहमद का सियासी सफर
बाहुबली अतीक अहमद को मुलायम सिंह का साथ मिला तो उन्होंने वर्ष २००४ में फूलपुर संसदीय सीट से चुनाव जीता था। यह वही सीट है जिस पर डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्या के इस्तीफा देने के चलते उपचुनाव होने वाला है। अतीक अहमद ने अपना दल का भी दामन थामा था और सोनेलाल पटेल ने अतीक को प्रदेश अध्यक्ष बनाया था। अतीक अहमद ने सबसे पहले १९९९ में अपना दल के टिकट पर प्रतापगढ़ से चुनाव लड़ा था और चुनाव में हार मिली थी। अतीक अहमद ने पहली बार १९८९ में इलाहबाद पश्चिमी सीट से विधायक का चुनाव जीता था इसके बाद १९९१ व १९९३ में निर्दलीय प्रत्याशी के रुप में विधानसभा पहुंचे थे। अतीक अहमद चौथी बार १९९६ में इसी सीट से विधायक बने थे इसके बाद सांसद बनने तक राजनीति सफर जारी था। यूपी में सपा सरकार के जाते ही अतीक अहमद की परेशानी बढ़ती गयी है। स्थिति इतनी खराब हो चुकी है कि फूलपुर संसदीय सीट पर उपचुनाव होने वाला है, लेकिन अतीक अहमद को कोई नाम नहीं ले रहा है।
यह भी पढ़े:-सभी दलों में मचेगी खलबली, आईएएस बादल चटर्जी इस पार्टी से लड़ सकते मेयर पद का चुनाव
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो