बाहुबली विजय मिश्रा की बेटी सीमा भदोही जिले के ज्ञानपुर के विधायक विजय मिश्रा की बेटी सीमा मिश्रा भी समाजवादी पार्टी से पिछला लोकसभा चुनाव भदोही से लड़ चुकी हैं। हालांकि मोदी लहर में उन्हें तीसरे स्थान पर रहना पड़ा। सीमा मिश्रा की शादी इलाहाबाद में एक बड़े और सम्भ्रांत परिवार में हुई है।
सीमा मिश्रा का राजनीति में आना एक इत्तेफाक था। बात 2012 विधान सभा चुनाव की है। जब कैबिनेट मंत्री नन्द गोपाल गुप्ता नन्दी के ऊपर हुए जानलेवा हमले के आरोप में विजय मिश्रा जेल में थे। उस दौरान बसपा की सरकार थी। विजय मिश्रा जेल से चुनावी मैदान थे उस समय सीमा मिश्रा ने अपने पिता केबलिये जम कर चुनाव प्रचार किया और घर-घर जाकर वोट मांगते हुए लोगो को यह बताया कि, उनके पिता को बसपा सरकार में जानबूझ कर फर्जी मामले में जेल भेजा गया है ताकि उनकी राजनीति समाप्त हो जाय। सीमा मिश्रा और विधायक की पत्नी रामलली मिश्र के प्रचार करने से लोगो लोगों की जबर्दस्त सहानभूति विजय मिश्र को मिली और उन्होंने बड़े अंतर से जीत हासिल किया। सीमा मिश्रा का क्षेत्र की जनता से जुड़ाव बढ़ता चला गया और विजय मिश्रा ने अपनी बेटी के लिए सपा से लोकसभा चुनाव का टिकट दिलाते हुए उन्हें पूरी तरीके से सियासी मैदान में उतार दिया। उस चुनाव में विजय मिश्रा ने बेटी को जीत दिलाने के लिए पूरी ताकत लगा दी, लेकिन लोकसभा में चुनाव से चंद दिन पहले हुई मोदी की रैली के बाद पूरा माहौल ही बदल गया। उस चुनाव में सीमा मिश्रा 2,38615 लाख वोट पाकर तीसरे स्थान पर रहीं।
अभी ये स्तिथी स्पष्ट नहीं है कि, वे भविष्य में चुनाव लड़ेंगी या नहीं। वहीं विजय मिश्रा के करीबी लोगों का मानना है कि, आने वाले समय में उनकी राजनीतिक विरासत उनके पुत्र विष्णु मिश्रा संभालेंगे।
बाहुबली अतीक के बेटे उमर अहमद पिछले महीने हुए फूलपुर लोकसभा उपचुनाव के दौरान राजनीति के मैदान में बाहुबली अतीक अहमद के बेटे उमर अहमद के रूप में एक नया सियासी चेहरा उभर कर सामने आया। जो पिता की बाहुबली छवि से कहीं अलग नजर आया। फूलपुर लोकसभा उपचुनाव के दौरान पूर्व सांसद बाहुबली अतीक अहमद ने जेल में रहते हुए नामांकन करा सियासी गलियारे में हलचल पैदा कर दी थी। सलाखों के पीछे बंद अतीक अहमद चुनाव प्रचार में भले ही नहीं उतर पाएं हों। लेकिन, उमर अहमद ने पिता को जिताने के लिए चुनाव प्रचार में पूरी ताकत झोंक दी थी। फूलपुर की जनता के बीच जा कर उन्होंने जिस तरह से बड़ी बेबाकी से अपनी बाते रखीं और मीडिया के सवालों का जवाब दिया। उसी दिन लोगों को आभास हो गया कि, बाहुबली अतीक अहमद की राजनैतिक साख को बचाने के लिए उमर अहमद मील का पत्थर साबित होगा।
कचहरी में दिखा था जबरदस्त उत्साह
फूलपुर लोकसभा उपचुनाव प्रचार का अंतिम दिन था। कचहरी में बाहुबली अतीक अहमद की पेशी होनी थी। कचहरी अतीक अहमद और उमर के समर्थकों से खचाखच भरी थी। जैसे ही अतीक अहमद की गाड़ी कचहरी के पास पहुंची। बेटा उमर हाथ जोड़ अतीक के स्वागत में खड़ा नजर आया। पिता के साथ उमर का कदम से कदम मिला कर चलना। आने वाली राजनीति के लिए एक संदेश है। फिलहाल इनकी उम्र रजनीति की रूपरेख के हिसाब से कम है, लेकिन भविष्य में ये इलाहाबाद शहर पश्चिमी से अपनी मौजूदगी दर्ज करा सकते हैं।
अमनमणि त्रिपाठी अमनमणि त्रिपाठी बाहुबली विधायक का तमगा धारण किए पूर्व मंत्री
अमरमणि त्रिपाठी के बेटे हैं। बता दें कि, ये महराजगंज जिले के नौतनवा विधानसभा सीट से निर्दल विधायक हैं। इन्होंने भाजपा उम्मीदवार को चुनाव हराया था। चुनाव जीतने के बाद अमनमणि योगी की शरण में चले गए। ये सीएम योगी के करीबी माने जाते हैं। भविष्य की राजनीति में इनका कद औऱ बढ़ेगा।
बाहुबली मुख्तार अंसारी के बेटे अब्बास अब्बास अंसारी बाहुबली मुख्तार अंसारी के बेटे हैं, जिसने वर्ष 2017 में राजनीतिक जीवन की शुरूआत की। यूपी विधान सभा तुनाव में बसपा के टिकट पर घोसी से चुनाव लड़ा लेकिन भाजपा के फागू चैहान से हार का सामना करना पड़ा। फिलहाल आजमगढ़ से लोकसभा चुनाव लड़ने की चर्चा की बातसामने आ रही है। हालांकि, सपा-बसपा गठबंधन से समीकरण बदलने की भी संभावना है।
बाहुबली रमाकांत के बेटे अरूण कांत यादव अरूणकांत बाहुबली रमाकांत यादव के बेटे हैं। जो वर्तमान में बीजेपी विधायक हैं। 2007 में सपा से फूलपुर विधानसभा से चुनाव जीता था। वर्ष 2012 में भाजपा के टिकट पर अंबेडकरनगर से चुनाव लड़े लेकिन, हार गए। 2017 में भजपा से फूलपुर से चुनाव लड़े और जीते आजमगढ़ में बीजेपी के एकलौते विधायक हैं। हालांकि, पिता-पुत्र के सबंध अच्छे नहीं रहे। कहा जाता है कि, रमाकांत की दूसरी शादी के बाद से ही अरूण उन्हें पसंद नहीं करते। रमाकांत के सपा में जाने की चर्चा है लेकिन अरूण रमाकांत के साथ जाने के लिए तैयार नहीं है।